Rasiya [part 93]

चतुर 'टेलीफोन बूथ' से, अपने फोटोग्राफर दोस्त ! बिजनेस पार्टनर, नितिन को फोन लगाता है। किंतु कोई फोन उठा ही नहीं रहा था ,न जाने कहाँ चला गया ?दूसरी बार प्रयास करता है ,बहुत देर तक घंटी बजती रही तब जाकर,उसने फोन उठाया और पूछा -तू ,कहां से फोन कर रहा है ?बड़ी मुश्किल से नितिन ने फोन उठाया था और जब फोन लगा तो घबराए हुए नितिन ,की आवाज उसे सुनाई दी। चतुर सोचने लगा -इसे  आखिरी से क्या हुआ है ,यह घबराया हुआ क्यों है?

तब घबराहट भरे स्वर में नितिन ने कहा -तुम जहाँ भी हो वहीँ रहना ,तुम यहां मत आना। मैं भी छुप गया हूं। 

 आखिर हुआ क्या है ?चतुर जानना चाहता था। 

किसी ने हमारे खिलाफ़  रिपोर्ट  कर दी है। 

रिपोर्ट !कैसी रिपोर्ट ?चतुर कुछ भी न समझते हुए बोला। 


जो काम हम करते है ,उसके विरुद्ध !अब पुलिस हमारे पीछे पड़ी है ,जब मुझे पता चला ,मैंने अपने दफ्तर को लगभग ख़ाली कर दिया। जो भी आवश्यक कागजात थे  ,सभी छुपा दिए हैंया जला दिए हैं।  तुम भी यहां मत आना वरना पकड़े जाओगे ! यह कहकर उसने तुरंत ही फोन काट दिया।

 नितिन की बात सुनकर चतुर आश्चर्यचकित रह गया आखिर !यह क्या हो गया ?वह कौन सी लड़की हो सकती है ?उसने तो न जाने क्या-क्या सोचा था ?एकदम से घबरा गया अब वह क्या करें, कहां जाए किससे  बात करें ?ये अच्छा है ,मेरे विषय में कोई नहीं जानता वरना रंग में भंग पड़ जाता। घर में तो किसी को कुछ भी पता नहीं है। 

तभी सोचता है, आखिर में इतना क्यों घबरा रहा हूं ?घबराहट में, एक बगीचे में बैठ जाता है, और सोचता है कि आखिर में क्यों इतना घबरा रहा हूं। उनके पास ,मेरे विरुद्ध कोई सबूत ही हाथ नहीं लगेगा। आधे से ज्यादा लोग तो मेरा असली नाम भी नहीं जानते, कुछ दिन मुझे अब यहीं  रहना होगा ,अपनी पहचान छुपाने होगी। 'अपने ही लोगों से भला ,अपनी ही पहचान कैसे छुपाई जा सकती है ?हम जब भी ,लड़कियों से मिलते थे अपने मास्क लगाकर रखते थे। 

धीरे-धीरे अपने विचारों के माध्यम से चतुर ने अपने को समझा लिया। तर्क द्वारा अपने आप को ही ,समझा  रहा था। अभी मैं कुछ दिन ,अपने बेटे और अपनी पत्नी के साथ ,अपने परिवार के साथ यही रहूंगा। तब भी उसे घबराहट होती है ? 'चोर कितना भी शातिर क्यों न हो ?कुछ न कुछ निशान छोड़ जाता है। ''ऐसा कुछ पुलिस वालों का कहना है। मेरे विरुद्ध कोई सबूत तो नहीं होगा। मेरी कोई तस्वीर........  तभी उसे स्मरण हुआ। रूपाली के साथ मेरी कुछ तस्वीरें थीं । अब क्या होगा ? घबराहट में वह इधर-उधर टहलने लगा,पसीने आ गए। 

