Sazishen [part 100]

अभी तक आपने पढ़ा ,निलिमा की बेटी, कल्पना का विवाह तुषार से हो जाता है ,कल्पना जब उस घर में पहुंचती है ,तब उसे इस बात से आश्चर्य होता है कि तुषार की माँ और कोई नहीं, बल्कि चांदनी ही है या फिर उनके घर की नौकरानी चम्पा !

वह उस घर  में  यानि  अपनी ससुराल में घूंघट डालकर प्रवेश करती है जो घूंघट उसने शरारत  में और बहू होने के नाते, अपने चेहरे पर डाला था, अब उसे लग रहा है, यह उसका बचाव कर गया,हो सकता है ,ये कल्पना को पहचान,उसके ग्रहप्रवेश में बाधा डालती। 

इधर चांदनीभी , तुषार के वापस घर आने से प्रसन्न नहीं थी, और साथ में वह बहू भी लेकर आया है, उसे , उनके आने में कोई दिलचस्पी नहीं थी इसलिए वह कल्पना का घूंघट खोलकर भी नहीं देखती कि इस घुंघट के पीछे कौन है ? 


अगले दिन ,शाम को जावेरीप्रसाद जी, अपने बेटे के विवाह की खुशी में, बहुत बड़ी पार्टी देते हैं, जिसमें उनके सभी जानने वाले और रिश्तेदार आते हैं , ताकि होने वाली बहू का, परिचय भी उनसे करवा सकें , यह सब उन्होंने नीलिमा की जानकारी में रहते हुए किया था। नीलिमा चाहती थी ,उसकी बेटी का विवाह ''जावेरी प्रसाद ''के बेटे तुषार से हो जाये और जावेरी प्रसाद जी चाहते थे -उनका रूठा हुआ बेटा ,घर वापस आ जाये। 

नीलिमा की दूसरी बेटी शिवांगी  विदेश में रहती थी किंतु उसे यह नहीं मालूम था कि उसकी बहन कल्पना का उसके पीछे विवाह हो गया है और यह सब इतना शीघ्रता से हुआ कि उसे बुलाया भी नहीं गया किंतु वह अपने परिवार को आश्चर्यचकित करने के लिए, जब अपने घर पहुंचती है तो उसे बहुत आश्चर्य होता है कि उसकी बहन का विवाह हो गया है और वह अपनी मां के साथ शाम को उस पार्टी में पहुंचती है, जहां अनेक धनाढ्य परिवार के लोग आए हुए थे। 

किंतु जब शिवांगी, पर्दे पर देखती है, कि उसकी बहन का पति तुषार और कोई नहीं उसका दोस्त तुषार ही है,  जिससे वह मन ही मन प्रेम करती आई है और अपने हृदय की बात बताने के लिए , अपनी मां और बहन से मिलवाने के लिए वह उससे 'इंडिया' मिलने आई है। यह देखकर उसे बहुत दुख होता है, जिसके सपने वह वर्षों से सजा रही थी, उसने अब उसकी बड़ी बहन कल्पना से ही, विवाह कर लिया है , उसके मन के भाव चेहरे पर न आएं , उसकी मां ,उसके दर्द को समझ न सके इसीलिए वह बहाने से वहां से चली जाती है। इस बीच मिसेज खन्ना जो जावेरी प्रसाद जी की पड़ोसन हैं , पड़ोसन होने के नाते , वह भी पार्टी में आती हैं यह देखकर आश्चर्यचकित रह जाती हैं कि उस पार्टी में नीलिमा भी आई हुई है। वह यह सोचती हैं -कि यह मेरे घर तो आई नहीं और यहां पार्टी में शामिल होने आई है। इससे तो चांदनी बहुत चिढ़ती है, तब इसे इस पार्टी में किसने बुलाया ? यह सोचते हुए वह नीलिमा पास जाती है और उससे पूछती है -आज तुम नहीं आईं , और यहां इस पार्टी में तुम्हें किसने बुलाया ?

यह पार्टी मेरे लिए विशेष है, नीलिमा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। 

क्यों ?ऐसी क्या ख़ास बात है ?

