Heart transplant ke baad ki ek prem kahani [3]

नवीन ,मंदिर के बाहर खड़ा होकर ,बहुत देर से ,नंदिनी की प्रतीक्षा कर रहा था, नंदिनी गाड़ी को इधर -उधर घुमाते हुए,ताकि उसके माता -पिता शीघ्र ही, उसके क़रीब न पहुंच सकें। वह मंदिर की ओर बढ़ गई थी किंतु उसके परिवार वालों ने और उस अजनबी मंगेतर ने, उसका पीछा नहीं छोड़ा और उसकी गाड़ी के पीछे, अपनी गाड़ी दौड़ा दी। वह यह नहीं जानते थे, कि यह कार्य नंदिनी का ही है, वह तो यह सोच रहे थे कि शायद उसका कोई अपहरण कर रहा है। परिवार वालों से बचते बचाते हुए ,नंदिनी ने मंदिर के सामने सड़क की दूसरी तरफ अपनी गाड़ी रूकवाई ताकि वह परिस्थितियों को भाँपते हुए ,आराम से उस गाड़ी से उतर कर बाहर निकल जाए। पहले वह यह देख लेना चाहती थी -कि क्या नवीन इसी मंदिर में आया है। उसने उस मंदिर को देखा और उसने नवीन को फोन किया ,कुछ देर पश्चात उसने नवीन को भी देखा नवीन की तरफ उसने दूर से ही हाथ हिलाया। तब नवीन ने उसको हाथ के इशारे से अपनी तरफ बुलाया।


नंदिनी ने आसपास देखा,अभी उसे कोई भी नहीं दिख रहा था ,तब वह गाड़ी से उतर गई और सड़क पार करने का प्रयास करने लगी ,तभी उसे अपने पापा- मम्मी और वह मंगेतर भी दिखलाई दिए ,वह घबरा गई और जल्दी से सड़क पार करने लगी, सड़क पार करते समय ,अचानक वह एक बड़ी गाड़ी से टकरा गई। गाड़ी से टक्कर बड़ी जोर से हुई , वह गाड़ी वाला तो भाग गया किंतु सभी लोग, नंदिनी को देखने के लिए आगे बढ़े। नंदिनी को बहुत चोट आई थी, तब ऐसे में नवीन सब कुछ भूल कर आपातकालीन वाहन  को बुलाता है। तब तक, नंदिनी के घर वाले भी आ चुके थे ,नंदिनी की ऐसी हालत देखकर, सभी घबरा गए। नवीन को वह पहले से पहचानते नहीं थे न ही ,उसके बारे में जानते थे। 

नवीन ने, दूल्हे के कपड़े पहने हुए थे। तब भीड़ का लाभ उठाते हुए नवीन भी, अपने कपड़े बदलकर आ गया। नंदिनी को फटाफट अस्पताल ले जाया गया। सभी की हालत खराब थी। तुरंत ही डॉक्टर ने उसकी जांच की, और उसे भरती कर लिया। नवीन उनकी नजरों में न आए इसीलिए, वह आसपास ही ,घूम रहा था किंतु नंदिनी के समीप नहीं गया। दो-तीन घंटे की जद्दोजहद  के पश्चात , डॉक्टर ने उसके घर वालों को बताया- हम उसे नहीं बचा सके। यह सुनकर नवीन पर  तो जैसे बिजली गिर पड़ी। बहुत देर तक वहीं बैठा  रहा ,उसके घर वाले बातचीत कर रहे थे ,देख रहे थे लेकिन अब उसकी नंदिनी तो जिंदा नहीं है, अब यहां रहने से कोई लाभ नहीं , मन ही मन सोचा -एक बार नंदिनी को आखिरी देख लूँ। 

वह अपना भेष बदलकर, नंदिनी को देखने गया जो सुंदर दुल्हन के रूप में, शांत हो चुकी थी। उसके पास बैठकर नवीन बहुत देर तक रोता रहा, न जाने अचानक, नवीन को क्या सूझा ?उसकी जेब में, सिंदूर के डिब्बी थी, शायद यह एक संयोग भी था। उसने उस डिब्बी को बाहर निकाला , और नंदिनी की मांग भर दी और बोला-तुम मेरी पत्नी बनना चाहती थी, जीते जी तो न बन सकीं किंतु मैं तुम्हारा यह अरमान मरने के पश्चात भी पूरा करूंगा। तभी उसे लगा ,जैसे वहां कोई आ रहा है और वह छुप गया।

