Rasiya [part 56]

दुनिया में इतनी परेशानियां है, किंतु चतुर और चतुर के मित्रों की परेशानियां ही अलग हैं , किसी को जीवन में लड़की न मिलने का दुख है। किसी को इम्तिहान की चिंता है। किसी को भविष्य की चिंता है ,कि भविष्य में ,अपने बच्चों को क्या जवाब देंगे ? सबकी अपनी अपनी परेशानियां हैं , अब यह बच्चे हैं, तो बच्चों की बच्चों जैसी परेशानियां ही तो होगीं। उनकी किशोरावस्था से ही ,उनके जीवन की नई शुरुआत होती है। चतुर अपने दोस्तों से, शीघ्र ही, आने वाली  परीक्षाओं की तैयारी के लिए, कहता है -सुशील का तो पहले से ही पढ़ाई में ध्यान नहीं था , और उसने पहले ही, आगे न पढ़ने का मन बना लिया था। उसे यह सब चीज बेकार की लग रही थीं ,उसके अनुसार -''पढ़ाई के पश्चात भी खाने -कमाने की परेशानी सामने आती है ,तब पढ़ाई में इतना समय क्यों व्यर्थ गंवाना ? क्यों न समय का सदुपयोग करते हुए ,अभी से कमाई का साधन जुटाना चाहिए। 


जब चतुर ने उसे समझाना चाहा ,तब भी ,हमारे लिए शिक्षा आवश्यक है। 

तब वह बोला -इतना पढ़ा -लिखा तो हूँ ,जो उचित -अनुचित का ज्ञान हो और अनपढ़ की तरह किसी कागज़ पर अँगूठे की जगह 'हस्ताक्षर 'कर सकता हूँ। वह तो विवाह करके, अपने गृहस्थ जीवन को सुचारू रूप से चलाना चाहता था। शिक्षा का सभी को मौका मिल रहा है, किंतु यह उस पर निर्भर करता है, कि वह अपने परिश्रम के माध्यम से और अपनी सोच के आधार पर, कितना आगे जाता है ? और कहां ठहर जाता है ?

अभी दो परीक्षाएं बाकी रह गई थीं , तभी कस्तूरी का पत्र चतुर को मिला , वे लोग अपने नियम के अनुसार, पत्रों का आदान-प्रदान अभी भी कर रहे थे। उस पत्र के मिल जाने से, एक दूसरे से अपने मन की बात कह पाते। एक दूसरे के करीब होने का एहसास होता। एक दूसरे को शांत बना देते। पत्र उनके मिलन में, एक पुल का कार्य कर रहे थे। एक ऐसा पुल! जो उन दोनों को विचारों से जोड़ता था , हृदय की धड़कनों को चलना सिखाता था। वह तो चतुर का ही धैर्य था, जो इतने दिन रुका हुआ था वरना वह चाहता तो तब भी उसका विवाह हो सकता था किंतु आज जो पत्र, कस्तूरी ने भेजा , उसको पढ़कर, चतुर के मन में बेचैनी होने लगी और सोचने लगा - ऐसा कैसे हो सकता है ? अभी दो पेपर और बाकी हैं किंतु अब उसका, पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था। यह कैसा व्यवधान आ गया ?वह जानना चाहता था ,कि वह कौन है ? जो कस्तूरी के लिए रिश्ता लेकर गया है। उसके मन में घुटन सी होने लगी, अनेक प्रश्न उसके दिमाग में गूंज रहे थे। तभी उसे कस्तूरी के मोहल्ले का जो आवारा लड़का था, उसका स्मरण हो आया, क्या नाम था उसका -दिमाग़ पर जोर डालते हुए सोचने लगा -पुनिया ! हो सकता है उसने ही , कस्तूरी के लिए रिश्ता भेज हो। 

रामप्यारी से यह बात छुपी नहीं थी, लड़के का मन पढ़ाई से भटक रहा है आखिर ऐसा क्या हो गया है ? वह उसके पास गई -क्या हुआ ?चतुर !तू कुछ परेशान है। इस तरह क्यों टहल रहा है ? कोई दिक्कत है , अपनी मां को नहीं बतायेगा। 

नहीं ,ऐसी कोई भी बात नहीं है , दो ही पेपर  रह गये  हैं। इतने दिनों से तैयारी कर रहा हूं इसीलिए आज मन में कुछ बेचैनी सी हो रही है। 

''जब तूने अब तक धैर्य से काम लिया है., तो आगे भी इसी धैर्य के साथ, अपनी तैयारी कर....... किस्मत के लिखे को कोई नहीं मिटा सकता। यदि तेरी किस्मत में, अच्छे नंबर से पास होना है, तो हो कर रहेगा, इसके लिए तुझे घबराने की आवश्यकता नहीं, बस तू अपना कर्म करता जा....... ''

रामप्यारी को पता नहीं था, कि  चतुर की यह बेचैनी किसी और ही बात की है वह तो उसकी पढ़ाई को लेकर सोच रही थी ,किंतु चतुर को मां के इन शब्दों से थोड़ा आराम मिला, उसे लगा -कस्तूरी यदि, उसकी नहीं होती तो, उसे मिलती ही, क्यों ? इतने दिनों से उसकी क्यों प्रतीक्षा करती ?

