Robot

''रोबोट '' यानी पुतला !


 ''रोबोट ''वास्तव में ,

 ईश्वर ने बनाया इंसान !

 हम उसके बनाए,रोबोट !

 कलाकार ! वह बहुत बड़ा ,

क्या हम भी,अच्छे कलाकार बन गए हैं ?


हर इक चीज का ध्यान रखा है।

भावनाएं ,संवेदनाएं ,दुःख -दर्द ,

उसने सोचा,प्रेम -भक्ति से सराबोर इंसान हो गए हैं।  

इंसान ने बनाया'' रोबोट '!

इक यंत्रचालित  पुतला !

भर न सका ,प्रेम ,भावनाएं , चाहत !

आजकल लगता,हम भी मशीनी हो गए हैं।

मतलबपरस्त इंसान ! संवेदना हीन !

यंत्रचालित , इंसान हो गए हैं।   

ईश्वर की बनाई रचना में, बदलाव आ गया है।

 रोबोट ! बनाते -बनाते रोबोट हो  गए हैं। 

भावनाएं, न जाने कहां खो गईं हैं ?

परिवार ,समाज का अर्थ भूल ,

अपनी बनाई कंदराओं में ही कहीं खो गए हैं। 

आज लगता है ,जैसे हम भी ''रोबोट ''हो गए हैं।  

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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