भाभी ! आप भइया से बहुत जवान लगती हैं ,उनकी उम्र ज्यादा लगती है ,वे आपसे कितने बड़े हैं ?
दस बरस बड़े हैं।
क्या कह रही हो ?मुझे तो उन्हें देखते ही इतना अंदाजा तो लग गया था कि आप उम्र में उनसे बहुत छोटी हैं इसीलिए आपको डांटकर रखते होंगे। हो सकता है ,उन्हें डर हो, उनकी खूबसूरत और जवान बीवी को कोई ले न उड़े।
हँसते हुए ,अंजली बोली -जब उड़ाने की उम्र थी तो किसी ने नहीं उड़ाया ,दहेज न देना पड़े ,इसलिए मेरे पिता ने मुझे इनके पल्ले बांध दिया।
यानि आपके पिता ने पैसे की कमी के कारण, इनसे विवाह किया क्योंकि इनके पास बहुत पैसा है। वाह री, दुनिया ! पैसे के इर्द -गिर्द ही घूम रही है। किसी पर पैसा है ,किसी पर नहीं किन्तु सभी को पैसा जो चाहिए क्योकि पैसा ही एक ऐसी चीज है जो इंसानो की जरूरतें पूरी कर सकता है। अंजली की गोद में लेटे हुए चतुर बोला।
और तुम भी पैसे कमाने के लिए ,किसी पैसेवाले के समीप ही आये हो और उस पैसेवाले की बीवी को मस्का भी लगा रहे हो ,अंजली हँसते हुए बोली।
इन दोनों ,में इतनी नजदीकियां कब और कैसे आ गयीं ?इस बात को जानने के लिए हम छह माह पीछे जाकर देखेंगे।जब पहली बार चतुर सुमित से मिला तो सुमित उससे नाराज हुआ और चला गया। तब अंजली ने अपने पास से कुछ पैसे चतुर को दिए।
इतना ही नहीं मिसेज दत्ता ने चतुर को परेशान देखा तो घर आकर पूछा -आजकल तुम कहाँ जा रहे हो ?दफ्तर में भी डांट पड़ी ,कहाँ जाते रहते हो ? क्या कर रहे हो ? मुझे भी तो कुछ पता चले,आखिर तुम किस परेशानी में उलझे हुए हो।
वो तो उससे , पत्नी की तरह ही व्यवहार करती थी।
मैं सोच रहा हूँ -'महंगाई बहुत है ,मुझे आगे बढ़ना है ,मोटरसाइकिल लेनी है ,अपना एक अलग घर बनाना है ,इतनी आमदनी से कुछ नहीं होगा इसलिए कोई व्यापार करना चाहता हूँ। उसके लिए पैसा चाहिए ,वही पैसा कहाँ से लाऊँ ?
कैसा व्यापार करना चाहते हो ?पहले वो तो सोच लो ,उसके आधार पर ही........ पैसे की आवश्यकता पता चलेगी कि उस व्यापार में हम कितना पैसा लगा सकते हैं ? वैसे ये घर भी तो तुम्हारा ही है ,अब जो भी मेरा अपना है ,तुम्हारा भी है।
वो बात तो ठीक है ,किन्तु मुझे इससे भी बड़ा ,आलिशान मकान नहीं ,महल बनाना है ,उसके लिए बहुत पैसा चाहिए। ये तुम्हारे पति की आख़िरी निशानी है ,मैं इसके विषय में सोच भी नहीं सकता। [सोचा तो चतुर ने यही था, किन्तु जबसे अंजलि से मिला है ,उसके इरादे बदलकर और बुलंद हो गए हैं। ] अब उसे मिसेज दत्ता और उनकी सम्पत्ति में कोई दिलचस्पी नहीं रही।
वह लेटे हुए ,शांत होकर कुछ सोच रहा था ,तभी मिसेज दत्ता उसके और करीब आई और बोली -अब क्यों न हम , लोगों की नजर में इस 'नाजायज रिश्ते 'को एक नाम दे दें ! मेरे घरवालों को पता चला कि तुम इसी घर में रह रहे हो ,तो वे बहुत ही शोर मचा रहे थे। नाराज थे ,कह रहे थे -''ये तुमने किसे पाल लिया है ? ये तुम्हारा' नाजायज़ रिश्ता 'ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा।
तुमने क्या जबाब दिया ?कह देतीं -'वो मेरा किरायेदार है। ''
