इतने सुनसान रास्ते पर, जतिन को एक व्यक्ति दिखलाई देता है। जतिन को एक उम्मीद बन जाती है और वह उससे ,उस स्थान का नाम और उस स्थान से बाहर निकलने का रास्ता पूछता है। वह व्यक्ति थोड़ी जानकारी हासिल करना चाहता है कि आखिर यह अजनबी यहां कैसे आया ? इस पर जतिन को उसे पर शक हो जाता है ? और उससे कहता है -कि आप रास्ता क्यों नहीं बता रहे हैं ?
हाँ ,यही रास्ता है, इस नहर के किनारे- किनारे चलते चले जाओ ! इस जगह से बाहर निकल जाओगे उसके पश्चात वहां किसी से सहायता ले लेना। कहते हुए वह व्यक्ति, अपने खेतों में चला गया। उस व्यक्ति के ,कहे अनुसार जतिन उस नहर के किनारे- किनारे चलने लगा। उसे चलते-चलते लगभग दो-तीन घंटे हो गए थे लेकिन कोई भी व्यक्ति उसे दिखलाई नहीं दे रहा था ,दूर कहीं, कोई इक्का -दुक्का अपने खेतों में काम करता दिख जाता। अब वह घबराने लगा और सोच रहा था-कहीं उस व्यक्ति ने मुझे भटका तो नहीं दिया।यहाँ तो दूर -दूर तक कहीं कोई नजर तो आ रहा ,जिससे पता चल जाता कि मैं सही राह पर हूँ।
इधर कामिनी सिंह इंस्पेक्टर के पास आती है और इंस्पेक्टर से कहती है -इंस्पेक्टर साहब ! एक रात बीत गई है, और अभी तक जतिन का कुछ पता नहीं चला है।
क्या उसका कोई फोन भी नहीं आया ?
नहीं, मुझे तो डर है, कहीं उन लोगों ने उसे मार तो नहीं दिया।
नहीं -नहीं ऐसा नहीं हो सकता, हमने अपने खबरियों को उसकी तलाश में भेजा है।इस बात से इंस्पेक्टर भी घबरा गया था। उसकी नौकरी पर बात आ जाएगी।
कामिनी सिंह इंस्पेक्टर की बात सुनकर चुपचाप चली जाती है किंतु अब वह सोचती है कि मुझे कमिश्नर साहब से ही, बात करनी होगी, मैं नहीं चाहती थी कि इस कार्य में मैं उन्हें शामिल करूं किंतु अब मुझे लगता है कि बिना कमिश्नर से मिले, मेरा कार्य नहीं होगा। यह सोचकर वह थाने से बाहर निकल गई।
कामिनी सिंह के, थाने से निकलते ही, इंस्पेक्टर मृदुल ने, गांव के चौधरीअतरसिंह को फोन लगाया - चौधरी साहब !यह क्या हो रहा है ?वह लड़का अभी तक अपने लोगों से क्यों नहीं मिला है ? आखिर आप लोगों ने उसे कहां छोड़ा है ?
इंस्पेक्टर साहब ! हमने तो उसे, किठौर गांव के अंतिम छोर पर छोड़ा था। वहां से उसे बाहर निकलने में दो-तीन घंटे तो लग ही जाएंगे क्योंकि वहां पर ज्यादा कोई आता जाता नहीं है। वो भी नहरवाला रास्ता , कम ही लोग उस रास्ते से निकलते हैं। इसलिए उसे पहुंचने में थोड़ा समय लग ही जाएगा और यह समझने में भी समय लग जाएगा कि वह किस जगह कैद था और कहां पहुंच गया ?कहते हुए ,हंसने लगा। इंस्पेक्टर साहब !आपका बहुत -बहुत धन्यवाद !जो आपने हमें समय से ही चेता दिया वरना हम तो उसे बारात का आदमी समझ रहे थे किन्तु जब आपने बताया कि यह जो फोन पर तस्वीरें निकाल रहा है ,यह उस संस्था का ही आदमी है। तब उसे हमने अपना रंग दिखलाया।
हां ,वो बात तो ठीक है किन्तु उसका अपने लोगों के समीप शीघ्र ही पहुंचना बहुत आवश्यक है, वरना यह कामिनी सिंह ''हाथ धोकर ,मेरे पीछे पड़ जाएगी।''
आप बेफिक्र रहिए ! थोड़ी बहुत देर में वह पहुंच ही जाएगा। मेरे एक आदमी ने बताया था, दिन निकले वह नहर के किनारे ही बैठा हुआ था। उसे पता ही नहीं था ,वह कहां पहुंच गया ?
