धीमे -धीमे से ,हौले से ,तितली सी मंडराती मुस्कान !
उसके गंभीर ,चिंतित चेहरे पर उसकी, वो मुस्कान !
कठोर चेहरे की रंगत को, गुलाबी बनाती ,मुस्कान !
उम्र चाहे कितनी हो ? बालपन सी आ जाती मुस्कान !
अंधेरों में जैसे ,धूप सी खिली हो ,
काले साये की परछाइयों में पली हो !
हवा के झोंकों सी ,बारिश की बूंदों सी ,
खूब लुभाती,चंचल सी उसकी वो मुस्कान !
उन्मुक्त आ बैठी ,उसके गुलाबी अधरों पर ,
झलक आई उसकी आँखों से भी उसकी वो मुस्कान !
आँचल की ओट में , दामिनी सी चमकी ,
हया से शर्माकर,उसने दबा ली आँचल से अपनी मुस्कान !