यही कहा था ,कहने लगे -आज से पहले तो कोई किरायेदार नहीं आया। अब तुमने एक जवान आदमी को अपने घर में रखा है ,वो सही नहीं है।हम सब जानते हैं ,किराये की आड़ में तुम्हारा जो ये गंदा खेल चल रहा है ,हम सब समझते हैं। तब चतुर के सीने पर सर रखकर ,भावुक होते हुए ,मिसेज दत्ता बोलीं - तुम पैसे की चिंता न करो !तुम्हारे लिए ,मैं अपने गहने ,घर सब बेच दूंगी।
तुम्हारे पास कितने गहने हो सकते हैं ?अचानक चतुर बोला,उसे विश्वास ही नहीं था कि इस पर कुछ होगा भी ,अब तो उसे किराया देने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती, सारे घर में अधिकार से घूमता है।
होंगे ,यही कोई आठ -दस लाख के....... मेरे मायके और ससुराल दोनों को मिलाकर इतने ही होंगे।
चतुर को आश्चर्य हुआ कि कहीं ये मज़ाक तो नहीं कर रही उसने दत्ता की तरफ देखा और उसकी आँखों में झांकते हुए बोला -तब मेरी बात बन सकती है ,कहते हुए चतुर खुश होकर बोला ,गहने कहाँ हैं ?दिखाओ !मैं आज ही ,वे सुनार को दिखाकर लाता हूँ। मिसेज दत्ता प्रसन्न होते हुए अंदर गयी एक उम्मीद से कम से कम चतुर के चेहरे पर मुस्कान तो आई ,यही सोचकर प्रसन्न थी। तब वो कमरे से बाहर आई तो उसके हाथ में एक डिब्बा था।
चतुर सोच रहा था - न जाने कहाँ से गहने निकालकर ले आई ? उस कमरे में तो कई बार गया हूँ किन्तु उसने तो आज तक यह डिब्बा कहीं नहीं देखा। दिख जाता तो मांगने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। चलो, जो भी है ,कितना भी छुपा लो ? मुझे तो गहने मिल ही गए। चतुर उठा और गहने लेकर चल दिया।
तुम अभी कहां जा रहे हो ?उत्साह में उसने गहने दिखा तो दिए किन्तु अब जब वह गहने लेकर जा रहा है ,तो दत्ता को कुछ अच्छा नहीं लगा। उसे लगा जैसे वह कुछ खो रही है। अपने जीवन का रहस्य खोल दिया हो। आज पहली बार उसने चतुर को गहने तो दिए किन्तु अब उसे लग रहा है जैसे उससे कुछ गलती हो गयी है।
चतुर बोला -जब तुमने ये बाहर निकाले ही हैं तो इन्हें सुनार को दिखा लाता हूँ।
ठीक है ,किन्तु अभी बेचना नहीं ,हो सकता है ,मैं कुछ और तरीका सोच सकूँ।
क्यों ?क्या अब गहने जाने का पछतावा हो रहा है ?
नहीं ,तो..... किन्तु अभी जल्दबाज़ी मत करना।
मुझे क्या ?तुम्हारे गहने हैं ,तुम्हारी इच्छा के बग़ैर कुछ नहीं हो सकता ,जैसा तुम चाहोगी वही होगा कहकर चतुर घर से बाहर निकल गया। चतुर गहने लेकर गया किंतु अभी तक नहीं आया, रात्रि हो गई ,दत्ता को अब घबराहट होने लगी वह चतुर के विषय में, किससे पूछे ? मन ही मन सोच रही थी ,'कहीं उसने चतुर को गहने देकर बहुत बड़ी गलती तो नहीं कर दी। गलती तो वह बहुत दिनों से करती ही आ रही है, तब उसे अपने वे दिन स्मरण हो आए, जब चतुर पहली बार इस घर में आया था। उसने दत्ता की बहुत सेवा भी की, दत्ता उसको लेकर भविष्य के सपने सजाने लगी थी किंतु आज तक उसने, एक बार भी विवाह के लिए नहीं कहा। क्या वह गलती पर गलती नहीं करती जा रही है ? अपने आपसे ही पूछती है।
क्या चतुर उसके गहने लेकर भाग गया ? उसकी सम्पत्ति के पीछे ही तो था ,अब उसे मौका मिला है ,उसका लाभ उठाएगा या नहीं ,आइये !आगे बढ़ते हैं -रसिया !