परिणीति अपनी चचेरी बहन सुनीता, से मिलने जाती है ,जो एक गांव में, सरकारीअध्यापिका के पद पर कार्यरत है। वह गांव के लोगों से काफी घुल मिल गई है और वे लोग भी ,उसका सम्मान करते हैं। अपने, किसी भी कार्यक्रम में या रीति -रिवाज में उसे शामिल करते हैं। सुनीता ,परिणीति को भी , उस गांव के चौधरी अतर सिंह की बेटी, दृष्टि के विवाह में,अपने साथ लेकर जाती है। यह देखकर परिणीति हैरत में पड़ जाती है कि अभी उस लड़की की उम्र ज्यादा नहीं है, मात्र आठ वर्ष की है। तब परिणीति वहां की महिलाओं को समझाने का प्रयास करती है कि यह आप लोग इस बच्ची के साथ सही नहीं कर रही हैं किंतु वह देखती है कि उन महिलाओं के साथ ही, उसकी बहन भी, उन लोगों का ही समर्थन कर रही है जबकि उसे ''बाल विवाह ''का विरोध करना चाहिए था। अगले दिन ,परिणीति उस गांव से तो आ जाती है किंतु साथ ही ,उसी के थाने में चौधरी अतर सिंह के विरुद्ध रिपोर्ट लिखवाना चाहती है किंतु इंस्पेक्टर मृदुल' चौधरी साहब को अच्छे से जानता है इसीलिए वह चौंक जाता है कि चौधरी साहब ,तो अच्छे स्वभाव के व्यक्ति हैं, फिर यह कौन महिला है और उन्होंने इसके साथ ऐसा क्या किया है ?जो यह उनके विरुद्ध रिपोर्ट लिखवाने आई है ?
वह उससे संपूर्ण जानकारी चाहता है, कि ऐसा चौधरी साहब ने क्या किया है ? आप क्यों रिपोर्ट लिखवाने आई हैं ?
तब परिणीति कहती है-क्या आप ''चौधरी साहब ''को जानते हैं ?
हां, भली भांति जानता हूं ,बड़े अच्छे आदमी हैं।
क्या ,आप यह जानते हैं ? कि कल उनकी बेटी का विवाह हो रहा है।
मैं ,यह बात भी अच्छे से जानता हूं कि उनकी बेटी दृष्टि का विवाह हो रहा है, और मेरे पास भी ''निमंत्रण पत्र''भी आया है।
क्या ,आपने यह जानने का प्रयास किया, कि उस बच्ची की उम्र क्या है ?
भला ,यह भी क्या बात हुई ? यदि मेरे पास किसी के विवाह का' निमंत्रण पत्र' आता है, तो क्या, मैं उससे पहले यह पूछूंगा, कि आपकी बेटी की उम्र क्या है ? मुंह में पान दबाते हुए मृदुल बोला -आप मुद्दे की बात पर आइये ! आप कहना क्या चाहती हैं ? और क्यों रिपोर्ट लिखवाना चाहती हैं ?
मैं यह कहना चाहती हूं कि इस गांव में ''बाल विवाह ''हो रहा है, जबकि 'बाल विवाह कानूनन अपराध है। '' तब आपने उन लोगों के विरुद्ध कोई एक्शन क्यों नहीं लिया ? आप लोगों की नाक के नीचे यह कार्य हो रहा है और आपको भनक तक नहीं।
यह उनका पारिवारिक मामला है, माना कि हम कानून के रखवाले हैं , किंतु हम किसी के पारिवारिक मामलों में दखलअंदाजी तो नहीं करेंगे। चोर -उचक्का, या किसी ने किसी का कत्ल किया है या कहीं मारपीट हुई है तो अपराधी को दंड देना हमारा कार्य है , अब इन छोटी-छोटी बातों के पीछे तो, हम नहीं दौड़ेंगे।
क्या यह आपको अपराध नहीं लग रहा है ? कि इस गांव में ''बाल विवाह ''हो रहे हैं।
तभी इंस्पेक्टर अपनी कुर्सी से उठा और बाहर पान थूकने चला गया, वापस आकर बोला -यह बात आपसे किसने कही थी ? क्या इस विवाह से किसी को कष्ट है ? किसी ने इस गांव के लोगों की शिकायत की है और आपके पास क्या सबूत है ? कि इस गांव में यह प्रथा चली आ रही है।
उसकी बात से हैरान होकर परिणीति, कहती है -आप भी कमाल करते हैं, इसके लिए सबूत की क्या आवश्यकता है ? आप स्वयं ही जाकर देख लीजिएगा !आपको तो...... ' निमंत्रण पत्र' मिला है ,परिणीति व्यंग्य से बोली।
देखिए !देश में ऐसी बहुत सी चीजें होती हैं जो जायज होती है और कुछ नाजायज भी, कुछ कार्य अपराध की श्रेणी में आते हैं जिनसे किसी को हानि हो। किंतु जिस अपराध से,[बाल -विवाह ]से उसके परिवार वालों को कोई हानि नहीं है, उस बच्ची को भी कोई हानि नहीं पहुंचा रहा है। यह उसके माता-पिता का अपना निर्णय है, फिर आपको क्यों परेशानी हो रही है ? क्यों उनके विवाह में खलल डालना चाहती हैं ? जो कार्य शांतिपूर्वक हो रहा है होने दीजिए ,क्यों,'' रंग में भंग ''डाल रहीं हैं ?