क्योंकि जो इनका लड़का तुषार है, वह मेरा दामाद है , यह सुनकर मिसेज खन्ना को ,एक बार को तो लगता है ,जैसे उन्हें चक्कर आ जाएगा फिर उन्हें सोचा, इतना पैसा देखकर , इसकी हालत खराब हो गई है ,इसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। यह सोचकर बोली -क्या बात कर रही हो ? झूठ ही बोलना था तो कोई अच्छा सा झूठ बोल देती, यह तो किसी को भी हजम नहीं होगा। मेरे यहां जो काम करती है, उसकी बेटी, मेरे पड़ोसी'' जावेरी खानदान'' की बहू बनी हुई है। यह कहते कहते उसकी आवाज थोड़ी तीव्र  हो गई थी। क्रोधित होने के कारण अपने नौकरों में वैसे ही प्रसिद्ध रही है किन्तु उसने कभी नीलिमा पर अपना क्रोध ज़ाहिर नहीं किया क्योंकि वो नीलिमा की शर्तों से बंधी थी किन्तु आज इस समय ऐसे वातावरण में शायद अपनी शर्त भुला चुकी थी ,उसे इस बात से क्रोध था कि नीलिमा उससे इतना बड़ा झूठ कैसे बोल सकती है ?

हां, यही सही है, तभी उसकी सखियों ने उसे देखा और वह उनकी तरफ देखकर कहने व्यंग्य से बोली - क्या आप लोग जानती हैं ? यह मेरे घर में जो काम करती है ,नीलिमा ! कह रही है -इसकी बेटी, इस खानदान की बहू बनी है और तुषार इसका  दामाद ! कितना बड़ा मजाक कर रही है ?

हम तो पहले ही कहते थे, तुमने ही इसे सिर पर चढ़ाया हुआ था। जैसी यह दिखती है ,वैसी है, नहीं '' अपनी मां के आसपास इतनी भीड़ देखकर, शिवांगी भी करीब आती है, और वह यह जानना चाहती है कि आखिर यहां क्या हो रहा है ? उसने देखा कि एक महिला, उसकी मां से बात कर रही है किन्तु उसके शब्दों से लग रहा है कि वह उनका अपमान कर रही है। 

तभी शिवांगी आ गया और कहती है- मेरी मम्मा , से इस तरह बात करने का आपको कोई हक नहीं है। यह मेरी बहन की शादी का रिसेप्शन है कृपया करके इसे बिगाड़िये मत , कहते हुए अपनी मां को लेकर वहां से निकलने का प्रयास करती है। 

चलते समय नीलिमा बोली -मैं झूठ नहीं बोलती ,आप भी यहीं हैं और मैं भी...... सच्चाई स्वतः ही सामने आ जाएगी।

 नाराज होते हुए शिवांगी नीलिमा से पूछती  है -मम्मा !ये औरत क्या कह रही थी ? आप क्या कर रही थी ? क्या आप इस महिला के घर की नौकरानी बनी थीं ?

पहले नीलिमा शांत रहती है ,उसे मिसेज खन्ना से ऐसी उम्मीद नहीं थी कि वो मेरी सच्चाई बताने पर ऐसी प्रतिक्रिया देंगी। जब शिवांगी उससे बार -बार यही प्रश्न करती है,तब गहरी स्वांस लेते हुए नीलिमा शिवांगी को समझाने के उद्देश्य से कहती है -  मुझे काम तो कहीं न कहीं करना ही था, जो भी कोई कहीं भी नौकरी करता है छोटी है या बड़ी है, पर नौकर तो होता ही है। कोई घर में काम करता है कोई बाहर विदेश में काम करता है कोई कंपनियों में काम करता है। वह सभी नौकर ही होते हैं। मेरा मिसेज खन्ना के घर नौकरी करने का मेरा, एक अलग ही उद्देश्य था। 

उनके यहां नौकरी करने का आपका क्या उद्देश्य हो सकता है  ? 

वह शीघ्र तुझे पता चल जाएगा, पहले अपनी बहन के इस कार्यक्रम को तो होने दे !

शिवांगी समझ गई थी, मम्मा अवश्य ही ,कुछ न कुछ बात मुझसे छुपा रही हैं  और यदि उन्होंने यहां पर नौकरी की है तो इसके पीछे उनका कुछ उद्देश्य तो रहा होगा वरना ऐसा कदम में कदापि नहीं उठातीं। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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