'जादूगर का जादू' कमाल कर रहा है।
हर कोई ,भ्रमित जिंदगी जी रहा है।
जानते सभी, जीवन-मृत्यु का खेल है।
मानव तब भी जीवन को छल रहा है।
खेल ये...... जीवनपर्यन्त ही चलेगा।
मानव न जाने क्यों?अपने को छल रहा है।
'जादूगर का जादू 'कमाल कर रहा है।
ऊपर बैठा जादूगर, जोरो हंस रहा है।
भाग तू ,कितना भी........दौड़ लगा ले !
तू काल के शिकंजे में फंसता जा रहा है।
मेरी दी, स्वांसों की डोर से तू चल रहा है।
'जादूगर का जादू 'कमाल कर रहा है।
भ्रमित है जीव ,कभी हंसता- रोता मुस्कुराता है।
जीवन के अनुभवों को यादें बनाता है।
कुछ धरोहर के रूप में ,सजा रहा है।
मिट जाना है सब कुछ, छोड यहीं जाना है।
कालचक्र मिटाने के नए बहाने बना रहा है।
''जादूगर का जादू '' कमाल कर रहा है।
जादूगर की बेहतरीन पुतलियां सजीव हैं ।
किंतु जीवन की डोर वो ही चला रहा है।
बेमिसाल जादूगर किसी से मिलवाता ,
तो किसी से अलग भी....करवा देता है।
अपनी माया का भृमजाल बिछा रहा है।
इन रोती- गाती पुतलियों पर मुस्कुरा रहा है।
अपने कहानी- किस्से अलग ही रचा रहा है।
'' जादूगर का जादू ''कमाल कर रहा है।
कोई योगी बना ,कोई ढोंगी ,कोई भोगी है।
तू , संसार में रहे या उससे भागता रहे।
अंत सबका तय है ,यही समझा रहा है।
''जादूगर का जादू ''कमाल कर रहा है।