यह कहानी , उत्तर प्रदेश के '' पूनिया '' नामक एक गांव की कहानी है। यह गांव कोई ज्यादा पिछड़ा हुआ नहीं है। शहर की मुख्य सड़क से लगभग 2 किलोमीटर अंदर यह गांव बसा हुआ है। यहां के सभी लोग पढ़े लिखे हैं और शहर में नौकरी करने भी जाते हैं। आसपास फैक्ट्री हैं ,जहाँ वे नौकरी करते हैं, कुछ व्यवसाय करते हैं और साथ ही खेती-बाड़ी भी संभालते हैं। अच्छा खुशहाल गांव है, यहां की लड़कियों के लिए भी, एक सरकारी स्कूल खुला हुआ है और यहां की सभी लड़कियां पढ़ने जाती हैं। उसके पश्चात उच्च शिक्षा के लिए शहर के स्कूल में भी दाखिला लेती थीं। ये लोग पढ़े- लिखे होने के साथ-साथ अच्छा- बुरा, उचित- अनुचित सब कुछ समझते हैं ,कानून की भी अच्छी समझ रखते हैं किंतु आज के समय में जब लगभग यह प्रथा समाप्त होने को जा रही है, तब यह लोग ऐसी अनहोनी रीत क्यों कर रहे हैं ? क्या ये '' बाल विवाह'' में फिर से विश्वास करने लगे हैं। ऐसा इस गांव में क्या हुआ ? जो यह गांव अपनी उस परंपरा को अभी भी निभा रहा है, वह उस परंपरा से आगे क्यों नहीं बढ़ना चाहता? जब इन लोगों ने इतनी उन्नति की है,तब इन लोगों की सोच इस गांव लड़कियों के विवाह के लिए, इतनी पिछड़ी हुई क्यों है ? इस गांव को देखकर, और उनकी इस रस्म को देखकर, ऐसा लगता है किदुनिया में सभी उन्नति की ओर अग्रसर हो रहे हैं किन्तु ये लोग, बिल्कुल विपरीत दिशा में जा रहे हैं।
आज के समय में जब ''बाल विवाह'' करना कानूनी अपराध हो गया है तब क्या इन्हें कानून की भी परवाह नहीं है? क्या ये लोग इतने दकियानूसी हैं या औरत की उन्नति इन्हें पसंद नहीं है या फिर नारी जाति को दबा कर रखना चाहते हैं ? क्या आज भी औरत को पैरों की जूती समझते हैं ?दृष्टि के साथ क्यों हो रहा है ? इनकी मानसिकता में समय के साथ बदलाव क्यों नहीं आया ?परिणीति अपनी चचेरी बहन सुनीता से पूछती है।
पूनिया गांव, पहले बहुत ही खुशहाल था, आज भी खुशहाल है।
ये आप क्या कह रहीं है ?मुझे तो लगता है ,आपको इनसे ड़र है या फिर यहाँ रहते -रहते आपकी सोच भी इन लोगों जैसी ही हो गयी है।
नहीं ,ऐसा नहीं है ,यहां के लोग बहुत ही, खुले दिल और दिमाग के हैं। महिलाओं को भी यहां, पूरा मान- सम्मान दिया जाता है, अपनी बेटियों को भी पढ़ाने- लिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे किंतु धीरे-धीरे समय के साथ, इन्होंने अपनी उस सोच को बदल दिया और अब लड़कियों का'' बाल विवाह ''करने के लिए तत्पर होने लगे, यह निर्णय आम जनता का ही नहीं है बल्कि यह निर्णय पंचायत की सहमति से भी लिया गया है और अब यहां की लड़कियों का विवाह 8 वर्ष से लेकर 15 वर्ष की उम्र तक कर देते हैं। हालांकि इनका प्रयास यही रहता है कि बेटी का ,जिस ससुराल में विवाह कर रहे हैं। वे लोग, अच्छे हों , खुशहाल हों और उनकी बेटी को पढ़ाई- लिखाई अधिकतर परिवारों का यही प्रयास रहता है कि उनकी बेटी ससुराल में जाकर भी, अच्छी उन्नति करें पढ़े- लिखे नौकरी करवायेंगे तो वह नौकरी भी कर लेगी।
