Rasiya [part 92 ]

चड्ढा साहब !क्या  हुआ ?कुछ परेशान नजर आ रहे हैं। 

जी...... अब क्या बताऊँ ?बड़ा ही परेशान हूँ। 

वही  तो मैं ,आपसे जानना चाहता हूँ ,बगीचे में टहलते हुए ,इंस्पेक्टर कपिल ने ,अपने पडोसी चड्ढा साहब !से पूछा। 

अब ,आपको क्या बताऊं ?नंदिनी कुछ दिनों से परेशां रहती है। हमने सोचा ,पढ़ाई के दबाब के कारण परेशान  होगी किन्तु लगता है ,बात कुछ और ही है ,न ही कुछ खाती -पीती है और चिड़चिड़ी सी हो गयी है। 

आप और भाभीजी उसे अपने विश्वास में लाइए ,और उससे पूछिए ! किसी ने उससे कुछ कहा है ,या कोई उसे परेशान कर रहा है। 


वो तो हम उससे ,सब पूछ चुके हैं किन्तु कुछ भी नहीं बताती। 

तभी इंस्पेक्टर कपिल को कुछ स्मरण हुआ और बोले  -हाँ ,कुछ ऐसे केस सुनने में आ रहे हैं ,कुछ लड़कियों को मानसिक व शारीरिक रूप से परेशान किया जा रहा है किन्तु लड़कियों का मामला है कोई रिपोर्ट ही नहीं कर रहा है किन्तु हमारी जानकारी में ,एक ऐसा गिरोह सक्रिय है किन्तु कोई उनकी रिपोर्ट तो करे और कौन लोग उसमें शामिल हैं ?इसकी जानकारी कहीं से भी मिल जाये ,तो उनको छोड़ेंगे नहीं ,किन्तु हमारे यहाँ लड़की की बदनामी के डर से कोई रिपोर्ट नहीं करता। बेचारी लड़कियां भी ,समाज और माता -पिता के डर से ,या फिर उन्हीं लोगों ने उन्हें डरा रखा हो। कुछ भी हो सकता है। 

क्या इंस्पेक्टर साहब !इतनी जानकारी के बावजूद भी आप लोग ,उन बदमाशों को पकड़ नहीं सकते। 

हमारे हाथ में कुछ नहीं होता ,हम ऐसे ही किसी पर ऐसे ही हाथ नहीं डाल सकते ,ऐसे लोगों की पहुंच भी दूर -दूर तक होती है ,तब हम पर ऊपरी दबाब बन जाता है। कोई भी लड़की या फिर उसके माता -पिता शिकायत लेकर आएं और रिपोर्ट लिखवाएं तो हम उनको छोड़ेंगे नहीं। वैसे ,आप भी बेटी से, प्यार से पूछियेगा ,समाज में ऐसी नकारात्मक प्रवृत्ति के लोग बहुत फैले हुए हैं । हो सकता है ,किसी गिरोह का काम न हो, कोई लड़का ही उसे परेशां कर रहा हो। 

जी आपने सही कहा ,आज उससे खुलकर बात करता हूँ किन्तु जब बेटी के विषय में कुछ ऐसा सोचना चाहा ,तो सोच न सके ,ड़र से काँप उठे ,यदि उसके साथ ऐसा ही कुछ हुआ होगा तो....... आगे सोचने का साहस ही नहीं जुटा पा रहे थे। अच्छा ! अब मैं चलता हूँ। 

आप ही क्यों ?हम भी तो आपके साथ ही चल रहे हैं ,इंस्पेक्टर साहब ! वापस मुड़ते हुए बोले।  

घर आकर चड्ढा साहब ने अख़बार उठाया और खबरें पढ़ने लगे ,तभी एक खबर पर उनकी दृष्टि गयी। दिन -दहाड़े चार लोगों ने एक लड़की को उठाया ,उन्होंने सूचना पढ़नी आरम्भ की -'एक लड़की कॉलिज जा रही थी ,तभी चार लड़के आये और उस लड़की को जबरन उठाकर गाड़ी में बैठाया और चलते बने ,वहां की जनता इस घटना को ,मूक दर्शक की तरह खड़ी देखती रही किसी ने भी उस लड़की को बचाने का प्रयास भी नहीं किया। उस खबर को पढ़कर ,उन्हें क्रोध आया और बोले -''क्या जमाना आ गया है ?आजकल बहन -बेटियां भी सुरक्षित नहीं है। लोगों की रगो में अब लहू नहीं ,पानी दौड़ रहा है। ''

क्या हुआ ?कैसे परेशान हो ,उनकी पत्नी अंदर से चाय की प्याली हाथ में लिए बाहर आते हुए बोली। 

कुछ नहीं ,तुम बताओ !तुम्हारी बिटिया अब कैसी है ?उससे कुछ पूछा ,वो ऐसा व्यवहार क्यों कर रही है ?

तब काँपती सी आवाज में ,वो बोलीं -उसके साथ तो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है किन्तु उसकी सहेली........ 

कौन सी सहेली ! अपनी याददाश्त पर जोर डालते हुए उन्होंने पूछा ,क्या हुआ ?उसे !

