I am a contract wife [3]

 भाग ६ -

रीति -रिवाज इसीलिए तो बनाए जाते हैं कि जब कोई नया रिश्ता जुड़ता है, उसके प्रति मन में धीरे-धीरे प्यार ,थोड़ा अपनापन थोड़ी अनुभूति का एहसास होने लगता है। आज के समय में तो ,इतना समय किसी के पास नहीं है कि वह विस्तार से या कई दिन पहले, विवाह की तैयारियों में शामिल हो किंतु अभी भी, कम से कम एक सप्ताह तो इन रीति- रिवाजों में निकल ही जाता है। कुछ दिन तक तो दोनों ही साथ में ,जब भी फुरसत के क्षण होते अपनी शादी के लिए वस्त्र खरीदने के बहाने से , साथ निकल पड़ते। इधर प्रगति अपने सास -ससुर के लिए ,उनकी इच्छा के अनुसार कपड़े लेती है और सुमित अपने सास - ससुर के लिए कपड़े खरीदता है ,एक दूसरे की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते थे । दोनों ही परिवारों में बहुत खुशियां मनाई जा रही हैं, क्योंकि उन्हें भी लड़की ढूंढते -ढूंढते कई वर्ष हो गए थे किंतु सुमित था कि किसी से विवाह करने के लिए तैयार ही नहीं था और आज उन्हें प्रगति के कारण इतनी बड़ी खुशी मिली है ,वह ऐसे कैसे जाने दे सकते थे ?उन्होंने प्रगति से बहुत प्यार भरी बातें कीं ,अपने बेटे गुण -अवगुण उसके बालपन की अनेक बातें उसे बतलाईं।  उनकी बातों को सुनकर लग रहा था,कि कितने अच्छे लोग हैं ?



कभी हल्दी की रस्म हो रही थी तो कहीं लाडो गई जा रही थी, तो कभी मेहंदी के रस्म निभाई जा रही थी इन रस्मों में कभी-कभी प्रगति फोन पर, सुमित से भी बात कर लेती और पूछती- देखो ,जरा ! मेरी मेंहदीं  कैसी लग रही है ? देखना है ,या बताना कहकर सुमित ने मुस्कुराकर पूछा। उधर सुमित भी,अपने परिवार की ख़ुशी के लिए, कुछ दिन की छुट्टी लिए लेकर अपने इन्हीं सब कार्यों में व्यस्त हो गया था। उसका भी मन ,इन रीति रिवाजों से उल्लासित  रहा था,उसे अच्छा लग रहा था। अब वह समय भी आ गया जब दोनों दूल्हा-दुल्हन के रूप में एक दूसरे के सामने खड़े थे। दोनों ने मंच पर भरपूर नृत्य प्रस्तुत किया और एक दूसरे के गले में जयमाला डाली। दोस्तों तरफ के रिश्तेदारों की चुहलबाजियों ने, उनको मंत्र-मुग्ध  कर दिया। 

जब सात फेरों का का समय आया, और उसमें, जीवनभर के लिए वचन भरवाए गए ,उस समय प्रगति थोड़ा भावुक हो गई और वह सोच रही थी-' कि यह पति-पत्नी का रिश्ता मात्र एक शारीरिक संबंध ही नहीं है। इससे तन ही नहीं मन और दो परिवार भी जुड़ते हैं, हर पल सुख-दुख का साथ देने के लिए, यह साथी बनते हैं , मंज़िल भी एक हो जाती है तभी तो ''हमसफर'' कहलाते हैं। अनेक बार परिस्थितियाँ  ऐसी रहीं , जिनमें प्रकृति की सोच धीरे-धीरे बदलने लगी।  वह 9 से 6 की अपनी व्यावसायिक ज़िम्मेदारियों  से अलग जीवन जी रहे थे और उसका वह अनुभव अकल्पनीय था जिसमें सुख था ,शांति थी ,किसी भी प्रकार का कोई दबाव नहीं था। माता-पिता की खुशियां थीं , रिश्तेदारों की ,परिवारों की खुशियां थीं और उनकी बातें  जुड़ी थीं।  वह कुछ अलग ही महसूस कर रही थी , ऐसा ही कुछ हाल, सुमित का भी था किंतु वह अपनी बात पर अडिग रहना चाहता था , इसलिए उसने यह एहसास अधिक समय तक ठहरने नहीं दिया कि यह अनुभूतियां अद्भुत हैं। 

