यह नज़रें भी न........ कमाल करती हैं।
'तिरछी चितवन' दिल पर वार करती हैं।
तेरे कजरारे नयन बातें ,हजार करते हैं।
नज़रें मिले तो..यही नज़रें चार करती हैं।
इन नजरों में जहां समाई माँ की ममता !
क्रोध की अग्नि से भी, यही वार करती हैं।
यह नजरें मधुशाला हैं ,तो विष भी यही हैं।
प्यार है, तो बदले की आग, भी इन्हीं में है।
दिल जिसे चाहे ,नजरों से दिल में बिठा लें।
न चाहे तो ,नजरों से ही, नज़र से उतार दें ।
कभी -कभी ये नज़रें....... बेक़रार करती है।
कभी छुपकर ,तो कभी सरेआम वार करती हैं।
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