मतलब ! आपकी दृष्टि में ,एक आठ साल की बच्ची का विवाह हो रहा है ,यह अपराध नहीं है आप मेरी रिपोर्ट नहीं लिखेंगे या नहीं ,परिणीति के तेवर बदल चुके थे। वह इस कार्य को जितना आसान समझ रही थी ,उतना आसान नहीं था।
देखिए ,मैं आपसे यह कहना चाहता हूं, कि बेचारे माता-पिता अपनी बेटी का विवाह कर रहे हैं, यह शुभ कार्य है और आपको कोई हक नहीं बनता, कि उनके इस शुभ कार्य में अमंगल करें। आप यहां नहीं रहतीं यहां किसी को जानतीं भी नहीं हैं फिर क्यों बेवजह ही '' अपनी टांग अड़ा रही हैं।'' समझाते हुए ,मृदुल ने कहा -मेरा विचार तो यह है ,अगर यह आपको अनुचित लग रहा है आप उसके पिता से बात कर लीजिए !हो सकता है ,आपके समझाने से वे समझ जाएं । मुस्कुराते हुए व्यंग्य से बोला -आप पढ़ी -लिखी हैं ,समझदार हैं, हो सकता है -आप उन्हें समझा सकें कि यह जो भी कार्य आप कर रहे हैं वह अनुचित है वरना यहां जो हो रहा है, होने दीजिए ! क्यों गांव वालों से दुश्मनी मोल ले रहीं हैं ?
क्रोधित होते हुए ,परिणीति अपनी जगह से उठ खड़ी हुई और बोली -आप जैसे लोगों के कारण ही तो, आजकल यह अत्याचार हो रहे हैं। अरे ,आप लोगों के कारण ही , अपराध को बढ़ावा मिलता है। पहले जब कुछ अनुचित कार्य हो रहा होता है तब तो कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाते और अपराध होने के पश्चात, या रिपोर्ट होने पर थोड़ा सा भागदौड़ कर लेते हैं। आप मेरी रिपोर्ट नहीं लिखेंगे ! तो मैं इस बात को आगे बढ़ाऊंगी,मेज पर हाथ मारते हुए कहती है - हालांकि मैं यहां नहीं रहती हूं किंतु दिल्ली में भी ऐसी बहुत सी संस्थाएं हैं, जो'' बाल अपराध'' को रोकतीं हैं।
मुंह के पान को थूकते हुए, इंस्पेक्टर मृदुल भी उठ खड़ा हुआ और बोला -यह धमकी आप किसी और को दीजिये ! अपने क्रोध पर नियंत्रण करते हुए ,कहता है -देखिए, इतनी देर से मैं आपको प्यार से समझा रहा था किंतु मुझे लगता है ,आपको मेरी बात समझ नहीं आई जितना मैं शांतिपूर्वक आपसे बातें कर रहा हूं। उतना ही आप' सिर पर चढ़ी जा रहीं हैं।' हम कानून के रखवाले हैं , यदि आपको कानून का इतना ही ख्याल है ,तो आप स्वयं वहां जाकर बात कर सकती थीं यदि वह लोग आपकी बात न मानते, तो आपका फर्ज बनता था, कि हमारे पास शिकायत लेकर आतीं। दुनिया में इतने अपराध हो रहे हैं ,उनसे ही समय नहीं मिलता है और ये किसी के शुभ कार्य में ''टाँग अड़ाने आ गई हैं'' जाइए !आपसे जो बनता है कीजिये !हमें नहीं लिखनी है ,आपकी रिपोर्ट !