Balika vadhu [16]

जतिन बहुत ही घबराया हुआ और थका हुआ लग रहा था। भूखा  -प्यासा  वह अपने साथियों से जा मिलता है। कामिनी सिंह उससे, उसके विषय में पूछना चाहती है कि अब तक वह कहां था और कहां रहा और कैसे आया? किंतु वह कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं था। बताता भी क्या ? वह स्वयं ही नहीं जानता था कि किसने उसे कैद किया और कहां पर कैद किया ? तब उसे थोड़ा आराम करने के लिए कह दिया जाता है उधर इंस्पेक्टर मृदुल परेशान था और कामिनी सिंह को फोन करके पूछता है -क्या जतिन अभी तक वापस आया है या नहीं। 

कामिनी सिंह उसे बताती है -वह वापस तो आ गया है किंतु अभी वो बहुत थका हुआ और भूखा भी था। उसके पास उसका अपना फोन भी नहीं था। उसके साथ क्या हुआ ?अब तक वह कहाँ था ?यह तो उसके स्वस्थ होने पर ही पता चलेगा। वह उससे नाराज होती है और कहती है - यह सब इंस्पेक्टर तुम्हारी सह पर ही हुआ है ,नहीं तो, किसी की इतनी हिम्मत नहीं थी कि उसको छू भी सके। क्या उसने कोई अपराध किया है ? किसी को पता भी क्या चलता ? कि वह कौन है ? गांव में वह किसी को नहीं जानता था और न ही गांव वाले उसे जानते थे फिर उसे  किसने पकड़ा ?


वैसे उसने आकर क्या बताया ? 

अभी कुछ नहीं , उसे एक रात और एक दिन कैद करके रखा गया। न जाने उसे किस अनजान स्थल पर छोड़ दिया ?उन लोगों को तो आप जानते ही होंगे।  

यह मैं कैसे बता सकता हूं ? इंस्पेक्टर झुंझलाते हुए बोला -आपको उससे ही पूछना चाहिए ,उसे तो पता होगा।

 वह अभी, बताने की स्थिति में नहीं है एक-दो घंटे में बता ही देगा लेकिन इसके लिए तुम्हें जवाब देना होगा।

इसके लिए मैं क्यों जवाब दूंगा ? इंस्पेक्टर ने कहा। 

क्या मैंने उससे कहा था ? कि वह गांव में जाए या उन लोगों से मिले। 

यह बात तो मैं तुमसे कुछ कही नहीं है, कि वह गांव गया था फिर तुम्हें कैसे पता चला? कि वह गांव गया था कामिनी सिंह ने उसके शब्दों को पकड़ते हुए कहा। 

तब वह कहां था ? मैंने तो ऐसे ही अंदाजा लगाया और यदि गांव भी गया था तो किसने पकड़ा और कहां कैद था यह तो आप उसी से पूछिए मैं क्या बता सकता हूं ? और कहां से वह  वापस आया है ?

वह तो बता ही देगा, किंतु आप भी सवाल -जवाब के लिए तैयार रहिए ! कामिनी सिंह ने उसे चेतावनी देते हुए कहा।

 सबसे पहले आप यह शुक्र मनाइये ! कि वह सही -सलामत वापस घर वापस आ गया , उसका कुछ अहित नहीं हुआ। 

इंस्पेक्टर के ये शब्द सुनकर, कामिनी को क्रोध आया और बोली - आप भी यह याद रखिए ! यदि उसका कुछ अहित होता तो वे गांव वाले भी नहीं बचते ,जिनका आप समर्थन कर रहे हैं , जिनका आप साथ दे रहे हैं।हमारी टीम वहीं अपना धरना जमा देती। हम समाज -सेवक हैं ,जो भी कदम उठाते हैं ,समाज की भलाई के लिए ही होता है, किन्तु समाज के कुछ ठेकेदार ऐसे भी हैं जो अपना दबदबा बनाये रखने के लिए कुछ भी गलत  करने से पीछे नहीं हटते।  