वही तो बता रही हूँ ,किसी ने उसे काम करने का लालच दिया ,और मॉडलिंग के लिए उसे बुलाया ,उसे मॉडलिंग का बहुत शोक भी है इसीलिए उसने अपनी  कुछ तस्वीरें खिंचवाईं और उन लोगों ने न जाने उसकी तस्वीरों के साथ क्या किया ?आधी नंगी तस्वीरों को देखकर वह परेशान हो उठी अब वे उसे मानसिक रूप से परेशान कर रहे हैं। तुम्हें बदनाम कर देंगे ,तुम्हारी तस्वीरें जगह -जगह छपवा देंगे,वरना हम जैसा चाहते हैं ,तुम्हें वैसा ही करना होगा।  

मन ही मन राहत की साँस लेते हुए ,चड्ढा जी बोले -वो सब तो ठीक है ,किन्तु तुम्हारी बेटी क्यों परेशान है ?

वही तो बता रही हूँ ,जब उसने अपनी सहेली को परेशान देखा तब आपकी बेटी ने ,उससे उसकी परेशानी का कारण पूछा ,जब उसकी सहेली ने अपनी समस्या उसे बतलाई ,तो वह पहले तो पुलिस के पास जाने की बात करने लगी किन्तु वह लड़की तो इतनी घबराई हुई थी ,उसने कहीं भी जाने से इंकार कर दिया यदि उसके मम्मी -पापा को पता चल गया तो क्या होगा ?वे तो उसे घर पर बिठा लेंगे ,उसकी पढ़ाई भी रुक जाएगी। तब आपकी लाड़ली ,उन लोगों से यह कहने गयी कि मेरी दोस्त को छोड़ दो !वरना मैं पुलिस में उनकी खबर दे दूंगी क्योंकि उसे लगता था -'न कर ,न डर '' किंतु अब वे लोग उसे भी डरा रहे हैं कि उसकी कोई चीज उनके पास है और इसके कारण इसके पूरे परिवार को भुगतना पड़ जायेगा। 

उनके पास ऐसी क्या चीज हो सकती है ? झूठ बोल रहे होगें। 

नहीं ,वह बता रही थी ,उनका बहुत बड़ा गिरोह है ,और वे लड़कियों को बेच भी देते हैं। 

हाँ ,आज ऐसे ही किसी गिरोह के विषय में इंस्पेक्टर कपिल भी मुझसे बता रहा था। वो वही तो कह रहा था ,कि किसी गिरोह की उन्हें जानकारी तो है किन्तु ऐसे ही किसी पर हाथ नहीं डाल सकते। जब तक कोई रिपोर्ट न करे किन्तु मैं ये पूछना चाहता हूँ ,आखिर वो वहाँ क्यों और क्या करने गयी थी ?कितने ख़तरनाक लोग हैं ?ये अपने को क्या समझती है ?अब बैठे -बिठाये मुसीबत मोल ले ली,क्रोध में झल्लाते हुए बोले। 

हमारी बेटी उनके विरुद्ध  रिपोर्ट लिखवाएगी ,उनकी पत्नी अड़ते हुए बोली। 

यह तुम क्या कह रही हो ?लड़की का मामला है ,लोग कुछ भी सोचने लगते है ,जितना सोचते हैं ,उतना होता नहीं ,हमारी बेटी ही क्यों ? उसके साथ तो ऐसा कुछ हुआ भी नहीं ,जो असल में उनसे परेशान हैं शिकायत तो उन्हें लिखवानी चाहिए। 

इसी तरह तो सभी सोचने लगते है ,बदनामी के डर से ,लड़की का मामला है ,यही सोचकर अपने घरों में चुपचाप बैठे रहते हैं  ,अपनी किस्मत को कोसते रहते हैं ,ये नहीं, कि उनके विरुद्ध लड़की को लड़ने का साहस दें। मान लीजिये बेटी कम उम्र है ,अनजाने में किसी पर विश्वास कर भी लिया ,धोखा खा गयी अथवा लड़कपन में कोई गलती हो भी गयी ,तो इसका अर्थ ये तो नहीं ,कि उसकी ये गलती ज़िंदगी भर के लिए सजा बन गयी। जो भुगत रहा है ,वो चुपचाप घर में छिपा बैठा है और जिसने अत्याचार किया वो खुले आम मौज -मस्ती कर रहा है। अरे !उस सजा का हकदार उसे होना चाहिए ,जिसने धोखा दिया है ,अपनी लड़की को गलत का विरोध सिखाने की बजाय ,उसे हम घर में बंद होना, घुट -घुटकर जीना सिखा रहे हैं। क्या उसकी ज़िंदगी! ज़िंदगी नहीं ,श्रीमती चड्ढा अपने पति से बोलीं - लोगों की इसी सोच का वे लोग लाभ उठा रहे हैं। मैं  स्वयं ही उसे लेकर पुलिस स्टेशन जाऊँगी ,इतनी बड़ी ज़िंदगी है ,हमें अपनी बच्ची को डरना नहीं वरन लड़ना सिखाना है। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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