Intzaar

आनन्दित हो ,रहता, जिंदगी को खुशियों का इंतजार !

 देख आईने को रहता , समय के ठहराव का इंतजार !

भावी जीवन में रहता ,पूर्ण होती आकांक्षाओं का इंतजार !

न चाहते हुए भी, जिंदगी करती ,पल-पल मौत का इंतजार !


 जिंदगी दौड़ती ,तमाम तमन्नाओं की भीड़ में,

आकांक्षाओं को रहता ,पूर्ण होने का इंतजार !

तेरे आने से जीवन में ,बही कुछ बयार  ऐसी,

आज भी ,मुझे रहता , तेरे आने का इंतजार !

तुम्हें पाना ,'पराकाष्ठा' थी , मेरे प्रेम की,

आज भी रहता, तेरे करीब आने का इंतजार !

नशा मोहब्बत का हो, या जीवन का........  , 

संग देखे जो सपने !रहता, उन सपनों का इंतजार !

 तेरे गम में ,जिंदगी को रहता तेरे आने का इंतजार !

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post