व्यथित मन ,ख़ुशियाँ तलाशता है।
अशांत मन ,शांति की तलाश में है।
भोगी प्रेम की तलाश में भटकता है।
योगी ,वैराग्य में 'खज़ाना 'ढूंढता है।
कुछ ज्ञान की तलाश में भटकते हैं।
'' प्रकृति ' में ,कोई सुकून ढूंढता है।
'रोगी तन ',आरोग्यता चाहता है।
''मूक'' चाहे ,दो मीठे बोल !
'पंगु ''को चाहिए , पाँव !
'' द्विज ''चाहे ,प्रभु सेवा !
क्षत्रिय को,कर्त्तव्य पालन !
पेटू खोजे ,भोजन में खज़ाना !
''वैश्य ''चाहे ,व्यापारिक खज़ाना !
''नेत्रहीन ''चाहे ,आँखों का उजाला !
''व्याभिचारी ''ढूंढे ,'सौंदर्य 'में खज़ाना !
दृष्टिहीन बने सभी ,ढूँढ़े अद्भुत खज़ाना !
हीरे ,माणिक ,मोती को समझें खज़ाना !
वाकपटु पर शब्दों का अनमोल खज़ाना !
जिसकी जैसी चाहत ,ढूँढे वैसा ही खज़ाना !