Balika vadhu [9]

बहुत तर्क -वितर्क के पश्चात ,यह निर्णय लिया जाता है,संस्था का एक सदस्य इंस्पेक्टर के साथ गाँव जायेगा और सही जानकारी लेकर ,आएगा। तब वहां के घर देखकर ,कामिनी जी इंस्पेक्टर से कहती हैं -यहाँ के लोगों का रहन -सहन तो सही है ,यह बात सुनकर इंस्पेक्टर को अपनी बात कहने का मौका मिल गया और बोला -मैं पहले ही कह रहा था ,ये लोग ऐसे नहीं हैं। 

किन्तु उसकी बात को काटते हुए ,कामिनी कहती है -आपकी बात तो सही है, किंतु कई बार ऐसा होता है ,आदमी पढ़ा- लिखा होने के पश्चात भी , अपने कुछ रीति -रिवाजों  से रूढ़िवादी परंपराओं से बाहर नहीं आ पाता है। वैसे हम कहां जा रहे हैं ? 

हम उसी घर में जा रहे हैं , जिसकी चर्चा के कारण आप लोग यहां आए हैं। 


आपको कैसे मालूम ?कि किस घर में विवाह हो रहा है ? संदिग्ध नजरों से कामिनी ने इंस्पेक्टर की तरफ देखा। 

इसमें जानकारी लेने की कोई आवश्यकता ही नहीं है, यदि विवाह हो रहा होगा तो वहां कुछ सजावट भी होगी। कुछ रौनक भी होगी वरना किसी से पूछ लेंगे। बात को संभालते हुए, इंस्पेक्टर ने कहा। तभी एक लड़के को रोककर  उससे पूछा ? क्या आज यहां किसी घर में विवाह हो रहा है ?

आप कौन ? लड़के ने उन दोनों की तरफ देखा। 

तभी कामिनी बोली -हम उस विवाह में मेहमान हैं, हमें उस विवाह में बुलाया गया है। तब भी ,उस लड़के ने सही उत्तर नहीं दिया और बोला- मुझे नहीं मालूम कह कर भाग गया।

देखा, इंस्पेक्टर साहब ! यहां के बच्चे भी तेज है। 

वही तो मैं आपको दिखलाना चाहता हूँ ,यहां बच्चों का शोषण नहीं होता। 

बात लड़कों की नहीं, लड़कियों की है , उन्हें पढ़ाया नहीं जाता, और उनका कम उम्र में ही विवाह कर दिया जाता है।

 यह देखिए ! यहां के बच्चों के लिए , आठवीं तक का विद्यालय खुला है। चलिए ! आपको  स्कूल भी दिखा देते हैं।

 आप मेरा वक्त बर्बाद कर रहे हैं। 

इसमें वक्त बर्बाद कहां से हुआ ? आप यहां के बच्चों को देखने आई हैं, कहीं उनका शोषण तो नहीं हो रहा तो आप देख लीजिए कि इस विद्यालय में बच्चियाँ भी पढ़ रही हैं या नहीं। 

कामिनी सिंह ने सोचा-कह तो यह, सही रहा है, जब आई हूं, तो विद्यालय भी देख ही लेती हूं, उस समय पर पहाड़े पढ़ने की बहुत जोर-जोर से आवाज आ रही थी -चार एकम चार  और चार दूनी आठ ! कामिनी ने देखा -छात्राओं  की अलग कक्षा है। 

जब सुनीता, को इस बात का पता चला तो, वह उनके स्वागत के लिए आगे आई क्योंकि उसकी बहन के कारण ही इस गांव में यह विपदा आई है।

  कामिनी सिंह ने जब उसे देखा तो, उससे पूछा -कि आप यहां पढ़ाती हैं ?

जी, हां !

कब से पढ़ा रही है?

मुझे लगभग 2 वर्ष हो गए , कामिनी सिंह यह नहीं जानती थी कि यह वही सुनीता है, जिसकी बहन ने इतना बड़ा रायता फैलाया है और अब यह उसे समेटने में लगी हुई है।

 यहां पर कितनी छात्राएं हैं पढ़ती हैं ?

इतनी सही से और सटीक  गिनती तो मुझे नहीं मालूम है, किंतु गांव की सभी बच्चियाँ यहीं  पढ़ने आती हैं। आप देख ही रही हैं, कहते हुए उसने, इधर-उधर घूमती बच्चियों  को दिखलाया। 

 आप 2 वर्षों से इस गांव में रह रही हैं। यहां के लोग कैसे हैं ?

