''पुनिया'' गांव में' दृष्टि 'का विवाह हो रहा है, किंतु बारात की प्रतीक्षा में कामिनी ने ,अपने एक आदमी को छोड़ा हुआ था।उनकी योजना के अनुसार, यहां से 6:00 बजे बारात निकलनी थी किंतु अब रात्रि के 9:00 बज रहे हैं। थाने में सभी की ड्यूटी भी बदल हो गई है किंतु बारात के आने का दूर-दूर तक भी अंदेशा नहीं लग रहा है। क्या विवाह आज ही होना था? मन ही मन वह सोचता है -तब वह कामिनी को फोन करके पूछता है -मैडम ! क्या आपकी खबर ,बिल्कुल सही थी।
क्यों ,क्या हुआ ?
जैसे आपने कहा था ,उस आधार पर तो बारात को अब तक आ जाना चाहिए था किन्तु अभी तक यहाँ बारात तो क्या अब तो यहाँ इक्का -दुक्का आदमी ही नजर आ रहे हैं।
हां, यह सूचना बिलकुल सही है ,उन लोगों ने ही बतलाया था-6:00 बारात का आगमन होगा।
किंतु अब तो 10:00 बज गए हैं।
ऐसा कैसे हो सकता है ? विवाह भी कोई ऐसी चीज है कि उसको कल पर डाल दिया जाए उसका भी मुहूर्त होता है समय निकाला जाता है। कहीं इन लोगों को तुम्हारे यहां रहने का अंदेशा तो नहीं हो गया।
हो भी गया तो क्या हुआ ? विवाह को पीछे तो नहीं डालेंगे।
तुम आसपास, के लोगों से बातचीत करो और पूछो कोई दिखाई देता है तो, कि इस गांव में जो विवाह होना था क्या अब नहीं हो रहा है ? मन ही मन कामिनी सोच रही थी ऐसा कैसे हो सकता है ? विवाह तो आज ही होना है। विवाह कोई ऐसी चीज नहीं है कि उसको कल पर टाल दिया जाए। तभी उनके कुछ दिमाग में आया और बोली -इस गांव में अंदर जाने का कोई अन्य रास्ता तो नहीं है।
अब यह बात मैं कैसे कह सकता हूं,? या बता सकता हूं, मैं तो गांव में अंदर भी नहीं गया।
इंस्पेक्टर साहब ,तो यही कह रहे थे -कि बारात यहीं से होकर जाएगी। जरा इंस्पेक्टर साहब को फोन देना,मैं उनसे ही पूछ लेती हूँ।
आपको क्या लगता है ?वो सही जबाब देंगे ,वो गांववालों से मिला हुआ है और अब फोन भी नहीं ले सकते ,वह तो चले गए, अब उनकी ड्यूटी नहीं है,नए लोग हैं।
यह तो और भी अच्छा हुआ ,तुम उन लोगों से बातचीत करो ! कुछ तो पता चलेगा।
ठीक है मैं देखता हूं, और वह चाय वाला अभी यही पर है किंतु अब दुकान बंद कर रहा है।
उससे कोई फायदा नहीं होगा, वह कुछ भी नहीं बतायेगा। ऐसे समय में गांव के लोग एकजुट हो जाते हैं।
यदि, थाने में भी, कोई जानकारी नहीं मिलती है तो क्या मैं गांव चला जाऊं ?
