Khoobsurat [part 1]

एक लड़की डरी और सहमी सी, इधर-उधर देख रही थी, आगे बढ़ती जा रही थी।  उसके कंधे पर एक थैला लटका हुआ था। वह बहुत ही घबराई हुई थी ,साथ ही, उसकी नज़रें इधर-उधर किसी को ढूंढ़ रही थीं।बार -बार पीछे मुड़कर देखती ,जब कोई दिखलाई नहीं देता तो आगे बढ़ जाती किन्तु उसे अभी भी ,ऐसा एहसास हो रहा था, जैसे कोई तो उसका पीछा कर रहा है।अपने कदम तेजी से आगे बढ़ा रही थी। 

उसके दूसरे हाथ में, एक' कैनवास' है। उसको देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है, शायद वह इस कैनवा स को खरीद कर लाई है या फिर कोई पेंटिंग बनाने जा रही है किंतु उसे किस बात का डर है ? वह किससे  से डर रही है ? वह घबराते हुए , एक गली में घुस जाती है। उस गली में भी वह बार -बार पीछे मुड़कर देख लेती है। वह साधारण सी दिखने वाली लड़की न जाने क्यों और किससे डर रही थी ?


 जैसे ही, वह उस गली से बाहर निकली, तभी एक व्यक्ति उसके सामने आ जाता है और उसके करीब आने का प्रयास करता है वह उसे देखकर चिल्लाती है -कौन हो ?तुम !मेरा पीछा क्यों कर रहे हो ?इससे पहले की वो कुछ कहता ,उससे पहले ही वो, लगभग दूसरी दिशा में दौड़ने लगती है। उसके क़दमों की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी। कुछ दूर आगे जाकर उसने पीछे मुड़कर देखा, वह व्यक्ति भी, उसके पीछे आ रहा है, किंतु समझ नहीं आ रहा वह उसका पीछा क्यों कर रहा है ?
 
तभी वह पीछे से कहता है-सुनिए ! सुनिए ! आप इस तरह भाग क्यों नहीं हैं ? मैं कुछ नहीं करूंगा आपको अवश्य ही मेरे विषय में कोई गलतफहमी हुई होगी। 

देखिए !आप मेरा पीछा मत करिए !

मैं आपका पीछा नहीं कर रहा हूं, आपको अवश्य ही मेरे विषय में कोई गलतफहमी हुई है ,मैं तो आपका 'प्रशंसक' हूं आपसे बातचीत करना चाहता हूं।

 मुझे किसी से कोई बात नहीं करनी है, आप यहां से चले जाइए ! लग रहा था, उस लड़की को जैसे किसी पर विश्वास ही नहीं रहा और न ही वह किसी पर विश्वास करना चाहती है और इस सबसे दूर जाना चाहती है।

 देखिए !आप मेरी बात एक बार सुन लीजिए, आपको मुझसे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। 

नहीं, तुम यहां से चले जाओ ! कहते हुए वह सड़क से होती हुई, कच्चे रास्ते पर आ जाती है और वहां से पेड़ों की आड़ में छिप जाती है। वहां पर एक बहुत खूबसूरत बगीचा है, जिसमें फल और सब्जियों के बहुत सारे पेड़ लगे हुए हैं, वह उस बगीचे के अंदर प्रवेश कर जाती है।

 वह व्यक्ति समझ नहीं पाता है कि मुझे इसके पीछे जाना चाहिए, या वापस चले जाना चाहिए। वह थोड़ी देर वहीं उसकी प्रतीक्षा करता है, वह उसके पीछे भी नहीं जाना चाहता , हो सकता है और दूर चली जाए और सोचता है -कभी तो बाहर निकलकर आएगी तभी उससे मुलाकात होगी कुछ देर प्रतीक्षा करने के पश्चात वह वापस जाने के लिए मुड़ता है ,तभी वह लड़की चीखती हुई ,उन पेड़ों के झुरमुटों से निकलकर चिल्लाती हुई बाहर आई - मुझे बचाओ ! मैंने कुछ नहीं किया, बदहवास सी सड़क पर दौड़ने लगती है । 

वह व्यक्ति अपने स्थान पर खड़े -खड़े उसे अपनी ओर दौड़कर आते हुए देख रहा था ,जब वो क़रीब आई तो उससे पूछा -क्या हुआ है ? वो हाथ के इशारे से पीछे की तरफ इशारा करती है ,जैसे उसके पीछे कोई है किन्तु उस व्यक्ति को वहां पर कोई ,दिखलाई भी नहीं दे रहा था। उस लड़की की घबराहट को देख ,तब वह उसके और करीब आ जाता है, और उस लड़की से पूछता है-क्या हुआ ?