भाग ७ -

जब दोनों पति-पत्नी अकेले में मिलते हैं, एक दूसरे से नजरें  टकरातीं हैं, मिलकर एक दूसरे से प्रशंसा करते हैं। अभी तक एक दूसरे को, उन्होंने 'आई लव यू' नहीं कहा था, न ही इस कांटेक्ट में आई लव यू कहने की कोई बात है यह तो सिर्फ इस रिश्ते को निभाना है , इस बात से दोनों ही वाकिफ़ थे किंतु सुहागरात  की रस्म निभाने में क्या जाता है ? जब इतना सब रस्मो रिवाज  किए जा रहे हैं उन्हें निभाया है ,तो यह एक और रस्म  निभाने में क्या जाता है ? दोनों ही साथ बैठकर ड्रिंक करते हैं, एक दूसरे से बातें करते हैं। बातों  ही बातों में न जाने कितनी बातें निकल पड़ती हैं ?जिनमें कभी उन्हें सुख की अनुभूति होती है तो कभी दुख का आभास होता है और फिर दोनों ही एक दूसरे की बाहों में समा जाते हैं। ऐसी सुखानुभूति उन्हें पहले कभी नहीं हुई, वह तो जो भी कार्य करते थे, इच्छा पूर्ति के लिए कार्य किया था जिसमें कोई भावना ही नहीं थे प्रेम नहीं था किंतु आज भावनाएं और प्रेम कहीं छुपे हुए ,उनकी सहायता कर रहे थे। ऐसा अनुभव दोनों ने ही पहली बार किया था। 

अगले दिन जब सुबह सुमित उठा , तो उसने दफ्तर जाने से इनकार कर दिया और अपने मैनेजर से कहा कि मेरा अभी विवाह हुआ है , मुझे थोड़ा टाइम चाहिए और उसने छुट्टी ले ली, यह बात सुनकर प्रगति मन ही मन प्रसन्न हो गई और बोली -चलो ! हम कहीं दूर घूमने चलते हैं, दोनों ही एक -दूसरे का साथ पाना चाहते थे। इतने वर्षों पैसा ही कमाया था ,खुलकर जिंदगी जी रहे थे और विदेश भ्रमण के लिए निकल पड़े दोनों ने एक दूसरे का साथ पाकर ,एक दूसरे को समझ, एक दूसरे से बातें ,सुख-दुख व्यक्त किया अपनी इच्छा अनिच्छा  जाहिर की। 15 दिन न जाने ,कैसे निकल गए पता ही नहीं चला ?अब काम पर जाने का  दोनों का ही मन नहीं था , दोनों के परिवार में खुशियां बिखरी हुई थीं। माता-पिता भी अत्यंत प्रसन्न थे ,जो सकारात्मक सोच लेकर आ रहे थे। एक दिन सुमित प्रगति से बोला -यदि तुम नौकरी करना चाहती हो तो कर सकती हो किंतु यदि तुम आराम करना चाहती हो तो वह तुम्हारी इच्छा है ,मैं तुम्हें रोकूंगा नहीं किंतु प्रगति कहती है ,अभी मुझे जाना होगा क्योंकि वह अपने उन सहकर्मियों का धन्यवाद करना चाहती थी उनसे अपनी खुशियां बांट लेना चाहती थी ,यही सोचकर वह भी दफ्तर जाती है। 

वहां जब उसके सहकर्मियों ने उसकी, खुशियों को देखा तो वह समझ गए, अब  ''कांटेक्ट ''भी उनकी मैरिज'का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा । इनके अंदर वह स्वयं ही नहीं जानते हैं, कि उनके अंदर एक दूसरे के प्रति प्यार पनपने लगा है एक दूसरे को समझ रहे हैं ,एक दूसरे के साथ उनकी खुशियां हैं। जीवन की थकन भरी प्रतिदिन के कार्यों से, उन्हें कुछ अलग करने को सोचने का मिला था तो इसलिए उन्हें अलग ही अनुभूति हो रही थी। उनकी एक अलग ही दुनिया बनती जा रही है। आज उनके विवाह को, 8 वर्ष हो गए उनके दो बच्चे भी हैं ,जो अपने दादा-दादी और नाना नानी की गोद में खेले हैं , वह ''कॉन्ट्रेक्ट मैरिज'' का, फॉर्म अभी भी उनकी अलमारी में रखा है। उनका सुख पूर्वक वैवाहिक जीवन उसका मुंह चिढ़ा रहा है किन्तु उन्होंने उसे इसीलिए आज भी रखा हुआ है ,इसी के माध्यम से हम दोनों मिले थे।  कोई भी रिश्ता यदि प्यार में एक बार बंद हो जाता है कोई भी नियम उस पर लागू नहीं होता। धीरे-धीरे दोनों की ही जीवन शैली में अंतर आ गया और उन्हें स्वयं ही नहीं समझ आया कि वह क्या थे, और क्या हो गए ? 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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