कामिनी की चिंता सही थी, एक बज रहा था,अभी तक जतिन पहुंचा नहीं था, तब कामिनी ने अपने अन्य सहयोगियों को फोन किया और उनसे पूछा भी, कि जतिन कहां है ? अब और देर न करते हुए कामिनी सीधे, इंस्पेक्टर मृदुल से मिलती है। इस चिंता में वह,' पूनिया ' गांव के, थाने पर पहुंच गई। उसे देखते ही, मुस्कुराते हुए इंस्पेक्टर मृदुल ने, कामिनी से कहा - आइये !आइये !आपके , क्या हाल हैं ?
इंस्पेक्टर साहब ,आप सब जानते हैं, कुछ तीख़े स्वर में, कामिनी इंस्पेक्टर से बोली -हमारा एक आदमी था जतिन !वह कल रात से घर नहीं पहुंचा है, न ही उसका फोन लग रहा है।
इसमें मैं ,आपकी क्या सहायता कर सकता हूं ?इंस्पेक्टर मृदुल ने, सहजता से पूछा -क्या वह यहां आया था जो आप इस थाने में रिपोर्ट करने आई हैं या मुझसे ऐसे ही पूछ रही हैं।
यह बात आप मुझसे ज्यादा बेहतर समझते हैं।
इंस्पेक्टर ने अनभिज्ञता दर्शाते हुए, कामिनी से कहा -यह बात, मैं कैसे समझ सकता हूं ? आप सभी लोग तो यहां से चले गए थे।
हमारा एक आदमी गायब है, आपको उसे ढूंढना ही होगा।
आप मुझे उसकी संपूर्ण जानकारी दीजिए, मेरे वश में होगा तो मैं अवश्य ही, प्रयास करूंगा।
आपको अधिक प्रयास नहीं करना है , उसे शाम तक ढूंढ निकालिए वरना हमें कुछ और एक्शन लेना होगा।
यह आप मुझे धमकी दे रहीं हैं ,और आपके कहने का क्या तात्पर्य है ?मुझे अधिक प्रयास नहीं करना होगा।
कुछ ऐसा ही समझ लीजिए। समाज -सेवा का कार्य करते हुए ,हमारा एक आदमी गायब हुआ है, इसके लिए फिर हमें कमिश्नर से बात करनी होगी। मेहनत इसीलिए नहीं करनी होगी क्योंकि आप जानते हैं ,वो कहाँ होगा ?
देखिये !आप मुझ पर सीधे -सीधे इल्जाम लगा रहीं हैं ,मैं इंस्पेक्टर हूँ कोइ अपहरणकर्ता नहीं ,यदि आप लोग 'समाज सुधारक ''हैं ,तो हम भी समाज के लोगों की सेवा के लिए ही नियुक्त किये गए हैं।
किन्तु दीखता तो नहीं,व्यंग्य से कामिनी बोली।
देखिए !आपका एक आदमी गायब है ,मैं आपकी बात समझ रहा हूं, किंतु आप धमकी मत दीजिए। हो सकता है, वह कहीं गया ही न हो ? फोन करके देख लीजिए।
उसका फोन भी तो नहीं लग रहा है।
हो सकता है, उसके फोन की बैटरी चार्ज न हो, इसलिए फोन नहीं कर पाया हो,आपका साथी है , तो आपका चिंतित होना स्वाभाविक है देखिए ! मैं अपनी तरफ से आपकी पूरी तरह से सहायता करने का प्रयास करूंगा। शाम तक प्रतीक्षा कर लीजिए ! हो सकता है, आ जाए।
इतनी देर से सुन रही हूं ,हो सकता है, हो सकता है कहते रहेंगे।उसे आना होता तो आ गया होता ,अवश्य ही वह कहीं फंस गया होगा ।
तब आप मुझसे क्या चाहती हैं ?
हमारा एक आदमी जतिन गायब है और उसे आपको ढूंढना है, तीखे तेवर दिखाते हुए कामिनी बोली।
ठीक है, मैं अभी रिपोर्ट नहीं लिख रहा हूं यदि वह शाम तक भी नहीं आता है तब मैं आपकी रिपोर्ट लिखूंगा किंतु आप यह बताइए !आपने उसको आखरी बार कहां देखा था ?
यहीं , आपके थाने के सामने, उसे छोड़कर गए थे।
और अब वह यहां नहीं है।
यह तो मैं भी जानती हूं, वही तो पूछ रही हूं, कि वह यहां क्यों नहीं है ?
