Jadugar ka jadu

 'जादूगर का जादू' कमाल कर रहा है। 

 हर कोई ,भ्रमित जिंदगी जी रहा है। 

जानते सभी, जीवन-मृत्यु का खेल है। 

मानव तब भी जीवन को छल रहा है। 

 खेल ये...... जीवनपर्यन्त ही  चलेगा। 

मानव न जाने क्यों?अपने को छल रहा है। 



'जादूगर का जादू 'कमाल कर रहा है। 

ऊपर बैठा जादूगर, जोरो हंस रहा है।

भाग तू ,कितना भी........दौड़ लगा ले !

 तू काल के शिकंजे में फंसता जा रहा है। 

मेरी दी, स्वांसों की डोर से तू चल रहा है। 

'जादूगर का जादू 'कमाल कर रहा है। 

भ्रमित है जीव ,कभी हंसता- रोता मुस्कुराता है। 

जीवन के अनुभवों को यादें बनाता है। 

कुछ धरोहर के रूप में ,सजा रहा है। 

मिट जाना है सब कुछ, छोड यहीं जाना है। 

कालचक्र मिटाने के नए बहाने बना रहा है।

''जादूगर का जादू ''  कमाल कर रहा है।  

जादूगर की बेहतरीन पुतलियां सजीव हैं । 

किंतु जीवन की डोर वो ही चला रहा है। 

बेमिसाल जादूगर किसी से मिलवाता ,

तो किसी से अलग भी....करवा देता है। 

अपनी माया का भृमजाल बिछा रहा है। 

इन रोती- गाती पुतलियों पर मुस्कुरा रहा है।

 अपने कहानी- किस्से अलग ही रचा रहा है।

'' जादूगर का जादू ''कमाल कर रहा है। 

कोई योगी बना ,कोई ढोंगी ,कोई भोगी है।

तू , संसार में रहे या उससे भागता रहे।  

अंत सबका तय है ,यही समझा रहा है। 

''जादूगर का जादू ''कमाल कर रहा है। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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