Sazishen [part 99]

अगले दिन जब नीलिमा उठी तो मन में कोई उत्साह नहीं था ,कुछ थकावट का भी असर था। उसे रह -रहकर अपनी बेटी की याद सता रही थी और वो सोच रही थी -काश ! यहां पर शिवांगी ही होती तो  मन बहल जाता ,एक बेटी गयी तो दूसरी पास में है,यह संतोष तो रहता किंतु शिवांगी ने अपने आने के विषय में कुछ बताया ही नहीं हमने भी तो, उसे नहीं बताया - कि अचानक ही, उसकी दीदी का विवाह तय हुआ और हमने उसकी शादी कर दी। सोच रही थी -आज मैं उसे फोन करके संपूर्ण सच्चाई बतला दूंगी। आज काम पर जाने का मन नहीं था। मिसेज खन्ना उसकी राह देख रहीं होगीं , मन ही मन सोच रही थी ,आज तो उन्हें एक' नया मसाला' मिल जाएगा और मन ही मन मुस्कुरा दी। तभी उसके कानों में आवाज पड़ी -मम्मा  !

नीलिमा सोच रही थी, मुझे अपने बच्चों की इतनी आदत पड़ गई है ,आजकल मेरे कान भी बजने लगे हैं मुझे अपनी बेटी के स्वर सुनाई दे रहे हैं, फिर से उसके कानों में आवाज पड़ी -मम्मा !



अबकी बार उससे रुका नहीं गया और उसने पलट कर देखा तो सामने, शिवांगी खड़ी थी, उसके देखते ही शिवांगी  दौड़कर आई और अपनी मां से लिपट गई। मम्मा  मैं आपको कितना मिस कर रही थी ?वह बोली। 

तू इस तरह अचानक, तूने अपने आने की कोई खबर भी नहीं दी, मैं भी तो अपनी बेटी को 'मिस 'कर रही थी ,कहते हुए नीलिमा की आँखें नम हो आईं ,आज भगवान से शायद ,कुछ और भी मांगती तो वह भी मिल जाता। अपने को संयत कर बोली -बेटा !पहले बताना तो चाहिए था ,मैं आ रही हूँ। 

इसमें क्या बताना ?जब मुझे सरप्राइज देना था ,इसमें बताकर भी क्या हो जाता ?आप मुझे एयरपोर्ट लेने तब भी नहीं आ पातीं। 

अच्छा जी ,अब हमारी बेटी हमें सरप्राइज देगी, कहते हुए नीलिमा रसोई घर में गई और शिवांगी के लिए कॉफी बनाने लगी। 

मम्मा ! मैं आप लोगों को बहुत मिस कर रही थी और तब मैंने सोचा -आप लोग तो यूरोप ट्रिप पर आ नहीं रहे थे,तब मैंने सोचा -क्यों न ,मैं ही आप लोगों को सरप्राइज दे देती हूं ,ठीक है ,बेटे !!!!!हमें तुम्हारा सरप्राइज अच्छा लगा , मुस्कुराते हुए नीलिमा बोली -ले अब तू कॉफी पी !

और मम्मा घर में सब कैसे हैं ?

बस ,तुम्हें सरप्राइज देने की तैयारी में हैं, मुस्कुराते हुए नीलिमा ने जवाब दिया। 

मतलब !मैं कुछ समझी नहीं ,शिवांगी ने उत्सुकतावश पूछा। 

 समझ जाओगी !कहते हुए नीलिमा हंसी और बोली -हमने भी तुम्हारे लिए एक सरप्राइज रखा है। 

 कहां है ? दिखाओ !

वह शाम को मिलेगा, नीलिमा विश्वास के साथ बोली। 

अच्छा, और यह मेरा भाई , अब कैसा है ? दीदी, कहाँ हैं ?कहीं दिखाई नहीं दे रहीं, क्या कहीं गई हैं  ?

हां, वही तो सरप्राइज है। 

मतलब ! अब मतलब वतलब कुछ नहीं, अपने कपड़े बदलो !अपना सामान रखो ! शाम को एक बढ़िया पार्टी होगी, उसमें जाना है,क्या तुम्हारे पास पार्टी में जाने के लिए कपड़े हैं ? 

वाह !आते ही पार्टी का मजा, किसके यहां और कहां जाना है ?

 यह तो तुम्हें वहां पहुंचकर ही पता चलेगा। 

शिवांगी ने पार्टी में जाने के लिए वन पीस पहना था और नीलिमा ने भी ,एक बहुत सुंदर और महंगी साड़ी पहनी थी।

 वाह ,मम्मा !आपने यह बहुत दिनों बाद यह साड़ी निकाली है, क्या ग्रैंड पार्टी है ? किंतु दीदी क्यों नहीं आई ?क्या उन्हें हमारे साथ नहीं चलना है ? 