आप तो मुझसे ऐसे पूछ रही हैं, जैसे मैंने उसे पकड़ा हो, या पकड़ कर यहीं बिठा लिया हो , मुझे तो मालूम भी नहीं है कि यहां कोई था।
इंस्पेक्टर साहब !आप इतने सीधे भी मत बनिये !आपको सब मालूम था।
देखिये !यह आप मुझ परबार -बार इल्ज़ाम लगा रहीं हैं। अच्छा यह बताइए ! आपकी आखरी बार उससे बात कब हुई थी ?
रात्रि के 9:00 बजे, उसने मुझे फोन किया था और उसने मुझे बताया-कह रहा था-कि यहां से कोई भी बा रात नहीं गुजरी।
तब तो बात बिल्कुल स्पष्ट है, उस समय मेरी ड्यूटी ही नहीं थी। वह इतनी देर रात्रि में यहां क्या कर रहा था ? वाहन हीं आते जाते रहते हैं।
वह उसी बारात की प्रतीक्षा में था, जो इधर से गुजरने वाली थी किंतु आई नहीं , कुर्सी पर बैठते हुए कामिनी ने पूछा -अब आप मुझे यह बताइए ! आप और मैं कल उस गांव में गए थे यह तो आप मानते हैं, इंस्पेक्टर ने हाँ में गर्दन हिलाई और वहां गांव में विवाह की तैयारियाँ चल रही थीं यानी की विवाह था। इस बात को उन लोगों ने स्वीकार किया था , और उस लड़की को भी दिखलाया हालांकि मैं उसे सही नहीं मान रही हूं। जिस लड़की का विवाह था ,वो वहाँ नहीं थी।
ये बात आप कैसे कह सकती हैं ?
मुझे इस काम में बरसों हो गए ,इतना तो समझ ही सकती हूँ। ख़ैर !यह सब छोड़िये ! आप मुझे यह बताइये !वो बारात इस रास्ते से नहीं गयी तो किस रास्ते से आयी ?
यह मैं कैसे बता सकता हूँ ?उस समय तो मैं यहां था ,ही नहीं। कहाँ ,क्या हुआ ?मुझे नहीं मालूम !
इतने सीधे भी मत बनिये !चौधरी साहब ने ,आपको विवाह में नहीं बुलाया ,जब आप उनका इतना सहयोग करते हैं तो अपनी बेटी के विवाह में आपको निमंत्रण नहीं दिया ,व्यंग्य से कामिनी बोली।
देखिये !अब आप अपनी हद पार कर रहीं हैं ,इतनी देर से मैं आपकी बातें सुन रहा हूँ ,तो आप मुझ पर इल्ज़ाम पर इल्ज़ाम लगाए जा रहीं हैं। एक महिला होने के नाते मैं आपका सम्मान करता हूँ और आपसे कुछ नहीं कह रहा हूँ ,तो आप ये मत समझिये !मैं आपकी उचित -अनुचित सभी बातें सुनता रहूंगा ,आप एक महिला हैं ,कोई मर्द होता तो अब तक.......
अब तक क्या ?तैश में आते हुए कामिनी बोली -मुझे ऐसा लगता है ,इसलिए कह रही हूँ ,अपनी कुर्सी से उठते हुए बोली -शाम तक जतिन मिल जाना चाहिए ,वरना आपके लिए अच्छा नहीं होगा। यदि उसे कुछ हुआ तो आप हमें रोक नहीं पाएंगे। आप सहायता नहीं करेंगे तो क्या और लोग भी नहीं करेंगे ,पूरी टीम उस गांव में धरना जमायेगी, कहते हुए बाहर निकल गयी।
जतिन को बहुत जोरों की भूख लगी थी, पानी पर पानी पिए जा रहा था। कुछ समझ नहीं आ रहा था कैसे इस घुटन से बाहर निकला जाए ? उसे कमरे में कुछ भी ऐसा नहीं था जो उसके लिए बाहर निकलने में सहायक हो। दूर-दूर तक कोई नहीं दिख रहा था, कई बार दरवाजा पीटा। न जाने किन लोगों ने, मुझे यहां बंद किया है। मैं तो उसे आदमी के साथ था, फिर अचानक मुझे, पीछे से किसने पकड़ा ? अंधेरे में समझ नहीं पाया कहीं वही आदमी तो नहीं था हो सकता है , कोई मुझे पहचान गया हो किंतु वह आदमी, तो बाहर का था। वहां तो सभी लोग मेरे लिए अंजान थे, उनके लिए मैं अनजान था। तब यह सब कैसे हुआ ? किसी से संपर्क भी नहीं कर सकता। हताश होकर एक दीवार के सहारे बैठा सोच रहा था , तभी उसे लगा जैसे खिड़की में कोई झांका हो, हो सकता है कोई सहायता मिल जाए , यह सोचकर वह तुरंत ही खिड़की की तरफ लपका।