Rasiya [part 62]

अपने पिता की बातें सुनकर चतुर यह तो समझ गया ,कि मेरे घर वाले लड़की को देखकर ,विवाह के लिए अवश्य ही मान जायेंगे ,हालांकि मुझसे  प्रेम करते हैं ,मेरे प्रेम के कारण भी ,इस रिश्ते को स्वीकार कर सकते हैं। तब वह कस्तूरी के घर पहुंच जाता है ,कस्तूरी की मां को न जाने क्यों चतुर का आना खलने लगा था ? उसे लग रहा था ,यदि इसे चोट लगी है ,तो यह यहां क्यों आया है ? क्या जताना चाहता है ?अभी वह उससे कुछ प्रश्न पूछती , तभी दरवाजे पर उसके पति आते दिखलाई दिए अपने पति को इस तरह देखकर, सोचने लगी -इन्हें क्या हुआ ? ये इस वक्त यहां क्यों है ?फिर दरवाजे की तरफ लपकी और बोली -क्या बात है ? आज इस समय यहां क्यों आए हैं ? आपकी तो दुकान पर बैठने का समय है ? वहां पर ग्राहक आ गए होंगे। 

तुम बहुत प्रश्न पूछती हो, अंदर तो चलो ! कहते हुए वह अंदर आए। चतुर को देखकर बोले -क्या बात है ,मुझे इस तरह यहां क्यों बुलाया है ?



मैं आप लोगों से एक बात करना चाहता हूं , मुझे विश्वास है आप लोग , मेरा साथ देंगे। इस बात को कुछ गलत न समझें। 

इतनी सारी भूमिका क्यों बांध रहे हो ? कस्तूरी की मां ने झल्लाते हुए पूछा ,बच्चों से बोली -चलो !तुम अंदर बैठकर अपनी पढ़ाई करो। 

मन ही मन, चतुर सोच रहा था ,यह इन्होंने अच्छा किया। तब वह बोला -मैं कस्तूरी को पसंद करता हूं, और उससे विवाह भी करना चाहता हूं। 

मैं यही सोच रही थी, आखिर यह बार-बार हमारे घर क्यों आता है ?आपने ही इसे इतनी छूट दे रखी थी।जो हमारे घर में चला आता है ,अब पता चल गया , इसकी नजर हमारी बेटी पर है। 

आंटी जी !आप गलत मत समझिए, मैंने कुछ भी गलत व्यवहार नहीं किया है ,न ही ,आपकी बेटी के साथ और न ही आपके परिवार में ऐसा कुछ किया है। आप तो मुझे इतने दिनों से जानती हैं ,आपको मेरे व्यवहार से कुछ भी गलत लगा। 

और इससे ज्यादा गलत क्या होगा ?हमारे घर की बेटी पर तेरी नजर थी ,इसीलिए भला बन रहा था। 

तुम कुछ देर शांत भी रहोगी, मुझे इसकी बात सुनते तो दो !यह कहना क्या चाहता है ?

मैं बस यही कहना चाहता हूं कि मैं कस्तूरी से प्रेम करता हूं और उससे विवाह भी करना चाहता हूं। 

किंतु इसके विवाह की  बात तो कहीं चल रही है। 

हां ,मैं जानता हूं किंतु कस्तूरी को ,वह लड़का पसंद नहीं है। आप कस्तूरी को बुलाकर उससे ही पूछ लीजिए, कि वह उससे विवाह करना चाहती है या नहीं। 

देखा ,आपने ! हमारे घर की एक -एक खबर रखता है। तुझे ,इस बात से क्या मतलब ?हमारे घर में क्या हो रहा है ?क्या नहीं ?अरे, लड़की से क्या पूछना है ?लड़की को अपने अच्छे -बुरे की समझ ही कहां है? इसका फैसला तो हमें ही करना होगा। वह लड़का अच्छे परिवार से है, खूब खेती-बाड़ी है और पढ़ भी रहा है। हमें और क्या चाहिए ?

तुम उसके सामने क्या हो ? आज से कुछ, महीना पहले हमारे ही टुकड़ों पर पल रहे थे, तुम जैसे लड़के के हाथ में हम कैसे अपनी बेटी का हाथ दे सकते हैं ? कस्तूरी की मां ने अपना निर्णय सुनाया। 

आपने, यह कैसे जान लिया ?कि मैं बहुत गरीब हूं, मेरे पास धन -दौलत ,जायदाद कुछ नहीं है , जिस लड़के की आप बात कर रही हैं। उससे दोगुनी दौलत और जमीन -जायदाद मेरे पास है। वह तो मैं नाराज होकर घर से भाग कर आ गया था इसलिए आपको ऐसा लगा होगा। मैंने  बड़ी मुश्किल से अपने घर वालों को मनाया है। 

कस्तूरी के पिता चुपचाप बैठे हुए कुछ सोच रहे थे , वह बोले -मैं तुम्हारी बात सही मान भी लूं, क्या तुम कस्तूरी को पसंद हो ?