 अपने बचाव के लिए ,सोचा - दोबारा फोन करके पूछ लेता हूं किंतु हो सकता है, नितिन वहां से गायब हो गया हो। वह भी घबराया हुआ था , हो सकता है, अबकी बार पुलिस ही फोन उठाएं ! न जाने वह कहां होगा ? यह सब क्या हो गया ? क्या सोचा था, क्या हो गया ? सोच रहा था- जब तक कहीं  कोई नौकरी नहीं लग जाती है ,तब तक मैं इसी तरह, आगे बढ़ता रहूंगा। कौन, लड़की हो सकती है ? जो इतने डराने- धमकाने के पश्चात भी वह पुलिस में चली गई शायद ,रुपाली तो नहीं ,नहीं वो नहीं हो सकती ,वो तो मुझसे प्यार करती है ,वो ऐसा कर ही नहीं सकती ,यदि उसे करना भी होता तो ,बहुत पहले कर चुकी होती।मन और विचार उसे,कई महीने पीछे लेजाकर घुमा रहे थे। आखिर ,कौन हो सकती है ,तभी उसे स्मरण हुआ ,जब एक लड़की उनसे लड़ने आई थी ,अपनी सहेली के बचाव के लिए ,हाँ ,यह वही लड़की हो सकती है।  मन ही मन सोच रहा था , जो हमें धमकी देने आई थी,उस पर जाकर ही,उसके विचार स्थिर हो गए। 

पास में ही एक दुकान खुली थी, उसने  एक ठंडे की बोतल ली , तब दुकान में आस -पास नजरें दौड़ाता है ,कुछ तो ढूंढ़ रहा है। न जाने क्या ?उसकी हालत वो स्वयं ही नहीं जान पा रहा था कि वो क्या खोज रहा है ?तब अखबार वाले से ,एक अखबार भी लेता है , हो सकता है, कोई काम की, खबर हो ! जैसे ही उसने, समाचार पत्र खोला, एक खबर पर उसकी दृष्टि जम गई,वह वापस अपने स्थान पर आया और उस खबर को विस्तार से पढ़ने लगा। ख़बर पढ़कर वह उछल पड़ा।'' यह तो हमारे विषय में ही है, किसी लड़की ने की शिकायत के आधार पर पुलिस ने, नितिन के  स्टूडियो पर छापा मारा , वैसे उन्हें वहां से कुछ भी नहीं मिला। पुलिस को शक है कि इसमें कई लोग शामिल हैं। दो-तीन नाम सामने आए हैं, नितिन और जतिन ! उनकी कोई पहचान नहीं हो पाई है , क्योंकि वह चेहरे को ढके रखते थे। जतिन को शायद कुछ लड़कियों ने देखा है , किंतु कोई भी ऐसी लड़की सामने नहीं आई है , जो जतिन के विषय में बतला सके। आखिर यह जतिन कौन है ? नवीन से कैसे मिला ? और क्या करता है कहां का रहने वाला है ? कोई कुछ नहीं जानता।'' उस खबर को पढ़कर चुतर मन ही मन मुस्कुराया ,इस सूचना के आधार पर वह अपने को सुरक्षित महसूस कर रहा था। जब कोई सुबूत होगा तो पुलिस क्या करेगी ?कुछ दिन धक्के खाकर बैठ जाएगी।  जतिन और कोई नहीं, चतुर ही तो है। पुलिस ढूंढती रहे, कोई लाभ नहीं होगा। क्योंकि मेरे गांव में भी कोई जतिन नहीं रहता ,सोचते हुए, बेफिक्र होकर, चतुर अपने गांव की ओर बढ़ चला। 

यह सूचना रूपाली ने भी पढ़ी  थी, यह खबर पढ़ कर रूपाली का दिल बहुत दुखा , क्योंकि उसे इस बात का दुख था उसने किसी ऐसे को अनजाने में ही अपना समझ लिया था। जिसकी रग रग में फरेब था। वह जानती है ,यह जतिन चतुर ही होगा  किंतु किस गांव से है ?यह आज तक उसे भी नहीं पता चला। उसकी तस्वीर जतिन के पास हैं या नितिन के पास या पुलिस के पास हैं। एक मन में आया कि पुलिस को सब सच-सच बता दे , जतिन और कोई नहीं ,उनके कॉलेज का लड़का चतुर ही है , फिर सोचा जब वह इतना शातिर है। वह कॉलेज में भी नहीं होगा, मेरे घर वालों को भी, इस विषय में पता चल जाएगा ,बदनामी हो जाएगी आगे किसी भी परिस्थिति में, कहीं भी मुझे नौकरी नहीं मिलेगी न जाने, कितनी बातें सोचते हुए, रूपाली शांत रही। मन ही मन उस लड़की के लिए अच्छा सोच रही थी उसे दुआ दे रही थी कि वह अपने, कार्य में सफल हो !किंतु स्वयं वह साहस नहीं जुटा पाई. जो नंदिनी कर रही थी क्योंकि उसकी मां उसके साथ थी। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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