I am a contract wife [2]

भाग ४ -

तुम अपनी बेटी को कुछ समझाते क्यों नहीं हो ?निराशा और बढ़ती परेशानी के कारण, प्रगति की मम्मी ने प्रगति से के पापा से  कहा। 

मैंने उसे कई बार समझाकर देख लिया, मैं उसका पिता हूं ,इससे ज्यादा और क्या कर सकता हूं ?जवान लड़की है ,उस पर हाथ भी नहीं उठा सकता ,तुम तो उसकी मां हो, तुम क्यों नहीं समझातीं ?

मैं भी तो समझा -उसे समझाकर थक गई हूं, इसीलिए आपसे कह रही हूं। आपकी बात टालती नहीं है। 

टालती नहीं है ,या कुछ जबाब नहीं देती ,मानती ही कहाँ है ?तुम एक बार और प्रयास करके देखो !

अबकी बार आएगी तो, आखिरी बार उसे समझाकर देखूँगी। 



प्रगति जब अपने घर छुट्टियों में आई तो आते ही, माँ ने  कहा -आखिर ,तुम हमसे चाहती क्या हो ? क्यों हमें चैन से नहीं जीने देतीं , लड़का ढूंढते- ढूंढते हमें इतने बरस हो गए, किंतु तुम्हें कोई पसंद ही नहीं आ रहा या फिर तुम अपनी जिंदगी बसर नहीं करना चाहतीं ? क्यों, हमें पाप में डुबो रही हो ? जिनकी बेटी कुंवारी रह जाती हैं , जिनके माता-पिता कन्यादान नहीं कर पाते, उनकी मुक्ति नहीं होती है। तू एक बार  विवाह करके अपने घर चली जाए ,हमें कोई आपत्ति नहीं है। 

यह क्या दकियानूसी बातें आप मुझे बता रही हैं ? ऐसा कुछ भी नहीं होता है,जिनके बेटियां ही नहीं होती ,तो उनकी तो मुक्ति ही नहीं होती होगी।  

वो बात अलग है ,ऐसा होता हो या न होता हो लेकिन किसी की बेटी ने ,इस तरह किसी की'' नाक नहीं कटवाई '' जितनी तुमने कटवाई  है। अब तो रिश्तेदार भी पूछने लगे हैं, कि बेटी का विवाह कब कर रहे हो?' अब उनसे क्या कहें ? बेटी अकेले जीवन व्यतीत करना चाहती है, मौज -मस्ती में जीवन व्यतीत करना चाहती है ,उसके  जीवन का जीने का ढंग और नजरिया ही अलग है मां चिढ़ते हुए बोली -क्योंकि हम तो दकियानूसी विचारों के हैं।  अरे !!!तू ही अपनी पसंद का कोई लड़का ढूंढ ले , क्या ,इतनी बड़ी दुनिया में, तेरी पसंद का कोई लड़का ही नहीं है या कोई ऐसा तो हो जैसी तू है, ऐसे ही रूप में तुझे स्वीकार कर ले। 

2 दिन के लिए आई हूं आते ही मेरा दिमाग खराब कर दिया, इसीलिए  मैं आना भी नहीं चाहती थी ,झुंझलाते हुए प्रगति बोली। आख़िर आप लोगों की परेशानी क्या है ? मेरा विवाह नहीं हो रहा है, अबकी बार विवाह हो जाएगा। 

उसके इन शब्दों से मां के जलते कलेजे को, ठंडक मिली, ऐसा लगा -जैसे किसी ने शीतल जल से, छिड़काव कर दिया हो किंतु अभी भी उस पर विश्वास नहीं था। मन में खुश होते हुए बोलीं  -अच्छा, बता तेरी नजर में कोई ऐसा लड़का है, जो तुझे खुश रखे, तेरी इच्छाओं का मान रखें और तुझे प्यार करें। 

 प्रगति ने मां की तरफ देखा, वह देख रही थी कि मेरे इतने कहते ही, मां कितनी उत्साहित हो गई हैं  ? अब तो विवाह करना ही होगा, ठीक ही तो कह रही हैं -  क्या ,इतनी बड़ी दुनिया में, मेरे नाम का भी तो कोई साथी नहीं बना होगा। जो मेरी तरह सोचता हो और मेरी तरह ही कार्य करता हो, न जाने कहां छुपा है ? उसे ढूंढना ही होगा। मन ही मन अपने दफ्तर में ऐसे पुरुष साथियों को नजर में निकाल रही थी कि कौन उसके जैसा हो सकता है ?या हो सकता है ,कौन है ,जो उसकी परवाह कर सकता है ,कौन, उसकी इच्छाओं की पूर्ति कर सकता है ? उसकी दृष्टि मैनेजर पर जाकर अटक गई, वही ऐसा व्यक्ति है जो मेरी सभी इच्छाएं पूर्ण कर सकता है, वह भी शराब पीता है ,मजे करता है तभी सोचा -क्या वह भी मुझे पसंद करेगा ?

भाग ५ -

प्रगति जब अपने दफ्तर में आई, तो कुछ परेशान सी थी। उसके सहकर्मियों ने पूछा- क्या बात है ? क्यों इतनी परेशान नजर आ रही हो ?

क्या कहूं ? माता-पिता की वही परेशानी, लड़का ढूंढते रहते हैं कभी मैं मना कर देती हूं ,तो कभी लड़का मना करके चला जाता है। माता-पिता को लगता है ,उनके मरने से पहले मेरा विवाहित होना जरूरी है वरना उन्हें मुक्ति नहीं मिलेगी इस बात को व्यंग्य  से बोली और मुस्कुरा दी। 

ऐसा तो हमने भी ,कुछ सुना है , तभी उस भीड़ में से एक ने सलाह दी , क्यों न तुम 'कॉन्ट्रेक्ट मैरिज 'कर लो ?