तुम्हारी दीदी वही मिलेगी, नीलिमा हंसते हुए बोली-अच्छा बता ,मैं इस साड़ी पर कौन सा सेट पहनू?

 मुझे तो लगता है, जिस तरह से आप तैयार हो रही हैं , वहां हमें ही पूछा जाएगा। दीदी, वहां पहले ही पहुंच गई। तीनों तैयार होकर घर से निकल जाते हैं। उसका बेटा कुछ भी कहता नहीं है किंतु मां जैसा करती है, वैसे ही चुपचाप करवा लेता है। नीलिमा को लाने के लिए एक गाड़ी, पहले ही आ गई थी। जब वे लोग, उस स्थान पर पहुंचते हैं, वहां की सजावट और धूमधाम और लोगों को देखकर, शिवांगी आश्चर्य चकित रह  जाती है। नीलिमा तो पहले से ही जानती थी, वह सीधे उस घर में प्रवेश करती है। आज उसे किसी गार्ड ने   नहीं रोका, क्योंकि स्वयं सेठ जी की गाड़ी उसे लेने आई थी। इतनी बड़ी पार्टी देखकर ,शिवांगी आश्चर्यचकित रह गई आखिर इसमें मेरे लिए सरप्राइज क्या है ? वह अपनी नज़रें, उस भीड़ में घूम रही थीं  उसकी नजरें अपनी दीदी को ढूंढ़ रहीं थीं। मंच पर, कुछ कलाकार अपने गायन और नृत्य का प्रदर्शन  कर रहे थे। कुछ हंसी के चुटकुले सुना रहे थे कुछ देर बाद, घोषणा होती है, मंच पर दूल्हा -दुल्हन आ रहे हैं।और मधुर धीमा संगीत बजने लगता है। 

 तभी सामने लगी ,स्क्रीन पर चित्र प्रस्तुत होने लगते हैं , जिसमें दूल्हा-दुल्हन को आते हुए दिखलाया जाता है। नीलिमा दिल ही दिल में खुश होते हुए, शिवांगी से कहती है -देखो !तुम्हारा सरप्राइज ! शिवांगी तो देखती  कि देखती ही रह जाती है, उसे इतने बड़े सरप्राइज की उम्मीद भी नहीं थी उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं किंतु क्या यह आंसू उसकी खुशी के थे या दुख के, वह स्वयं की समझ नहीं पाई। किंतु उसकी आवाज कांपने लगी और बोली -आपने सच में ही मुझे ,बहुत बड़ा सरप्राइज दे दिया जिसकी मुझे उम्मीद भी नहीं थी। क्या ये सच है ?सामने देखते हुए शिवांगी ने पूछा। 

हाँ ,तुम खड़ी क्यों हो गयीं ?बैठकर देखो !

यह लड़का...... यह लड़का कौन है ?

यह ''जावेरी प्रसाद जी' का, इकलौता बेटा ' तुषार' है, इनका गारमेंट्स का व्यापार है, हमारी कल्पना ने भी फैशन डिजाइनिंग का, कोर्स करके इन्हीं की कंपनी में लगी हुई थी। दोनों साथ में ही काम करते थे, इसलिए दोनों की एक दूसरे से पहचान हो गई। इन्होंने तो कभी एक दूसरे से कुछ कहा ही नहीं किंतु मैंने ही शुरुआत कर दी ,जब मुझे पता चला, कि यह जावेरी प्रसाद जी का लड़का है, तब मैंने सोचा - कल्पना के लिए इससे बेहतर लड़का कहां मिलेगा ? शिवांगी जितना प्रसन्न हो रही थी, उतना ही अब वह उदास हो गई किंतु मम्मी को इस बात का पता ना चले , वह अपने चेहरे पर ऐसा कोई भी भाव लाना नहीं चाहती थी। मैं अभी आई ,यह कहते हुए वह वहां से चली गई। नीलिमा मन ही मन सोच रही थी -शायद अपनी बहन से मिलने के लिए उतावली हो रही है। 

शिवांगी वॉशरूम में गई थी, वहां जाकर वह जोर-जोर से रो रही थी, यह क्या हुआ ? तुषार ने , मेरे साथ ऐसा क्यों किया ? और वह भी मेरी दीदी ! मैं तो खुशी-खुशी, इंडिया में इसीलिए आई थी कि तुमसे मुलाकात होगी, किंतु यह क्या मुलाकात हुई ? तुमने तो मेरा सपना ही तोड़ दिया। तभी उसे किसी के आने की आहट महसूस हुई और वह अपना मुंह धोने का अभिनय करने लगी उसने अपने हाथ धोएं ,चेहरा ठीक किया और बाहर आ गई। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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