Kanch ka rishta [part 59]

करुणा और किशोर दोनों ही अँधेरे में ,आँखें खोले हुए थे किन्तु कुछ भी नजर नहीं आ रहा था क्योंकि अंधकार में जो देखने का प्रयास कर रहे थे। इसी प्रकार अंधकारमय जीवन में, कुछ भी नजर नहीं आता ,भूत भी ,अंधेरों में कहीं खोकर रह  जाता है ,और भविष्य को भी कोई देख नहीं पाता है क्योंकि वो भी अंधेरों की गहराई में कहीं छुपा होता है। किंतु विचारों का सिलसिला इस अंधकार में भी ,अपनी गति से आगे बढ़ रहा था। किशोर सोच रहा था- प्रभा ने, मुझे एक बार भी, उस बच्ची के विषय में नहीं बतलाया। उसमें भी तो वह न जाने, कितनी अकड़ थी ? तभी विचारों ने पलटा खाया ,यदि वह चाहती तो....... मनु के विवाह में करुणा के सामने ही ,मुझे बेइज्जत कर सकती थी। 


उस दिन ,प्रभा मेरी प्रतीक्षा करती रही होगी , कोर्ट में शादी वह करना चाहती थी किंतु मैं नहीं चाहता था मैं अभी उस लायक था ही कहां ? जो मैं उसकी जिम्मेदारी उठा पाता ,अपने को समझाया।  कुंवारी रह कर कम से कम माता-पिता ने उसकी जिम्मेदारी तो उठाई ,विवाह के पश्चात तो मेरी जिम्मेदारी बन जाती जो मैं नहीं उठा पाता। मैं स्वयं ही माता-पिता पर निर्भर था ,और कुछ गैरज़रुरी खर्चे तो वह प्रभा से ही करवाता था। फिर कैसे मैं ,सारा कुछ संभालता, मेरी पढ़ाई भी थी। वह तो अमीर थी, उसके लिए तो सब आसान लगता था लेकिन जिंदगी को जीना इतना आसान नहीं है। उसे समझाता भी ,तो वह समझती नहीं। न ही ,कभी उसने समझना चाहा इसलिए तो मुझे,अचानक वहां से भागना पड़ा। क्या करता ?मैं ,मजबूर था। 

यदि वह  बच्ची  के विषय में बता भी देती, शायद मैं उस समय ज्यादा ही घबरा जाता। मुझे उस पर इतना विश्वास तो था कि वह जब मैं समय पर नहीं पहुंचूंगा तो वह किसी और से विवाह कर लेंगी। देहरादून की बात सोचकर ,मैं मानता हूं मुझसे गलती हुई है, लेकिन उसने भी तो पूरा सहयोग दिया वह चाहती तो इंकार कर सकती थी। मैं नहीं जानता था, कि उसकी कोई योजना है , वह क्षणिक सुख उसे जीवन भर का दुख दे गया। तब मैं कहां गलत हूं ? ज़ेहन में आये सवालों का जबाब न मिल पाने पर दम घुटने सा लगता है ,एक गहरी सांस लेते हुए वह करवट बदलता है। 

मन ही मन करुणा सोच रही थी -न जाने, उसकी कैसी हालत होगी ? बेचारी ने कितने दुख सहें हैं ? अब शायद जिंदगी से, निराश हो चुकी है , जीने के लिए उसके पास अब बचा ही क्या है ? बेटी थी ,बेटी का विवाह कर दिया एकाकी जीवन, उम्र से पहले ही, उम्र को बहुत बढ़ा देता है। न जाने ,वह किशोर कहां होगा? जिसने उसको धोखा दिया। काश! कि वह मिल जाए, एक बार उससे तो कहूं , तुम्हारे  प्रेम में इसने  पूरा जीवन व्यतीत कर दिया। अब तो इस उम्र में ,तुम उसे संभाल लो ! कहीं उसका परिवार हुआ तो......  वह कैसे? उस रिश्ते को स्वीकार करेगा। दोनों ही अनजान रहेंगे, वही ठीक रहेगा। 

जब किशोर ने करवट बदली, तब उसका एहसास करुणा को भी हुआ, क्या आपको नींद नहीं आ रही ?

