''रोबोट '' यानी पुतला !
''रोबोट ''वास्तव में ,
ईश्वर ने बनाया इंसान !
हम उसके बनाए,रोबोट !
कलाकार ! वह बहुत बड़ा ,
क्या हम भी,अच्छे कलाकार बन गए हैं ?
हर इक चीज का ध्यान रखा है।
भावनाएं ,संवेदनाएं ,दुःख -दर्द ,
उसने सोचा,प्रेम -भक्ति से सराबोर इंसान हो गए हैं।
इंसान ने बनाया'' रोबोट '!
इक यंत्रचालित पुतला !
भर न सका ,प्रेम ,भावनाएं , चाहत !
आजकल लगता,हम भी मशीनी हो गए हैं।
मतलबपरस्त इंसान ! संवेदना हीन !
यंत्रचालित , इंसान हो गए हैं।
ईश्वर की बनाई रचना में, बदलाव आ गया है।
रोबोट ! बनाते -बनाते रोबोट हो गए हैं।
भावनाएं, न जाने कहां खो गईं हैं ?
परिवार ,समाज का अर्थ भूल ,
अपनी बनाई कंदराओं में ही कहीं खो गए हैं।
आज लगता है ,जैसे हम भी ''रोबोट ''हो गए हैं।
