Sazishen [ part 96]

 नीलिमा और मिसेज खन्ना दोनों ही ''सिद्धिविनायक ''के दर्शनों की अभिलाषा लिए जाती हैं ,यह सुझाव भी उन्हें नीलिमा ने ही दिया है क्यों न ,अपने खाली समय का सदुपयोग किया जाये।अपनी योजनानुसार ,नीलिमा कार्यान्वित हो चुकी है। नीलिमा किसी से कहती ,कुछ नहीं किन्तु  जो उसकी ज़िंदगी में जबरदस्ती घुसना चाहता है ,या उसके  शांत जीवन में हलचल करता है ,उसे क्षमा भी नहीं करती। गाड़ी में भजन चल रहा था किन्तु नीलिमा का मन कहीं और ही घूम रहा था। ये ज़िंदगी मुझे न जाने कहाँ लेकर जाएगी ? जहाँ भी ले जाये,कोई सही मार्ग ही दिखेगा। मुझे उस पर पूर्ण विश्वास है। 


अचानक से ड्राइवर ने, गाड़ी में ब्रेक लगाया और गाड़ी रुक गई , और नीलिमा के विचार भी वहीं थम  गए उसने आसपास का नजारा देखा, मंदिर की घंटियां बजती सुनाई दे रही थीं। लो ! मंदिर आ गया कहते हुए नीलिमा ने दरवाजा खोला और गाड़ी से बाहर आ गई। मंदिर में बहुत भीड़ थी। पूजा का सामान लेकर,दोनों ही मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने लगीं। नीलिमा को तो 'सिद्धिविनायक 'से आशीर्वाद लेने ही जाना था, अपनी  बेटियों की मंगलकामना की इच्छा से, उनके दर्शन करने गई थी। सीढ़ियां चढ़ते समय तभी, मि सेज खन्ना को भी, किसी का फोन आ गया और वह एक अलग खाली स्थान देखकर, वहां पर खड़ी होकर बातें करने लगीं , उनके चेहरे पर प्रसन्नता थी, कुछ देर फोन करने के पश्चात , उन्होंने नीलिमा की तरफ देखा और बोलीं -आज हम एक शुभ कार्य के लिए आए हैं, और एक 'खुशखबरी 'और मिली। 

क्या खुशखबरी ? नीलिमा ने उत्सुकता से पूछा। 

मेरा बेटा पढ़ाई पूरी करके आ रहा है। 

क्या बात कह रहीं हैं ? क्या आपका कोई बेटा भी है ? नीलिमा ने आश्चर्य से पूछा। 

क्यों , तुम्हें मैं ऐसी लगती नहीं हूं, क्या मेरा बेटा नहीं हो सकता ?

नहीं ,आज तक आपने ,उसका कभी जिक्र ही नहीं किया। लगता भी नहीं कि आपका इतना बड़ा बेटा भी होगा, आप तो अभी भी काफी जवान लगती हैं नीलिमा ने उसे चढ़ाया।

हां ,वह तो है ,मिसेज खन्ना प्रसन्न होते हुए बोली। 

कब आ रहा है ? 

यह तो उसने नहीं बताया , किंतु शीघ्र ही आएगा। 

देखा , जब हम कोई शुभ कार्य करने चलते हैं। तो उस प्रभु को भी पता चल जाता है, और हमारे लिए पहले से ही खुशियां तलाशने  लगता है। 

शायद ,तुम सही कह रही हो। 

ईश्वर तो हर जगह है, गुरुद्वारे में भी है, मंदिर में भी है, हम इंसानों में भी है , बस थोड़ा सा ऐसे स्थान पर पहुंचकर मन को शांति और सुकून मिल जाता है क्योंकि तब हम उसके घर आते हैं। अपनी बेटे - बेटियों के लिए मंगल कामना की दुआ करके नीलिमा और मिसेज खन्ना बाहर आती हैं। तब नीलिमा कहती है -अन्य दिन तो हम औरों के काम के लिए, या मीटिंग के लिए, समय व्यतीत करते हैं किंतु आज हम अपने लिए समय निकालेंगे। आई चलिये ! आज चौपाटी पर चलते हैं। वहां की स्ट्रीट फूड खाएंगे, आपकी क्या राय है ?

विचार तो अच्छा है। 

आपने कब से ,बाहर इस तरह से 'स्ट्रीट फूड ' नहीं खाया ?

बरसों हो गए , कभी उनके साथ ही ,शादी से पहले खाया था उसके पश्चात तो ,न ही उन्हें समय मिला ,न ही हम कहीं बाहर गए। आरम्भ में मैं ,बहुत परेशान रहती थी ,जब बेटा पास में था ,तो भी थोड़ा बहुत समय कट जाया करता था किन्तु उसके जाने के पश्चात, तब मैंने भी अपने को किट्टी में ,मीटिंगों में व्यस्त कर लिया। अलग ही जिंदगी हो गई बिल्कुल ही अलग -थलग, जिसमें हमें हमारे लिए समय नहीं था।

 तो आज उस समय को वापस ले आते हैं ,या फिर जिंदगी से वह क्षण छीन लेते हैं। ड्राइवर चौपाटी की तरफ ले चलो ! ड्राइवर ने एक नजर नीलिमा की तरफ देखा और चुपचाप गाड़ी चलाने लगा। कई बार हम सोचते हैं, हम आसान सी जिंदगी जीना चाहते हैं ,किंतु कोई देख लेगा ,क्या कहेगा ? ऐसी बातों को सोचकर न जाने कितनी बातों को सोचकर ,अपनी जिंदगी को जीना छोड़ देते हैं और एक नकली जिंदगी जीने लगते हैं। जो सिर्फ मात्र दिखावा सा रह जाता है। औपचारिकताएं रह जाती हैं। 

 आज ऐसा लग रहा है ,जैसे बरसों पश्चात , मैं  अपनी किसी विशेष सखी के साथ अपना जीवन जी रही हूं।

हमउम्र न हों ,हम विचारवाले भी अच्छे दोस्त बन जाते हैं ,जब एक -दूसरे को अच्छे से समझने लगते हैं।  अच्छा, एक बात बताइए ! चांदनी जी से आपकी दोस्ती कैसे हुई ? नीलिमा गंभीर होते हुए पूछा। 

मेरी दोस्ती कब और कैसे हुई ? सबसे पहले तो पड़ोसी हैं. उसके पश्चात अक्सर किट्टी में हमारा मिलना हुआ और अब उसने इस उम्र में विवाह किया तो मिलना तो स्वाभाविक ही था। एक जिज्ञासा बन जाती है, ऊपर से इसका रहन-सहन, ऐसे रहती है जैसे बहुत बड़ी फ़िल्म  की हीरोइन हो।' जावेरी प्रसाद जी' को जाने कैसे पटाया होगा ? शायद ,अंकल कहकर कहते हुए उसके आंखों में चमक आ गई , और मुस्कुराने लगी। 

आपने एक बार बताया था उनका एक बेटा भी है, हां है तो......  किंतु यहां नहीं रहता, वह अपने पिता से नाराज चल रहा है। 

आखिर नीलिमा क्या चाहती है ? क्या मिसेज खन्ना का वह लाभ उठा रही है, या उनके प्रति उसके व्यवहार में कोई खोट नहीं। आगे उसकी बेटियों की जिंदगी क्या मोड़ लेती है ? उसकी बेटियां कहां जाती हैं ? जानने के लिए पढ़ते रहिए -साजिशें !

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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