नहीं, थोड़ी परेशानी सी महसूस हो रही है , करुणा झट से लाइट जला देती है ,आपको क्या परेशानी हो रही है ?

कुछ नहीं ,थोड़ा सा पानी पिला दो ! करुणा ,प्रभा की बात भूलकर, पानी लेने चली गई। मन ही मन किशोर सोच रहा था, यदि मैं इसे सच्चाई बता दूं तो क्या यह, इस सच्चाई को स्वीकार कर पाएगी। कहीं मेरी जिंदगी में भूकंप ना जाए। मैं हमेशा डरता रहा, कहीं वह रिश्ता मेरे सामने न आ जाए लेकिन उस रिश्ते को छुपाने के चक्कर में, मुझे अब घुटन होने लगी है। करुणा बहुत ही भावुक महिला है, कहीं कुछ कर बैठी तो क्या होगा ? क्या मुझे उसे बात को ,बता देना चाहिए या छुपाए रखना चाहिए। मन में अनेक प्रश्न आ रहे थे। तभी करुणा पानी लेकर आ गई, किशोर ने पानी पिया, गहरी सांस लीं और बोला -अब बेहतर लग रहा है ,तुम भी सो जाओ ! करुणा फिर से लाइट बंद करके लेट गई। 

अच्छा ,तुम्हें प्रभा से बात किए हुए ,कितने दिन हो गए ?

परसों ही बात की थी, उसे समय कुछ उदास और परेशान लग रही थी ,मैंने सोचा -उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं होगा, इसलिए मैंने उसे आराम करने के लिए कह दिया था। क्यों तुम क्यों पूछ रहे हो ?

वैसे ही ,तुम आये दिन उसकी बात करती रहती हो ,तो मुझे भी अचानक कोई बात याद हो आई ,अच्छा ये बताओ ! अब वह क्या चाहती है ?

मतलब ! मैं कुछ समझी नहीन...... 

 क्या वह ,अपने उस प्रेमी से फिर से मिलना चाहती है। 

वह मिल भी जाएगा तो क्या हो जाएगा ? उसका अपना परिवार होगा। 

हां, यह बात तो है ,यदि परिवार ना हुआ तो........ 

दोनों ही एक दूसरे का सहारा हो जाएंगे। जवानी में न मिल सके,तो बुढ़ापे में ही एक हो जाएंगे। 

और यदि उसके परिवार हुआ तो...... यदि तुम और वह उसके परिवार से मिलना चाहते हैं , तो मैं प्रयास करूंगा उसके किशोर को ढूंढने में।

क्या तुम ऐसा कर सकते हो ?प्रसन्न होते हुए करुणा ने पूछा। यदि वह मिल जाए तो बेचारे दोनों मिल जाएंगे। 

 किंतु उसकी सच्चाई का यदि उसकी पत्नी को पता चला तो क्या होगा ? इस बात को तुम अपने ऊपर ही डाल कर सोचो ! क्या तुम यह बात स्वीकार कर पाओगी , कि तुम्हारे पति की कोई पहली प्रेमिका हो, और उसका कोई बच्चा भी हो। क्या तुम उसे अपना लोगी ?

किशोर के इस प्रश्न पर, करुणा चुप हो गई। अंधेरे में वह करुणा के चेहरे के भाव तो, पढ़ नहीं सकता था किंतु महसूस कर सकता था। उसके पास कोई जवाब भी नहीं था। क्या हुआ, क्यों शांत हो ? क्या अब तुम अपनी सखी, का घर बसाना नहीं चाहती, उसके प्रेमी से  मिलवाना नहीं चाहती हो । 

चाहती तो हूं, किंतु जो उसके साथ रह रही होगी , उसका हृदय तो टूट जाएगा। इतने बरसों की उसकी तपस्या, उस परिवार के लिए प्यार और समर्पण, सब व्यर्थ हो जाएगा। वो तो जीते जी, मर जाएगी। अब मायका भी उसका नहीं रहा ,पति से धोखा खा....... वह एक 'जीवित लाश 'लावारिस' हो जाएगी फिर वह कहाँ जाएगी ?

 यह धोखा कहाँ हुआ ? मजबूरी भी तो हो सकती है। 

करुणा का अब क्या जबाब होगा ?चलिए आगे बढ़ते हैं -काँच का रिश्ता !

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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