ये कैसी सोच है ?मुझे यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आई ,जिस उम्र में एक बच्ची को अपनी माँ की सही परवरिश चाहिए ,ऐसे में वो विवाह करके सास के कठोर अनुशासन में चली जाती है।तब परिणीति ने अपने मन में कुछ सोचा और बोली -अभी ,हमें सोना चाहिए ,कल मुझे जाना भी है।
हाँ ,वही तो मैं कह रही हूँ ,समय के साथ लोगों की सोच बदलती रहती है। जैसे पहले लोगों की सोच थी ,वो आज नहीं है ,जो आज है ,कल नहीं रहेगी। तुम्हें परेशान होने की आवश्यकता नहीं।
न जाने, ये क्यों पहेलियाँ बुझा रहीं हैं ?इस सबका सही कारण नहीं बताया ,मन ही मन परिणीति बुदबुदाई,इस गांव में रहकर ,यहीं की ही होकर रह गयी है। अपनी सम्पूर्ण शिक्षा भुला बैठी है किन्तु मैं ऐसी नहीं हूँ,मुझे कुछ न कुछ तो सोचना ही होगा।
अपने थाने में इंस्पेक्टर मृदुल प्रवेश करता है , कहने को इंस्पेक्टर का नाम' मृदुल 'है लेकिन स्वभाव से वह कतई भी मृदुल नहीं है। अपने नाम के बिल्कुल विपरीत उसका स्वभाव है, शायद अपने बचपन में उसका स्वभाव अच्छा रहा हो,तब माता -पिता ने उस समय ये नाम रख दिया हो किंतु अब उसके हाव- भाव को देखते हुए, लगता है उसका नाम ''क्रूर सिंह'' होना चाहिए था,उसकी बड़ी -बड़ी मूछें और दाढ़ी हैं , उसके सांवले चेहरे पर बड़ी -बड़ी आँखें उसकी क्रूरता का परिचय देती नजर आती हैं।उसकी इन आँखों से ही अपराधी सिहर उठते हैं,जब वो उन्हें घूरकर देखता है। किन्तु ये आँखें अपराधियों के मन में ही खौफ पैदा करती हैं।
अभी उसने थाने में ही प्रवेश किया था ,तभी एक आकर्षक महिला वहां प्रवेश करती है।
जी कहिए ! हवलदार राजेंद्र सिंह उससे पूछता है।
जी, मुझे एक रिपोर्ट लिखवानी है, मुझे इंस्पेक्टर साहब से मिलना है।
इंस्पेक्टर साहब अभी आए हैं, वह सामने केबिन में बैठे हैं।
राजेंद्र सिंह के इतना कहते ही, वह महिला इंस्पेक्टर मृदुल के पास पहुंच जाती है।
इंस्पेक्टर उसे देखकर का पूछता है -जी कहिये ! आपको क्या काम है ?
इंस्पेक्टर साहब मुझे एक रिपोर्ट लिखवानी है।
किस सिलसिले में...... आप आराम से बैठकर,मुझे संपूर्ण बातें समझाइए ! सबसे पहले तो आप यह बताइए ,कि आपका नाम क्या है ?
जी मेरा नाम ''परिणीति माथुर'' है, मैं दिल्ली में नौकरी करती हूं।
आपकी क्या शिकायत है ?आपको किसके विरुद्ध रिपोर्ट लिखवानी है ?
जी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, सबको तो नहीं देखा, लेकिन' पुनिया' गांव के चौधरी अतर सिंह के खिलाफ मुझे रिपोर्ट लिखवानी है।
परिणीति की बात सुनकर इंस्पेक्टर एकदम चौंक उठा , और बोला -वह तो बहुत अच्छे इंसान हैं, उन्होंने आपके साथ ऐसा क्या किया , जो आप उनके विरुद्ध रिपोर्ट लिखवाने आई हैं ?
क्यों ,क्या कुछ गलत होते देखकर मैं, कोई रिपोर्ट नहीं लिखवा सकती और उनके विरुद्ध क्या ? क्या वह कोई गलत काम नहीं कर सकते।
जी, हमारा काम ही लोगों की परेशानियों को हल करना है यदि आपको कोई समस्या है, तो हमें बताइए ! हम आपकी सहायता के लिए तैयार हैं।
आप इतनी बातें क्यों बना रहे हैं ? आप मेरी रिपोर्ट क्यों नहीं लिखते? क्रोधित होते हुए परिणीति बोली।