भाग [६]

नवीन की तो जैसे जिंदगी ही उजड़ गई, उस वीरान जिंदगी को लिए, वह कभी बगीचे में भटकता , कभी समुद्र के किनारे जाता। अब तो उसका मन नौकरी में भी नहीं लग रहा था। कैसे उसके इंतजार में रहे ?कैसे ,उसके बग़ैर यह जीवन कटेगा ? उसने मन ही मन में निर्णय ले लिया था कि अब वह  कभी विवाह नहीं करेगा किंतु मम्मी है, कि  कुछ सुनना ही नहीं चाहतीं , उन्हें क्या मालूम ,उनके बेटे पर क्या बीत रही है ?वह किस परिस्थिति से गुजर रहा है ? 

आज भी नंदिनी की याद में नवीन बगीचे में बैठा हुआ था, तब उसने एक लड़की को देखा जो उसी की तरफ देख रही थी। नवीन ने नजर अंदाज करना चाहा किंतु कर न सका क्योंकि उस लड़की की मुस्कुराहट नंदिनी जैसी लग रही थी इसलिए उसने दोबारा उसकी तरफ देखा। नंदिनी जैसी तो नहीं लग रही है, नंदिनी भी नहीं हो सकती इसलिए यह कौन है ?जो मेरी तरफ देख कर इस तरह मुस्कुरा रही है। 

परेशानियों में उलझा अपने घर वापस आ गया किंतु उस लड़की में कुछ तो था ,जो नवीन समझ नहीं पाया उसमें ऐसा क्या था ? अगले दिन नवीन फिर से बगीचे में गया। वहां वह लड़की पहले से ही बैठी थी ऐसा लग रहा था जैसे ,उसी की प्रतीक्षा में थी उसकी तरफ देखकर  मुस्कुराई। आज नवीन भी  मुस्कुरा दिया किंतु उससे कोई बात नहीं की। तब उस लड़की ने, एक कॉफी वाले को बुलाया, एक कॉफी उसने स्वयं ली और दूसरी नवीन के पास भेज दी। 

नवीन को आश्चर्य हुआ, आखिर यह लड़की कौन है ? जो यह जानती है कि बगीचे में बैठकर मुझे नंदिनी के साथ कॉफी पीना बहुत पसंद था। हो सकता है , यह कोई संयोग हो, वह काफी पी लेता है। उस लड़की की और आकर्षित हो रहा है इसीलिए वह अगले दिन, समुद्र तट पर जाता है, जहां नंदिनी और नवीन हमेशा मिला करते थे। यहां वह नंदिनी की यादों के साथ अकेला रह  सकता है ,यह सोचकर, वह वही किसी स्थान पर बैठ जाता है कुछ देर पश्चात, उसे वही लड़की, एक बेंच पर बैठी दिख  जाती है. अब तो नवीन से रुका ही नहीं गया, तब वह उसके करीब जाता है और उससे पूछता है - तुम  मेरा पीछा क्यों कर रही हो ? 

समीप से देखा ,वह लड़की बहुत ही मासूम और भोली लग रही थी, नवीन की तरफ देखकर मुस्कुराई और बोली -पता नहीं , मुझे आपका साथ अच्छा लगता है आपको देखना अच्छा लगता है। 

यह क्या मजाक है? क्रोधित  होते हुए नवीन कहता है।

 यह मजाक नहीं है, मैं स्वयं भी नहीं समझ पा रही हूं कि मेरे साथ यह क्या हो रहा है ?वह गंभीरता से बोली। 

 मैं जहां भी जाता हूं ,तुम वहीं चली आती हो, क्या तुमने मेरे पीछे जासूस छोड़े हुए हैं ?

नहीं, मैं तुम्हारे पीछे जासूस क्यों छोड़ूँगी ?

 फिर तुम्हें कैसे पता चल जाता है ?कि मैं कहां हूं ?