नहीं जतिन ! तुम अकेले गांव में नहीं जा सकते ,किसी ने पहचान लिया, तो कहीं लेने के देने ना पड़ जाएं।
यही सोचा होता, तो फिर हम आपके साथ कार्य ही क्यों करते ? हमारा तो काम ही ऐसा है, यह कहते हुए जतिन ने फोन काट दिया।
उधर कामिनी को चिंता हो रही थी, कहीं यह गांव न चला जाए, और यदि चला गया किसी ने पहचान लिया तो कोई छोड़ेगा नहीं , उसे साथ में किसी को लेना चाहिए था। मैं उसे वहां जाने से मना ही कर देती हूं यह सोचते हुए ,वह दोबारा जतिन को फोन लगाती है किंतु अब जतिन फोन नहीं उठा रहा था। जतिन थाने में हवलदार और अन्य लोगों से मिलता है ,उनसे बातचीत करता है और उस गांव के विवाह के विषय में चर्चा करता है लेकिन किसी को भी इस बात की जानकारी नहीं होती है। तब वह गांव में जाने का मन बना लेता है। जतिन को चलते-चलते लगभग आधा घंटा हो जाता है, तब जाकर उसे गांव के कुछ घर दिखलाई देते हैं। उसे यह देख और सुनकर आश्चर्य होता है वास्तव में ही, गांव में विवाह हो रहा है। बाजा भी बज रहा है, मेहमान भी आए हैं।
जब वह गांव के अंदर पहुंचा ,तो चढ़त हो रही थी। उसी भीड़ में, वह भी शामिल हो गया। मेहमानों को, पहचानना मुश्किल था, कौन किधर से है ? कौन लड़के वाला है और कौन लड़की वाला। जतिन ने भी अपना, फोन निकाला और उसमें धीरे-धीरे उस विवाह की सभी तस्वीरें, लेने लगा। घोड़ी पर जो दूल्हा बैठा था वह स्वयं 12या 13 बरस से ज्यादा का नहीं था।
जतिन अभी उस विवाह के फोटो खींच रहा था,साथ ही , वह सतर्क था कि कहीं कोई उसे देख न ले। आज के समय में सभी के हाथों में मोबाइल फोन होता है जतिन भी यही सोच रहा था किंतु अभी, गांव के लोगों में , मोबाइल फोन उनके हाथों में नहीं आया था। हाँ ,कुछ लोग ही होंगे ,जिनके पास फोन था ,हो सकता है ,ये लोग शहरों में रहते हों किन्तु इससे जतिन को ही लाभ हुआ ,इस बहाने वो विवाह की तस्वीरें लेने लगा ,ताकि सबको लगे इनका ही कोई रिश्तेदार होगा। वैसे विवाह फोटो खिंचवाने के लिए अलग से, फोटोग्राफर बुलाए गए थे।
जतिन मन ही मन प्रसन्न हो रहा था कि इन तस्वीरों को मैं कामिनी जी को भेज दूंगा। किन्तु अभी उसने दुल्हन को नहीं देखा था वह चाह रहा था कि कुछ दुल्हन की तस्वीरें भी ले ले। अभी तक तो ,उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया था ऐसा उसका सोचना था। तभी एक व्यक्ति उसके करीब आया और बोला -ये चढ़त कब तक होगी ?मुझे तो बड़ी थकान हो रही है नींद भी आ रही है।
मुझे नहीं मालूम विवाह का मामला है ,लोग मस्ती में हैं ,नाचते -गाते आगे बढ़ रहे हैं ,समय तो लगेगा ही......
मुझे ये शोर -शराबा पसंद नहीं ,बस घर जाकर एक बार उस बच्ची को देखकर,उसे कन्यादान दे वापस अपने घर जाना है। क्या कोई अन्य रास्ता है ?जिससे शीघ्र ही घर जा सकें।
मैं नहीं जानता जतिन ने जबाब दिया।
तभी एक व्यक्ति बोला ,जो वहीं खड़े होकर उनकी बातें सुन रहा था ,एकाएक बोल उठा -आपको बिटिया को देखने जाना है ,तो ये सामने जो गली है उससे सीधे चले जाइये ,जहाँ पर ये समाप्त होगी ,उसके दाएं में ही चौधरी साहब का घर आ जायेगा,कहकर वहां से चला गया।
आखिर वह व्यक्ति कौन था ? क्या जतिन ने यह जानने का प्रयास नहीं किया ? क्या जतिन, दृष्टि की तस्वीरें लेकर कामिनी को भेज पाएगा? आखिर में आदमी कौन है ? क्या यह इंस्पेक्टर की या गांव वालों की कोई चाल तो नहीं, चलिए आगे बढ़ते हैं -बालिका वधू के साथ !