Khazana

 व्यथित मन ,ख़ुशियाँ तलाशता है। 

अशांत मन ,शांति की तलाश में है।

भोगी प्रेम की तलाश में भटकता है। 

 योगी ,वैराग्य में 'खज़ाना 'ढूंढता है। 

 कुछ ज्ञान की तलाश में भटकते हैं। 

'' प्रकृति ' में ,कोई  सुकून ढूंढता है।

 'रोगी तन ',आरोग्यता चाहता है। 


 ''मूक'' चाहे ,दो  मीठे बोल ! 

 'पंगु ''को चाहिए , पाँव !

'' द्विज ''चाहे ,प्रभु सेवा !

  क्षत्रिय को,कर्त्तव्य पालन !

 पेटू खोजे ,भोजन में खज़ाना !

''वैश्य ''चाहे ,व्यापारिक खज़ाना !

''नेत्रहीन ''चाहे ,आँखों का उजाला !

''व्याभिचारी ''ढूंढे ,'सौंदर्य 'में खज़ाना !

दृष्टिहीन बने सभी ,ढूँढ़े अद्भुत खज़ाना !

हीरे ,माणिक ,मोती को समझें खज़ाना !

वाकपटु पर शब्दों का अनमोल खज़ाना !

जिसकी जैसी चाहत ,ढूँढे वैसा ही खज़ाना !

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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