पता नहीं, मेरे दिल से आवाज आती है मुझे महसूस होता है, कि मुझे तुमसे मिलने जाना है और मेरे कदम स्वयं ही उस और बढ़ने लगते हैं। 

नवीन उसकी बातें सुनकर परेशान हो उठता है, अभी मेरी नंदिनी को गए ,ज्यादा दिन भी नहीं हुए फिर यह कौन है ? जो इस तरह मेरा पीछा कर रही है। तब उसे अपनी मम्मी पर शक गया और अपनी मम्मी से पूछता है- आपने किसी लड़की को मेरे पीछे लगाया है ?

 भला मैं ऐसा क्यों करूंगी ?

 फिर वह कौन है ? यह लड़की मेरे लिए एक पहेली बन गई है। 

भाग [७]

नवीन परेशान घूम रहा था, उस लड़की का इस तरह उसे देखना और उसी स्थान पर उससे मिलना यह उसके लिए एक अजब पहेली बन गया था। पहले तो उसे भ्र्म हुआ कि शादी करवाने के लिए, उसकी मम्मी का हाथ होगा किंतु उसकी मम्मी ने भी ,इस बात से इनकार कर दिया। उसकी आदतें ,उसका व्यवहार बार-बार उसे नंदिनी की याद दिलाते ,जिसके कारण वह रात -दिन परेशान रहता, उसे नींद नहीं आ रही थी। अब  परेशान होने से कोई काम नहीं बनेगा तब नवीन ने सोचा,- इस लड़की से मिलकर ही सारी बातें करनी होगी। तब वह  उस लड़की के पास आता है और उससे पूछता है - तुम कहां रहती हो ?

मैं 'कोलाबा' में रहती हूं , उसका  जवाब सुनकर नवीन एकदम से चौंक गया वह तो यहां से बहुत दूर है फिर तुम यहां कैसे आती हो और क्यों आती हो ?क्या तुम कोई कार्य करती हो ?

मैं कोई भी कार्य नहीं करती, किंतु न जाने क्यों ? मेरा मन विचलित रहता है ,मेरा दिल करता है कि मैं यहां आऊं आपको देखूँ। 

 तुम्हारा मन ऐसा क्यों करता है ?नवीन ने उस रहस्य को जानना चाहा। 

यह तो मैं भी नहीं जानती। 

क्या यह बात तुम्हारे घर वालों को मालूम है ? 

हाँ ,किन्तु वे कुछ नहीं कहते ,कहते हुए मुस्कुराने लगी। 

नवीन के लिए यह आश्चर्यचकित कर देने वाली बात थी , तब वह कहता है -क्या मैं तुम्हारे घर वालों से मिल सकता हूं ? 

बिना डरे, उस लड़की ने तुरंत ही हां कर दी, नवीन भी उस गुत्थी को सुलझाने के लिए, तुरंत ही, उसके साथ हो लिया। जब वह उसके घर पहुंचा तो उसने देखा, उसके घर वाले भी नवीन को देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं और पूछते हैं -तुम कौन हो ?

मेरा नाम' नवीन 'है, मैं अक्सर बगीचे में, समुद्र के किनारे आपकी बेटी को अकेले बैठे देखता हूं, क्या आप जानते हैं ?यह कितनी दूर जाती है ? आपको इसकी तनिक भी फिक्र नहीं होती। 

श्वेता की मां रोते हुए बोली -बेटा ! अभी 3 महीने पहले इसका हृदय प्रत्यारोपण हुआ है, और जब से इसका वह ऑपरेशन हुआ है ,तब से, यह इसी तरह परेशान रहती है और कहती है -'मुझे उससे मिलने जाना है। 'हम इससे पूछते हैं -तुम्हें किससे मिलने जाना है ? तो यह कुछ भी नहीं बता पाती, अपने आप ही घर से निकल जाती है और अपने आप ही आ जाती है।

 आपको इसका ख्याल रखना चाहिए, नवीन ने चेतावनी दी और इसे डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

 डॉक्टर को भी दिखाया किंतु यह कहती है -कि मेरा यहां दिल नहीं लगता, मुझे उससे मिलने जाना है वह मेरे  सपनों में आता है, हमने इसे इसीलिए छोड़ दिया न जाने कौन ? इसके सपनों में आता है।  कभी तो पता चलेगा। डॉक्टर के कितने अनुसार, हमने उसे सपने वाले व्यक्ति का, स्केच बनवाया और अब देख कर लगता है , शायद तुम्हारा ही स्केच है। और आज यह तुम्हें लेकर आ भी गई। हम इस पर ज्यादा दबाव भी नहीं बना सकते, अभी इसका ऑपरेशन हुआ है।

