Extra marital affair [part 1]

 वो साया  -

आज पड़ोस की खिड़की से रौशनी आई। 

किया ,मन ने प्रश्न ?वहाँ कौन आया ?

 जानने के लिए उत्सुकता जगाई। 


तभी एक साया उस रौशनी में उभरआया। 

ये साया स्री या पुरुष का समझ नहीं पाया। 

पत्नी से पूछा -क्या पड़ोस में कोई आया है ?

 मालूम नहीं , काम ने ही दिन भरमाया है। 

ख़ैर जो भी हो ,अच्छा ही हो गया। 

ख़ाली घर में कोई आ बस गया। 

आज  पढ़ने का मन घर में नहीं था। 

बालकॉनी ही ,मुझे सबसे अजीज़ था। 

मैं ''समाचार -पत्र ''पढ़ता रहा ,

तिरछी नजरों से उधर तकता रहा।

परछाई थी ,वो किसकी ?

मन में बस यही चलता रहा। 

 

कल्पना -

हो कोई वो ,सुंदर  नार ,

लहराती वो आये और सुखाये अपने बाल !

झटकती उन जुल्फ़ों से ,जल की बूंदों को ,

छन -छन की आवाज़ से धड़काती दिलों को। 

कटी  में ,कसी करधनी से ,वो इठलाये। 

उसकी जुल्फें मेरे काँधे और सीने पर बिखर जाएँ। 

मुँह छुपाती ,उसके गुलाबी अधरों की चमक !

हाय !ऐसे सौंदर्य से मन क्यों न बहक-बहक जाएँ। 

खाने में क्या बनाना है ?शाम को आते समय सब्ज़ी लेते आना।

 अख़बार पढ़ रहे हैं ,न जाने ,किन ख्यालों में कुलाँचे भर रहे हैं। 

पत्नी के ये स्वर सुन धरातल पर आ गया। 

ख़्याली पुलाव पत्नी की वाणी से भरभरा गया। 


तमन्ना -

आज तो ,ईश्वर से कुछ और भी माँगते तो मिल जाता।

चलता नहीं, जोर! दिल पर किसी का,

अचानक , धड़कते -धड़कते दिल ही रुक जाता। 

तमन्ना थी ,जिसकी........ 

 उम्मीद थी, यही ,उसका दीदार मिल जाता। 

खड़ी थी ,वो आज गली में ,धड़कनों को थाम ,

हम आज उससे मिलने जा रहे थे। 

नहीं ली ,कभी तरकारी !

उसकी ख़ातिर आज तरकारी लेने जा रहे थे। 

नहीं पता था ,क्या लेना है ?

थैला उठाये दौड़े जा रहे थे। 

पीछे से पुकारा, श्रीमती जी ने ,कहाँ जा रहे हैं ?

बस यही अशुभ हो गया........ 

सब्जीवाला आया ,वहीं जा रहे हैं। 

तुम कहती हो ,कि कुछ करते नहीं,आज सब्ज़ी ला रहे हैं। 

तमन्ना कैसे पूर्ण होती ?'बिल्ली रास्ता जो काट गयी थी।'' 

इतनी सुंदर हसरत स्वाह ! होने जा रही थी। 

जब वो बोली - रहने दीजिये ! आज क्यों जा रहे हैं ?

कल ही सब्ज़ी मंगवाई थी ,

इतने वर्षों से क्यों, अपना नियम तोड़ रहे हैं ? 

आज इस तरह उनका काम करने के लिए मना करना ,

बहुत बुरा लगा -हमारा ,काम न करना भी,

आज जो दिल में तमन्ना थी ,दिल में ही रह गयी ,

तनिक बाहर झांककर देखा ,पड़ोसन चली गयी।   

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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