Badalata mausam

 देखो !अभी -अभी बरसात थी ,मिज़ाज !

 बदला नहीं मौसम ने ,अब क्यों इतनी धूप आई है ?

 इंसानों की भाँति ही ,स्वभाव  मौसम ने बदला है। 

पल में धूप ,पल में बरसात !तो कभी ठंडक आई है। 


अब मौसम ने ,फिर से ली अंगड़ाई है। 

बदलते मौसम की तरह ही, मिज़ाज में रंगत आई है।

अरमान दबाये बैठी थी ,आज मन ने थिरकन जगाई है। 

 कल जो उदासी ,मन पर छाई थी ,

तुम्हारे आने से ,जैसे मेरे घर में रौनक आई है। 

दिल में कलियाँ, खिलने लगी हैं ,चेहरे पर रंगत छाई है। 

''बदलते मौसम'' ने सुख -दुःख का एहसास कराया ,

 बिछुड़ने के पश्चात ,अब मिलन की बारी आई है। 

सभी भावों में बदले ,इस मौसम ने भी रीत निभाई है। 


बदलते मौसम का ज़िंदगी में ,असर जरूर होता है। 

तय है ,पतझड़ के बाद ,बसंत के बाद पतझड़ होता है।


 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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