''प्रेम पत्र ''लिखा किसी को ,
भावनाओं को छुपा लिया।
भेजा नहीं पत्र, उसके पास ,
प्रेम में रहती वो हरदम उदास।
किसी ने लिखा,''प्रेम -पत्र ''
अपनी भावनाओं को व्यक्त किया।
किसी के हाथों भेज दिया।
व्यक्त की भावनाएं ,
दिल के एहसासों को जगा दिया।
पत्र उसे न मिल सका,जिसको दिया।
पढ़ा किसी और ने, बगैर नाम' पत्र '!
उसने अपने लिए समझ लिया।
गलतफहमी का शिकार बन,
आदान -प्रदान चलता रहा।
समय यूं ही ,फिसलता रहा।
कसमों- वादों का दौर बढ़ता रहा।
एक दूजे से मिलने की चाहत, करीब ले आई।
सामना हुआ हकीकत से, तब बात समझ आई।
हकीकत बन गई, मुसीबत !
जब महबूब की जगह किसी और को देख लिया।
न- न करते भी प्यार ,करना पड़ा।
' पत्र ' लिखना उसे महंगा पड़ा।
मिला ''धोखा '' उसी से विवाह करना पड़ा।
तड़पती सच्चे प्यार को, जीवनभर दर्द सहना पड़ा।
चाहत किसी की ,किसी और की हो गई।
'' प्रेम पत्र ''लिखा जो, सजा उम्र भर की हो गई।