उसका फोन कहां पर है ? जिससे वह तस्वीरें ले रहा था।
वह सब तो हमने नष्ट करवा दिया, अब उसके पास कोई सबूत नहीं होगा।
होना भी नहीं चाहिए, वरना मेरी नौकरी तो जाएगी ही.... आप पर भी केस बन जाएगा ?
' बचपन बचाओ!'' संस्था के सदस्य एक कमरे में बैठे हुए, आपस में बातचीत कर रहे थे -हमारा एक आदमी कल रात से गायब है। उसे हम उस गांव के पास ,निगरानी के लिए छोड़ कर आए थे फिर परेशान होते हुए कामिनी सिंह कहती है- मैंने उससे बहुत मना किया था कि उस गांव के अंदर मत जाना किंतु उसने मेरा कहा नहीं माना। मुझे लगता है, कि वह उसी गांव में पहुंच गया जहां उसे, उन लोगों ने पकड़ लिया या तो बंधक बना लिया है या फिर....... सोचते हुए भी ,मुझे डर लगता है।
यदि हमारे एक भी साथी को कुछ होता है, तो यह हमारे लिए, उचित नहीं होगा। जब हम स्वयं की रक्षा नहीं कर सकते ,तब हम दूसरे की रक्षा का भार कैसे ले सकते हैं ?
मेरा विचार है ,हम सभी को, उस गांव में जाना चाहिए अब हमें इंस्पेक्टर की भी परवाह नहीं करनी है। मैं कमिश्नर से बात करूंगी, हमें अपने तरीके से कार्यवाही की इजाजत दी जाए। यदि वह इंस्पेक्टर हमारी सहायता नहीं कर सकता है तो बाधक भी नहीं बनेगा।
बनना भी नहीं चाहिए ,इस तरह तो हम अपने किसी भी कार्य को अंजाम नहीं दे पाएंगे।पुलिसवालों की सहायता से ही तो अब तक हम अपने कार्यों को अंजाम दे पाए हैं। बस यहीं बात बिगड़ी ,सरोजिनी बोली।
हाँ ,तुम सही कह रही हो ,सभी एक जैसे नहीं होते। ''देश में कुछ देशभक्त हैं ,तो कुछ गद्दार भी ,ऐसे लोगो के कारण ही हमारा कार्य हमारे लिए ही चुनौती बन जाता है। ''किन्तु जीत हमारी ही होगी कामिनी विश्वास से बोली।
अभी सभी लोग अपने वार्तालाप को ,एक निष्कर्ष के पश्चात विराम देते हैं ,तभी एक परछाई दरवाजे पर दिखलाई देती है । सभी को लगा, जैसे जतिन आ गया ,जबसे वह गायब हुआ है ,तबसे हर पल यही लगता है ,अब जतिन आया किन्तु अब वास्तव में ही ,जतिन बाहर खड़ा था। सभी अपनी कुर्सियों से उठकर ,बाहर की तरफ लपके !उसकी हालत बहुत ही खराब नजर आ रही थी। दो आदमी उसे पकड़कर अंदर लाये और एक ने उसे पानी दिया। पानी पीकर ,कुछ देर वह चुपचाप बैठा रहा।
तब कामिनी ने उससे पूछा -जतिन !तुम अब तक कहाँ थे ?हम लोग कितने परेशान हो रहे थे ?तुम अपनी हालत तो देखो ! मैंने तुम्हें कितनी बार फोन किया ?किन्तु तुम्हारा फोन भी नहीं लग रहा था।मैंने तुमसे पहले ही कहा था -कि उस गांव में मत जाना किन्तु तुमने मेरा कहना नहीं माना। कम से कम फोन तो कर ही सकते थे या मैंने किया ,उठा तो सकते थे।
इसके फोन की बेटरी समाप्त हो गयी होगी ,सरोजिनी ने अंदाजा लगाया।
इसकी हालत देखो !मुझे तो लगता है ,इसने सुबह से कुछ खाया भी है या नहीं ,इसे थोड़ा समय तो दो !
हाँ ,अपनी परेशानी में ,मैं इसकी हालत को ही भुला बैठी। हाँ ,इसे अभी ले जाओ !और आराम करने दो !नहाकर और खाना खाकर ,तब बात करेंगे। अभी जतिन कुछ भी कहने की हालत में नहीं था ,काफी थका हुआ महसूस कर रहा था। तब प्रवीण जतिन को अपने गाड़ी से उसके घर उसे छोड़ आता है।
इंस्पेक्टर मृदुल को भी अब चिंता हो रही थी इसलिए उसने कामिनी को फोन किया और उससे पूछा -क्या अभी तक जतिन नहीं पहुंचा है ?
इंस्पेक्टर साहब !जतिन तो पहुंच गया है किंतु उसकी हालत अभी खराब है , अभी हम उससे बात करके देखेंगे कि अब हमें आगे क्या करना है ?