 1 मिनट ! इसका दिल का ऑपरेशन हुआ ,तब से इसकी यह हालत है, कब और कहाँ हुआ ?यह सब आप क्या कह रहे हैं ?मैं भी कुछ समझ नहीं पा रहा हूं ? तब उन्होंने बताना आरंभ किया , 20 अप्रैल को एक जवान लड़की की दुर्घटना में मौत हो गई थी। वह वहीं अस्पताल में थी, हमारी बेटी को भी ह्रदय प्रत्यारोपण की आवश्यकता थी। संयोग से हमने उस लड़की के माता-पिता से पूछा -आपकी बेटी तो रही नहीं, कम से कम हमारी बेटी बच जाएगी यदि आपकी बेटी का दिल हमारी बेटी को मिल जाए। पहले तो वह लोग तैयार नहीं हुए और बाद में वह हमारी बेटी की जिंदगी बचाने के लिए तैयार हो गए , जब से इसका यह दिल धड़कना आरंभ हुआ है , तब से ही यह बेचैन है और पता नहीं ,किसकी खोज कर रही है ,किसे ढूंढ रही है ? और न जाने कहां-कहां भटकते हुए आज तुम्हें ले आई। उनकी यह बातें सुनते-सुनते नवीन रोने लगा। बेटा ! तुम क्यों रो रहे हो ? उन्होंने पूछा।

 उस अस्पताल में मेरी नंदिनी ने, ही दम तोड़ा था. हम दोनों शादी करने वाले थे, तभी एक बड़ी गाड़ी ने  उसे टक्कर मारी और उसकी मौत हो गई। मैं उसके लिए परेशान रहता था ,तब आपकी बेटी को मैंने एक दिन उसी  बगीचे में देखा जिसमें हम दोनों[नंदिनी और नवीन ] मिलते थे, आपकी बेटी को जिसका दिल लगाया गया है वह मेरी नंदिनी का ही दिल है जो मरने के बाद भी, मुझे तलाश कर रही है, वह मेरे लिए बेचैन है। इतना गहरा और सच्चा प्यार किसी ने आज तक न देखा ,न सुना होगा ? आज आपकी बेटी के शरीर  में उसका दिल आज भी जिंदा है। इसका रूप तो बदल गया है, तन भी बदल गया है लेकिन दिल तो वही है जो मुझे बेहद चाहता था। बाहरी रूप से देखने में यह आपकी बेटी श्वेता है, किंतु इसके दिल की धड़कन मेरी नंदिनी की हैं। कहते हैं ,न दिल से दिल को राहत होती है , मेरी नंदिनी के दिल ने मुझे मरने के पश्चात भी पहचान लिया और मुझे उसके सच्चे प्यार ने ढूंढ ही लिया। अब यदि आपको कोई परेशानी ना हो तो मैं आपकी बेटी से विवाह करना चाहूंगा। हालांकि नंदिनी और मेरा प्यार तो अटल है, किंतु आपकी बेटी के रूप में उसे स्वीकार करने में मुझे थोड़ा समय लगेगा लेकिन मैं शीघ्र अपने प्यार को वही दर्जा दूंगा। 

बेटा, हमें इसमें क्या आपत्ति हो सकती है ? यह हमारी बेटी है , बेटियों का तो विवाह किया ही जाता है , जब इसके दिल को भी तुम्हारे करीब होने पर सुकून और राहत मिलती है तो हमें कोई आपत्ति नहीं ,यह कहकर, उसके माता-पिता ने भी, नवीन और श्वेता के विवाह को अनुमति  दे दी। 

तुरंत ही नवीन ने भी , अपनी मां को श्वेता का फोटो भेज दिया जो उन्हें बेहद पसंद आया कुछ दिनों पश्चात दोनों का विवाह कर दिया गया। जब दिल से दिल जुड़े होते हैं, रूप और चेहरा चाहे बदल जाए , किन्तु उसके  अंदर की रूह उसे पहचान ही लेती है। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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