 पूरे विश्वास के साथ, चतुर बोला -आप उसे ही बुलाकर पूछ लीजिए। 

हमें उसे बुलाकर पूछने की कोई आवश्यकता नहीं है, हमने जहां उसका रिश्ता तय कर दिया है, वह वही विवाह करेंगी। इतने दिनों से उसे पढ़ाने के बहाने ,ये सब सिखा रहा था ,लड़की का भी दिमाग़ खराब कर दिया। इसकी पढ़ाई हुई है ,इसी की भाषा बोलेगी। 

चाहे वह लड़का उसे पसंद हो या न हो , आप यह कैसी जिद कर रही हैं ?आपका व्यवहार पहले तो ऐसा नहीं था।  

पहले मुझे तुम्हारे विषय में भी कुछ मालूम नहीं था ,अब तुम्हारी असलियत सामने आई है। हमने  उन लड़के वालों से हां कर दी है ,उन्होंने जैसे अपना निर्णय सुनाया। 

यह हमारी पूरी जिंदगी का सवाल है, एक हां पर जिंदगी बर्बाद तो नहीं कर सकते। यदि उससे बेहतर लड़का आपको मिलता है ,तो क्या बुराई है ? और यदि आपको मेरी बातों पर विश्वास न हो तो आप मेरे गांव चलकर श्रीधर जी का परिवार आकर देख सकते हैं ,कैसा खानदान है , कैसा परिवार है और कितनी जमीन जायदाद है ? आप मेरे गांव चलिए और मेरे पिता से बात कर लीजिए। 

 हमारे, घर बैठे ही रिश्ता आया है तो हम तुम्हारे घर, क्यों रिश्ता मांगने जाएंगे ? उसकी मां तेवर दिखाते हुए बोली

रीति -रिवाज तो यही कहता है, लड़की वाले ही ,लड़के के यहां रिश्ता लेकर जाते है और यदि आपको लगता है कि घर बैठे ही, आपका रिश्ता आ गया है तो मैं भी तो , कस्तूरी का हाथ मांग रहा हूँ । अब अंकल जी ज्यादा मत सोचिए ! शीघ्र ही निर्णय लीजिए। कल आप मेरे घर आईये ! और मेरे पिता से आप, रिश्ते की बात कर लीजिए। साथ के साथ हमारी जमीन -जायदाद भी आप देख सकते हैं,चतुर ने ये एक पाशा फेंका ,ताकि इसी कारण से ,उनके गांव में आयें।  

कस्तूरी के पिता को यह बात उचित लगी और बोले  -कल मैं तुम्हारे गांव में आऊंगा। 

हां हां अवश्य आइये ! साथ के साथ में आपको, सुशील का घर -परिवार भी दिखला दूंगा , पूरे विश्वास के साथ चतुर बोला। 

उनकी बातें काटते हुए कस्तूरी की मां बोली -किंतु  हमने तो उन लोगों को जुबान दे दी है। 

यह हमारी बेटी का मामला है, हमें जो उचित लगेगा और जिसमें हमारी बेटी की खुशी होगी हम वही कार्य करेंगे उसके पिता ने कहा। 

आज चांद गांव में किसी नए अतिथि ने प्रवेश किया है, वह और कोई नहीं , कस्तूरी का पिता ही हैं , घर में उसका अच्छा स्वागत हुआ , चतुर का इतना बड़ा घेर देखकर, उसे आश्चर्य हो रहा था। इतनी बड़ी जमीन तो इनके मेहमानों के लिए और जानवरों को रखने के लिए ही है। कहां, शहर में रहने वाला, छोटी सी चाय की दुकान करने वाला, 100 गज के मकान में, रहने वाला। इतनी बड़ी जमीन ज्यादा देखकर आश्चर्यचकित रह गया, और मन ही मन सोच रहा था। कि यह लड़का इतनी, संपत्ति का मालिक है और मेरे यहां, नौकर बनकर रहा। मन ही मन दुख भी हो रहा था। किंतु यह संयोग भी हो सकता है, उसे श्रीधर जी से  यह कहते हुए झिझक हो रही थी कि मैं अपनी बेटी के लिए आपके बेटे का रिश्ता लेकर आया हूं। उसे चतुर पर विश्वास तो था, किंतु मन घबरा गया था। 

क्या कस्तूरी के पिता अपनी बात कह पाएंगे ,और श्रीधर जी इस रिश्ते की हामी भरेंगे या नहीं। ये जीवनभर के लिए लिया जाने वाला निर्णय था। आगे देखते हैं ,क्या होता है ? 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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