क्या मतलब ?मैं कुछ समझी नहीं।

वैसे तो तुम इतनी आधुनिक बनती हो लेकिन तुम्हें ''कॉन्ट्रेक्ट मैरिज'' के विषय में नहीं मालूम ,किसी भी लड़के से ऐसा अनुबंध लिखवाना, जिसमें दोनों अपनी-अपनी शर्तों के अनुसार ,किसी सीमा तक जैसे की 1 वर्ष के लिए या 2 वर्ष के लिए,परिवार की ख़ुशी या फिर किसी कारण से विवाह कर लेते हैं कई बार ऐसा होता है कि वह लोग प्रेम में भी पड़ जाते हैं और उस विवाह को जारी रखते हैं और कई बार ऐसा होता है वह कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने के पश्चात जब उसे निभा नहीं पाते हैं तो उस शादी को तोड़ देते हैं, कुछ उनकी शर्तें होती है इसलिए कह रही हूं ,माता-पिता को दिखाने के लिए ''कॉन्ट्रैक्ट मैरिज' भी कर सकती हो उसमें शादी का मजा लो !मौज -मस्ती करो और कोई बंधन भी नहीं ,जब लगता है कि तुम्हारी शादी नहीं निभेगी , तो तलाक ले लेना !

प्रगति को ,यह रास्ता बहुत ही आसान और उचित लगा, इसकी मुझे विस्तार से जानकारी चाहिए वैसे इस अनुबंध के लिए कौन तैयार हो सकता है ? 

हमारे बॉस भी ऐसी ही शादी चाहते हैं, किंतु उन्हें ऐसी कोई लड़की नजर नहीं आ रही, तुम कहो तो......  उनसे बात चला दूँ, वह तो अच्छा कमाते हैं , तुम्हारे खर्च भी उठा सकेंगे। 

क्या वह मुझसे शादी करने के लिए तैयार होंगे ? प्रगति ने अपनी शंका व्यक्त की। 

उसमें पसंद या ना पसंद का प्रश्न ही नहीं उठता ,हां बस लड़की देखने ,भालने में अच्छी हो, ऐसी तुम हो, उनकी कुछ शर्ते या नियम होंगे जो तुम्हें मानने होंगे ,यदि तुम इसके बदले पैसा चाहती हो तो वो भी आपस में तय कर लेना।

मैं क्या अपने को बेच रही हूँ ?वो तो माता -पिता की ख़ुशी के लिए ही यह सब करना चाहती हूँ। 

 आपस में जो भी आप अनुबंध करेंगे वह लिखित रूप से दोनों के पास होंगे और माता-पिता भी प्रसन्न हो जाएंगे कि बेटी का विवाह हो गया उसका घर बस गया ,वह खुश है। 

यह तुमने, मुझे उचित रास्ता सुझाया , मैं तैयार हूं ! अब मेरी तरफ से उनसे बात करने कौन जाएगा ? 

जब सलाह दी है तो मैं ही जाऊंगा रोहित बोला। 

उनका बॉस सुमित भी तैयार हो गया था, जब प्रगति सुमित से मिली तो उसने पूछा-आप 'कांटेक्ट मैरिज' क्यों करना चाहते हैं ?

कॉन्ट्रेक्ट मैरिज 'मैं इसलिए करना चाहता हूं ,आजकल की लड़कियों के तेवर बहुत ही तीखे हो गए हैं वह घर बसाना नहीं चाहतीं , और मैं भी नहीं चाहता हूं कि किसी की जिम्मेदारी को पूरी जिंदगी उठाता रहूं , और तब भी कुछ भलाई न मिले ''कांट्रेक्ट मैरिज ''में अपनी इच्छा से शादी की ,उसके साथ संबंध बनाए और जब कांट्रेक्ट समाप्त हुआ तो तुम अपने रस्ते और मैं अपने रस्ते मुझे किसी का दबाव नहीं चाहिए किसी भी अधिकार की भावना से यदि कोई मुझे रोकता है, यह सब मुझे पसंद नहीं है इसलिए मैं कांट्रेक्ट मैरिज चाहता हूं। 

तुम मुझे पहले क्यों नहीं मिले ? अब तक सभी समस्या हल हो जाती, मैं भी नहीं चाहती कि कोई मुझे मेरे कार्य में टोकाटाकी करें या मुझे बात-बात पर रोके , मैं भी शादी के लिए तैयार हूं। दोनों की सहमति हो जाने पर तब प्रगति अपने माता-पिता को यह सूचना देती है और वह सुमित को अपने माता-पिता से मिलवाती है। उन्हें बैठे-बैठे इतना अच्छा दामाद मिल गया और वह भी किसी कंपनी का बॉस हमारी बेटी के संपूर्ण खर्च उठा पाएगा, उसके नखरे झेल पाएगा ,हमें और क्या चाहिए ?उसके तो भाग्य ही खुल गए।  यही सोचकर माता-पिता ने उन्हें सहमति दे दी , वह रजिस्टर्ड मैरिज करना चाहता था उसमें कांट्रेक्ट भी शामिल था किंतु माता-पिता को इस विषय में कुछ भी मालूम नहीं था। वह तो अपने तरीके से बेटी का विवाह 'सात फेरों 'के साथ करना चाहते थे इसीलिए उन्होंने प्रगति का विवाह सभी रिश्तेदारों और मेहमानों के सामने पूर्ण रीति रिवाज से विवाह कर दिया। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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