यहां के लोग बहुत ही सहायक हैं, मैं तो बाहर से आई हूं, अपने परिवार से दूर रह रही हूं किंतु इन लोगों ने कभी भी मुझे परिवार की कमी महसूस नहीं होने दी। किंतु बच्चियों को पढ़ाने के लिए ये लोग , महिला अध्यापिका को ही चुनते हैं।

 सुनीता की बात से,कामिनी  मन ही मन वह सोच रही थी शायद अब कोई रहस्य खुलेगा किंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। अच्छा यह बताइए ! यहां किसी बच्ची का विवाह हो रहा है। 

यहां सब बच्चियाँ ही हैं, बिना सोचे -समझे सुनीता ने जवाब दिया - हां, मैंने सुना है, चौधरी साहब, के घर में विवाह हो रहा है। 

अच्छा, क्या आप उन्हें जानती हैं ?

 नहीं, ज्यादा तो नहीं जानती किंतु मुझे इतना पता चला है उन्हीं की बहन या बेटी का विवाह हो रहा है, अंदाजा लगाते हुए सुनीता ने जवाब दिया। 

एकदम से कामिनी उठ खड़ी हुई, और बोली-अच्छा, अब आप बच्चों को पढ़ाइए ! अब हम चौधरी साहब के घर होकर आते हैं। 

इंस्पेक्टर मृदुल ने, कामिनी से पूछा -अब वापस चलना है, या आगे बढ़ना है,वह सोच रहा था ,यह इतने से ही संतुष्ट होकर वापस चलने के लिए कहेगी।  

जब यहां तक आए ही हैं, तो चौधरी साहब को उनकी बेटी की या बहन के विवाह की बधाई देकर ही जाएंगे व्यंग्य से मुस्कुराते हुए बोली। 

मन ही मन इंस्पेक्टर सोच रहा था- यह इतनी आसानी से मानने वाली नहीं है। वह तो अच्छा हुआ इंस्पेक्टर ने पहले ही चौधरी साहब से पूछ लिया था, कि इन्हें लेकर कहां आना है ? और उन्होंने कहा था-' कि सीधे घर पर ही चले जाना।' इंस्पेक्टर उनके घर को अच्छे से जानता है, किसी न किसी कार्य से कई बार आ चुका है किंतु कामिनी के सामने अनभिज्ञ बनने का अभिनय तो करना ही पड़ रहा है , ताकि उसे यह ना लगे कि इंस्पेक्टर ,चौधरी साहब से मिला हुआ है। कामिनी सिंह भी इतनी बच्ची तो है नहीं ,वह सब जानती है ,उसने न जाने कितने बच्चों को ? अपराध के दलदल से बाहर निकाला है और अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्ति, अपने आप को बचाने के लिए ,क्या -क्या नहीं कर गुजरते ? तभी तो उसके टीम के सदस्यों ने उसे ही पहल करने के लिए भेजा है। 

घर का रास्ता पूछते -पाछते  वह लोग ! आखिरकार घर पहुंच ही जाते हैं। वहां की महिलाएं उनके अच्छे से स्वागत करती हैं तब कामिनी सिंह उनसे बताती है -इंस्पेक्टर साहब !ने बताया था कि चौधरी साहब के यहां विवाह हो रहा है तब मैंने सोचा -कि हम लोग इधर आए हुए हैं तो उस बच्ची को भी, आशीर्वाद देते हुए चलते हैं। 

जी,जी आपने बहुत अच्छा किया, बच्चों के साथ अपने बड़ों का आशीर्वाद भी होना चाहिए , चाय या ठंडा! 

जी, हम कुछ नहीं लेंगे, बस आप उस बच्ची से हमें मिलवा दीजिए किंतु इंस्पेक्टर बोला -मैं चाय ले लूंगा !

कामिनी ने एक नजर इंस्पेक्टर की तरफ देखा ,वह सोच रही थी-जिस कार्य के लिए आया है ,वह कार्य तो कर नहीं रहा है। हो सकता है ,इन्हें समय दे रहा हो , गहरी सांस लेते हुए वह इत्मीनान से बैठ गई ,उसे भी समय मिल गया, बहुत कुछ समझने के लिए........  

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post