मैं किसी का भी साथ नहीं दे रहा हूं, वे गांववाले, क्या मेरे रिश्तेदार लगते हैं ? आपको कोई गलतफहमी हुई है अपनी गलतफहमी दूर करिए !हम भी उसी समाज के सेवक हैं किन्तु आप मुझे जब से मुझसे मिलीं हैं ,इल्ज़ाम पर इल्ज़ाम लगाये जा रहीं हैं। अब आपका आदमी आपके पास आ चुका है ,मुझ पर आरोप लगाने से बेहतर है ,आप उसे भोजन कराइये, आराम कराइये ! और तब उससे पूछना ! क्या उसने मुझे वहां देखा था ?मुझ पर इस तरह बार -बार आरोप लगाना बंद कीजिये, कहकर इंस्पेक्टर ने, फोन काट दिया। 

क्या हुआ सर! क्या कामिनी सिंह कुछ कह रही थी, हवलदार राजेंद्र सिंह ने पूछा।  

उसे तो व्यर्थ में ही लड़ना है, न जाने कौन ?उस गांव में गई थी।  उसने न जाने ,गांव में क्या देखा ?उसने  एक लेख क्या लिख दिया ?कामिनी को बेवजह का मुद्दा मिल गया और अब यह कामिनी सिंह मेरे पीछे पड़ी हुई है।

 आप क्यों परेशान होते हैं ? उन्हें ही समाज सेवा का चस्का लगा है, जब समाज सेवा कर रहे हैं समाज में रह रहे हैं तो समाज की विसंगतियों को भी तो सहन करना होगा। अब कामिनी सिंह के कहने पर तो वे लोग अपनी-अपने रीति -रिवाज नहीं बदल सकते।

 वैसे एक बात है, साहब !

क्या? इंस्पेक्टर ने उसकी तरफ देखते हुए पूछा। 

वैसे यह,जो भी हो रहा है, गलत ही हो रहा है, इतनी छोटी बच्ची...... जो कुछ भी नहीं जानती कि उसके साथ क्या घटित हो रहा है ?उसका विवाह कर दिया जाता है, जब तक उसे समझ आती है, तब तक उसकी जिंदगी किसी गहरे कुएं में नजर आती हैं,जहाँ सिर्फ अँधेरा ही अँधेरा है।  

अब यह तो ,उन लोगों की अपनी सोच है, वैसे मैंने तो यह भी सुना है, कि पहले इस गांव की लड़कियां पढ़ती थी और बाकायदा उनके  बालिग़ होने पर ही विवाह किया जाता था किंतु इस गांव में कुछ घटनाएं ऐसी घटीं , जिसके कारण उनकी सोच परिवर्तित हो गई और उन्होंने बालपन में ही, अपनी बेटियों का विवाह करने का सोचा। 

इस गांव में ऐसा क्या हुआ होगा ?राजेंद्र सिंह सोचते हुए बोला -क्यों इन लोगों ने अपना निर्णय बदला ? जब बेटियों की उड़ने की उम्र है उससे पहले ही उनके कोमल पंखों को कुतर दिया गया। ऐसा क्या हुआ होगा? 

मैं ज्यादा तो कुछ नहीं जानता हूं, किंतु इन लोगों का मानना है शिक्षा के माध्यम से यदि कुछ बच्चियां उन्नति करती हैं आगे बढ़ती हैं तो कुछ विसंगतियां भी आती हैं। 

शिक्षा से भला कैसी विसंगति हो सकती है ? यह बात कुछ हजम नहीं हुई , राजेंद्र मुस्कुराते हुए बोला। 

अब यह तो तुम्हें, चौधरी अतर सिंह से मिलने पर ही पता चलेगा , वे ही बालपन में अपनी बेटी का विवाह नहीं कर रहे हैं, बल्कि संपूर्ण गांव भी इस प्रथा  का समर्थन करता है। इस बात का तो पता लगाना चाहिए कुछ सोचते हुए इंस्पेक्टर ने कहा। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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