वहां वो..... वो.....  वो.... कहते हुए, वह बेहोश होकर गिरने लगती है, तभी वह व्यक्ति उसे अपनी बाहों में संभाल लेता है और सोचता है - आखिर यहां क्या हुआ है ?गोद में उठाकर उसको आगे बढ़ता है, किसी वाहन की तलाश में इधर-उधर देखता है तभी उसे एक गाड़ी आते हुए दिखलाई देती है, वह उस गाड़ी को रोकता है, और उसे अपना 'आईडी कार्ड' दिखलाता है और उस लड़की को, उस गाड़ी में बिठाकर वहां से चला जाता है। 

दूर कहीं, एक शहर में ,'कलाकृतियों' की प्रदर्शनी लगी हुई है, वहां पर बहुत सारे स्त्री -पुरुष, लड़के-लड़की  उन कलाकृतियों का आनंद ले रहे हैं, उन्हें देख रहे हैं। जो कला के पारखी हैं, वे उन कलाकृतियों को अपनी नजरों से परख रहे हैं। एक कलाकृति ऐसी थी, जिसने सबका ध्यान अपनी और आकर्षित कर लिया था, कितनी खूबसूरत पेंटिंग है ? एक महिला ने अपने पति से कहा। 

तुम सही कह रही हो ? ऐसा लगता है जैसे इसमें किसी ने जान डाल दी है, अभी यह बोल पड़ेगी, कितनी बारीकी से इस कलाकृति को उकेरा गया है। 

कमाल की कलाकृति है, चार-पांच लड़कों का समूह था, जो उस कलाकृति को देखकर उस पर मोहित हो रहा था, इसका 'रंग संयोजन 'कमाल का  है ?

तभी एक बोला -यह कलाकृति किसने बनाई है ? देखो तो जरा ! ऐसी कला की हम क़द्र करते हैं ,हम उन्हें अपने ये गले का हार देंगे। 

कहाँ है ?वो हार ! नाम बताने पर मुझे दे देना। तब वो आगे बढ़कर उस कलाकृति के कोने में बारीक़ से अक्षरों में लिखे,उस नाम को देखता है और अपने दोस्तों से कहता है -ये तो कोई ''तमन्ना ''है। 

''तमन्ना ''वाह ! नाम भी कितना प्यारा है ?'तमन्ना..... !जैसे दिल की गहराइयों में उतर गया। कुमार वैसे ये बता !उसकी क्या तमन्ना होगी ? जो अधूरी रह गयी होगी। 

अब तो उसकी यही 'तमन्ना' होगी ,उसे मेरे जैसा सुंदर नौजवान मिल जाये, हँसते हुए साहिल ने कहा। 

क्या बात करता है ?वो तुझे क्यों पसंद करने लगी ? हम क्या मर गए हैं ?तुझे तो इन कलाकृतियों कोई दिलचस्पी भी नहीं है ,वो तो मेरे कहने पर तुम लोग यहाँ आये हो, विभोर ने कहा। 

कलाकृति में कोई दिलचस्पी नहीं है ,तो क्या ? इस कलाकृति को उकेरने वाली में तो दिलचस्पी हो सकती है।

 तुम लोग, यहाँ ये प्रदर्शनी देखने आये हो या उस कलाकार को ,माना कि' तमन्ना' नाम से ही पता चलता है ये तस्वीर किसी लड़की ने बनाई है, सोचो !तो जरा !जिसका नाम इतना सुंदर है ,उसकी बनाई ये कलाकृति और भी खूबसूरत है ,तब वो कितनी खूबसूरत होगी ? 

ओ..... देवदास ! अपनी कल्पनाओं से बाहर आओ ! क्या तुम जानते हो ? कि वो एक लड़की ही है या फिर एक शादीशुदा महिला भी तो हो सकती है ,ये भी हो सकता है ,कोई अधेड़ उम्र ही हो संयम ने उन्हें समझाया। 

नहीं, इतनी सुंदर कलाकृति कोई सुंदर जवान लड़की ही बना सकती है ,उसके हाथों में तो जैसे जादू है ,उससे मिलना ही पड़ेगा। 

 अनजान ड़र से भयभीत लड़की आखिर कौन थी ?उसका पीछा कौन कर  रहा था ? क्या वो वास्तव में ही उसे हानि पहुंचना चाहता था। 'तमन्ना 'एक अच्छी कलाकार है ,क्या वो एक लड़की या फिर कुमार के दोस्तों के आधार पर कोई अधेड़ उम्र महिला ,या फिर शादीशुदा ! इस बात का पता लगाने के लिए हमें आगे बढ़ना होगा किन्तु आप इस कहानी को आगे बढ़ने में अपना सहयोग दीजिये !और अपनी समीक्षाओ ं द्वारा बताइये कहानी कैसी लगी ?

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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