Secret [part 1]

 सीक्रेट -

 'सीक्रेट' सबके अपने -अपने !

अब मैं क्या ? सीक्रेट बतलाऊँ !

 मेरी कोई ,वाइफ नहीं ,

 कैसे सीक्रेट समझाऊं ?

न ही, कोई सीक्रेट पति है। 

जो भी हैं ,ले देकर ये ही हैं। 


दोनों ही ,कभी हंसकर गुजार लेते हैं। 

तो कभी लड़ -झगड़ भी लेते हैं। 

रोना -हंसना ,लडना -झगड़ना ,

 साथ -साथ कर लेते हैं। 

कितनी बार इनसे कहा -

सीक्रेट की जरूरत नहीं ,

 घर का काम मुझ अकेली से होता नहीं। 

 एक और ले आओ !

वरना काम में हेल्प कराओ !

 एक से ही परेशान हो गया हूँ ,

दूसरी लाकर क्या करना है ?

और सिरदर्दी ,मैं चाहता नहीं ,

घर का काम मुझे आता नहीं। 

चक्की के एक पाट में उलझी  हूँ ,

दूसरा पाट ये लाते  नहीं ,

काम में भी हाथ बंटाते नहीं। 

सुकून -

रहस्य कोई अपना कैसे खोले ?

दूसरी पत्नी के विषय में ,कैसे बोले ?

फिर ये रहस्य कहाँ रह जायेगा ?

जिस प्रेम को छुपाया सबसे ,

 उजागर हो जायेगा। 

वह प्रेम ही क्या ?जो छुपाना पड़ जाये। 

परिस्थिति कैसी भी रही हो ?

एक नारी के प्रति अन्याय हो जायेगा। 

क्यों ,दूसरी के फेर में पड़ना ?

''सुकून '' कहीं  खो जायेगा।

महंगाई -

 महंगाई इतनी हो रही है,

पहली पत्नी ही नहीं, पल रही है। 

उसकी आवश्यकताएँ बढ़ रहीं हैं। 

दूसरी नारी को देख सिहर उठता हूँ। 

जब पहली का परिणाम देखता हूँ। 

 साज -सज्जा के बिल देखता हूँ। 

घरवालों की जब महंगी मांग देखता हूँ। 

दूजी भी आकर खर्चे बढ़ाएगी। 

वो क्या हवा -पानी पर जी जाएगी ?

मेरे पैसों पर ही इठलाएगी। 

धोखा -

 ये क्या सीक्रेट रखेगी ?

इसकी दुनिया ही बड़ी छोटी है,

 जो मेरे के इर्द -गिर्द घूमती है। 

यह मेरी धरा ,मैं आकाश इसका !

 इसके सभी ग्रह !मेरे चहुँ ओर दीखते हैं। 

 मन को क्यों मैला करना ?

कर्मों का परिणाम इसी जन्म में मिलता है।

'' धोखे ''का परिणाम धोखा ही मिलता है। 

जोड़े -

 जोड़े बनाये , ईश्वर ने,

सबके लिए एक -एक चुना है,साथी ! 

साथी रहे अंत तक ,यही रास्ता नेक !

दूजी की चाहत में ,धन ,ईमान डिगाना। 

यह राह ,नहीं है नेक !

सुख -चैन कहाँ मिल पाता है ? 

भटकता विभिन्न मार्गों पर ,

मिलता नहीं ,प्रभु !सामने हो छुप जाता है। 

सीक्रेट रखते -रखते सुकून भी छीन जाता है। 

 जो है ,समीप अपने !उसकी क़द्र करना सीखो !

मिले तुम्हें भी सीता सी , स्वयं तो राम बनना सीखो !




laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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