मेरे एक दोस्त का विवाह हो रहा है, अब मैं उससे कह रहा हूं ,तू परीक्षा दे दे ! उसके पश्चात \ विवाह करना, किंतु उसका रिश्ता आ गया है। मुझे यह परेशानी है ,कहीं उसकी परीक्षा न छूट जाए। 

क्या तेरी चिंता का विषय यह था, रामप्यारी उसकी सोच पर हंसी और बोली -विवाह कोई गुड्डे - गुड़ियों का खेल नहीं, अभी उसका रिश्ता आया है, तय नहीं हुआ है। तय होगा, फिर उसके पश्चात सगाई होगी, अन्य रस्में होगीं। तब पंडित जी विवाह का दिन निश्चित करेंगे। तब जाकर विवाह होता है। तेरे दोस्त के यह दो इम्तिहान तो आराम से हो जाएंगे और यह भी हो सकता है, उन लोगों को तेरा दोस्त पसंद आये या ना आए, या उनको लड़की पसंद आए या न आए। अभी कई बातें हैं , इसीलिए निश्चिंत होकर, वह अपने इम्तिहान दे सकता है , उसके पश्चात कुछ भी करता रहे।

 मां की बातें सुनकर चतुर के मन में, उत्साह जगा वह प्रसन्न हो गया। मां फिर भी मां ही होती है। उन्होंने उसकी परेशानी को  हल कर दिया था ,वह  निश्चिंत होकर पढ़ने बैठा ,किंतु विचार हैं  कि गाहे - बगाहे आ ही जाते हैं। तब भी मन में एक प्रश्न कोंधता रहताहै । ऐसा कौन होगा ? जो कस्तूरी के लिए रिश्ता लेकर पहुंचा है ? वह क्या करता होगा ? क्या मुझसे ज्यादा प्रभावशाली व्यक्तित्व का होगा ? हो सकता है ,वह अच्छा कमाता हो, मैं तो अभी पढ़ ही रहा हूं, फिर विचारों को झटका देकर पढ़ने बैठ जाता। 

परीक्षा पूर्ण होते ही, चतुर कस्तूरी के घर पहुंच गया क्योंकि अब उसे कोई डर नहीं था और उसकी कस्तूरी के परिवार से बहुत पुरानी जान -पहचान भी थी। किंतु जब वह घर पर पहुंचा, तो वहां कोई नहीं था, दरवाजा खुला हुआ था। आवाज लगाते हुए -मोहित ! कस्तूरी ! तुम लोग कहां हो ? आगे बढ़ता गया। घर में शांति थी, आखिर यह लोग कहां चले गए ? पहले सोचा, दरवाजा बंद कर लेता हूं , फिर सोचा -शायद ,कोई चोर घुस आया हो, भागने का समय भी नहीं मिलेगा। ऐसे ही दरवाजा खुला छोड़कर, आगे बढ़ गया। सीढ़ियों से होते हुए ,वह ऊपर के कमरे में जाने लगा। दो-तीन बार दरवाजा खटखटाया ,किंतु किसी ने भी दरवाजा नहीं खोला, जोर से दबाव देते ही ,दरवाजा खुल गया। उसने देखा, पलंग पर कस्तूरी सोई पड़ी थी। कैसी लापरवाह लड़की है ? दरवाजा बंद करके भी नहीं सोई , घरवाले न जाने कहां चले गए हैं ? उसे उठाने के लिए वह आगे बढ़ा किंतु वह नहीं जागी। तब उसे एहसास हुआ ,शायद यह बेहोश है, वह घबरा गया ,दौड़कर पानी लेकर आया। आखिर ,इसे क्या हुआ है ? उसके चेहरे पर, पानी के छींटे मारते हुए ,उसे पुकारने लगा -कस्तूरी !कस्तूरी ! कुछ देर पश्चात ,कस्तूरी को होश आया। चतुर को देखते ही ,उससे लिपटकर रोने लगी -अब मैं यहां और नहीं रहूंगी, तुम मुझे यहां से ले चलो !

आखिर हुआ क्या है ?मुझे कुछ तो बताओ !

क्या तुम्हें मेरा पत्र नहीं मिला था ?

हां ,मिला था किंतु हुआ क्या है ?यह तो बताओ ! आखिर वह लड़का कौन है ?कहां से रिश्ता आया है ? यही जानने के लिए तो मैं आज यहां आया हूं। क्या रिश्ता तय हो गया ?

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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