Prem patra

''प्रेम पत्र ''लिखा किसी को ,

 भावनाओं को छुपा लिया। 

भेजा नहीं पत्र, उसके पास ,

प्रेम में रहती वो हरदम उदास। 



किसी ने लिखा,''प्रेम -पत्र ''

अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। 

किसी के हाथों भेज दिया। 

व्यक्त की भावनाएं , 

दिल के एहसासों को जगा दिया। 

 पत्र उसे न मिल सका,जिसको दिया। 

पढ़ा किसी और ने, बगैर नाम' पत्र '!

उसने अपने लिए समझ लिया। 

गलतफहमी का शिकार बन,

आदान -प्रदान चलता  रहा। 

समय यूं ही ,फिसलता रहा। 

कसमों- वादों का दौर बढ़ता रहा। 

 एक दूजे से मिलने की चाहत, करीब ले आई। 

 सामना हुआ हकीकत से, तब बात समझ आई। 

हकीकत बन गई, मुसीबत !

जब महबूब की जगह किसी और को देख लिया। 

न- न करते भी प्यार ,करना पड़ा।

' पत्र ' लिखना उसे महंगा पड़ा। 

मिला ''धोखा '' उसी से विवाह करना पड़ा। 

तड़पती सच्चे प्यार को, जीवनभर दर्द सहना पड़ा।

 चाहत किसी की ,किसी और की हो गई।

'' प्रेम पत्र ''लिखा जो, सजा उम्र भर की हो गई। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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