Aaj ka sapana

सपने हर कोई देखता है ,आज हो या कल का देखा हुआ स्वप्न ! स्वप्न ,स्वप्न होता है। सपना अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी..... सपने बंद आँखों से भी देखे जाते हैं और खुली आँखों से भी देखे जाते हैं। प्यार भरे दिल में ,प्यारभरे , सुंदर और मोहक सपने ही आते हैं। व्यापारी को अपने व्यापार के सपने आते हैं। विद्यार्थी को अपने, शिक्षा से संबंधित अपनी उन्नति के या फिर परीक्षा के डर के सपने आते हैं। या तो डर के सपने आते हैं , जिस चीज से उसे डर लगता है वही उसके स्वप्न में आकर उसे डरा जाती है। या फिर एक अच्छी सोच के साथ, सुंदर सपने आते हैं। बंद आँखों से देखे गए सपने कुछ देर के या फिर रात्रि तक के लिए ही होते हैं, किन्तु खुली आँखों से देखे गए सपने ,इंसान पूरा करने का प्रयास करता है। ये आज ही की बात नहीं है ,प्रतिदिन की बात है। प्रतिदिन दिन निकलने के साथ ही ,इंसान अपने सपनों को पूर्ण करने के लिए ,आगे बढ़ता है। ये वो सपने हैं ,जो खुली आँखों से देखे हैं। ऊंचाइयों की उड़ान भरना चाहते हैं।


आज का स्वप्न, सबसे अद्भुत !

मैं प्रकृति बनी ,

भार से ,दबी जा रही थी। 

मेरी हरीतिमा न जाने...... 

 कहाँ गयी थी ?

मेरा सौंदर्य घटता जा रहा था। 

कल -कल बहती नदियों में....... 

 अवरुद्ध बढ़ा था। 

कचरे का बोझ बड़ा था। 

कृत्रिम वस्तुओं से, लड़ना पड़ा था। 

स्वच्छ ,निर्मल जल था। 

मैं अपने में, पूर्ण थी ,

जड़ी -बूँटी मुझमें, भरपूर थीं। 

मानव जीवन को....... 

अच्छे से पाल रही थी। 

मानव की अपेक्षाएं ,

 अधिक बढ़ती जा रहीं थीं। 

 काट मेरे अंगों को....... 

 मुझे अपाहिज कर डाला। 

मेरे लोक में, मेरा ही...... 

 तिरस्कार कर डाला। 

बेबस, लाचार बना देना चाहता,मुझको !

क्रोध मेरा ,जिस दिन बरपेगा। 

त्राहि माम् ,त्राहि माम् कह तड़पेगा। 

कहने को तो मैं माँ हूँ ,

माँ का दिल भी दूखेगा। 

सम्भल जा ! ए इंसान !

पूछेगी ,कल तेरी संतान ! 

जब स्वच्छ वायु को तरसेगा। 

बरसों जल नहीं बरसेगा। 

हा.......हाकार मचा होगा। 

बच्चा बून्द -बून्द को तरसेगा। 

गला सूख गया ,इस स्वप्न से ,

आँख खुली देखा तो ये स्वप्न था।

आज का ये स्वप्न डरा रहा था।

सच्चाई से ,परिचय करा रहा था।   

  

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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