Aatank ka aant nhi [bonus chapter]

ऐश्वर्या की बेटी हुई है, बेटी होने के पश्चात ,ऐश्वर्या को कमजोरी महसूस होती रहती है। कभी चंदा देवी ,ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया कि एक बच्ची होने के पश्चात ,उसके शरीर को विशेष आहार की आवश्यकता है।  न ही ,ऐश्वर्या को इस विषय में कोई जानकारी थी . न ही ,ऐश्वर्या को डॉक्टर के पास भेजा गया।  जब उसने डॉक्टर के पास जाने की बात कही। 

 तब चंदा देवी का जवाब था -क्या हमारे बच्चे ना हुए ? यह तेरी बहू कुछ ज्यादा ही नाजुक बन रही है। चंदा देवी का कहर उस पर आए दिन बरसता रहता था। सारा दिन घर का कार्य करने के पश्चात ,रात्रि में लेटती थी तो बेटी, उसके साथ खेलने लग जाती या देर तक उसे सोने नहीं देती थी। काम के समय चंदा देवी ,बेटी को अपने हाथ में ले लेती थी और कहती थी -कि पहले काम निपटा लेना और तभी इसे अपने पास रखना। काम निपटाकर जब वह थक जाती तब उसे, छाया को पकड़ा देती। ऐश्वर्या ने अपनी बेटी का नाम'' छाया'' रखा था , किंतु वह उसे अपनी छाया बनने नहीं देना चाहती थी , जो परेशानियां उसने झेली  वह नहीं चाहती थी -'कि मेरी बेटी भी ,इसी तरह से परेशानियां झेले।''


एक दिन ,बेटी की भी थोड़ी तबीयत खराब थी ,ऐश्वर्या दिनभर की थकी हुई थी , रात्रि को सोने में ,उसे न जाने कितना समय हो गया और प्रातः काल उसकी आंख नहीं खुली। घड़ी में समय देखा तो ,सुबह के 6:00 बज रहे थे। वह सो रही थी -कि आज वह आधा घंटा देरी से उठी है। साथ ही बेटी भी उठ गई, उसे दूध पिलाने में व्यस्त हो गई। तभी बड़े जोर से और झटके से उसके कमरे का दरवाजा खुला। अचानक इस तरह की घटना से ऐश्वर्या घबरा गई। मन ही मन सोच रही थी ,मैंने तो दरवाजे पर अंदर से सिटकनी लगाई थी , फिर यह कैसे खुल गया ? खुलता भी क्यों नहीं ,प्रहार बडा ही तेज था। यह तो अच्छा हुआ ,वह  मच्छरदानी के अंदर थी, और बेटी को 'स्तनपान 'करा रही थी किन्तु तब भी अचानक इस तरह द्वार खुलने से वो असहज हो गयी।  दरवाजा खुलने के पश्चात उसने देखा ,उसके देवर ने कमरे के अंदर प्रवेश किया। ऐसे में प्रवीण भी ,यह देखकर हतप्रभ  रह गया, क्योंकि प्रवीण भी बराबर में ही सो रहा था। 

उसके लिए कोई नियम नहीं था कि वह प्रातः काल ही उठे, किंतु ऐश्वर्या के लिए, तो जैसे सजा ही हो गई थी। देवर को सुबह काम पर जाना होता था इसीलिए चंदा देवी ने उससे  कहकर वह दरवाजा, धक्के मार कर खुलवाया था। यदि वह काम पर जाता है तो खाना कौन बनाएगा ? वह अभी तक उठी नहीं, एक पल भी चंदा देवी ने यह नहीं सोचा -सारा दिन बच्ची को रखती है ,घर का कार्य करती है और शरीर में कमजोरी भी महसूस हो रही है। कहीं उसकी तबीयत ना खराब हो गई हो। 

यह तो कुछ भी नहीं है, जब ऐश्वर्या का 'पांव भारी' था , सुबह उठते हुए ,उसे चक्कर आते थे, डॉक्टर को दिखाया था। डॉक्टर ने बताया था - कुछ लोगों को ऐसे समय में कमजोरी महसूस होती है। प्रातः काल जब यह उठे तो इसे कुछ बिस्किट या खाने की चीज दें , जिससे इसके अंदर थोड़ी ताकत आए। 

तब चंदा देवी ने डॉक्टर से कहा - नहीं जी ,हमारे यहां ऐसा नहीं होता। जब तक यह नहाएगी नहीं और पूजा नहीं करेगी , तब तक खाने को कुछ भी नहीं मिलेगा। 

डॉक्टर को बड़ा अजीब लगा, और बोली -तुम्हारी बहू है ,बाकी आपकी जैसी इच्छा है, वैसा कर लें किंतु ऐसे समय में अधिक देर तक भूखा रखना भी ठीक नहीं है। 

उसे कुछ गोली दवाइयां दे दी थीं , किंतु ऐश्वर्या को कुछ भी हजम नहीं हो रहा था। किंतु चंदा देवी यह देखती रहती थी कि यह कब उठेगी और कब के घर के कार्य संभालेगी ? एक दिन उसकी आंखें खुली, तो उसने देखा -चंदा देवी, अपने पति से कुछ कह रही हैं ? दूर से सुनाई तो नहीं दिया , किंतु इतना अवश्य समझ गई थी कि जो भी बातें हो रही हैं।  उसी के विषय में हो रही हैं। कुछ समय पश्चात स्वयं ही पता चल गयीं। जब प्रवीण ने घर के अंदर  प्रवेश किया। 

कुछ देर बाद प्रवीण घर में प्रवेश करते हैं, तब उसके पिता उससे कहते हैं -यह क्या हो रहा है ? तू कैसी बहू ब्याहकर लाया है। गांव में महिलाएं काम करती रहती हैं और बच्चे जनती रहती हैं, यह कैसी बहु लाया है ? जो हमेशा बीमार ही रहती है। 

इसकी तासीर ही ऐसी है ,इसमें मैं क्या कर सकता हूं ? इस विषय में तो मैं कुछ ज्यादा जानता नहीं हूं , कह कर प्रवीण ने अपना पीछा छुड़ाया। 

प्रवीण तो कुछ दिनों के लिए, न जाने कहां गायब हो गया था ? ऐश्वर्या को अकेली ही छोड़ गया था। ऐश्वर्या सोचती थी -वे लोग कैसे होते हैं ? जो बच्चे  के आने की खबर सुनकर, बहुत ही आनंदित होते हैं। पति तो पत्नी को गोद में उठा लेता है और इसका विशेष रूप से ख्याल रखा जाता है किंतु यहां तो ऐसा लगता है ,इन लोगों को जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता। यह भी नहीं कि उनके यहां बहुत सारे बच्चे हैं और इन्हें आदत पड़ गई है। पहला ही बच्चा है, तभी इन लोगों के व्यवहार सही नहीं है। 

चंदा देवी ने तो जैसे कसम खाई हुई थी कि यदि यह यहां रहेगी तो....... प्रवीण जब से इसे ब्याह कर लाया है इसे ही घर के सभी कार्य करने होंगे। एक दिन प्रवीण ने कहा चलो ,मैं तुम्हें डॉक्टर के दिखा लाता हूं। 

उस दिन घर में बहुत क्लेश हुआ, चंदा देवी ने शोर मचा दिया और बोली -अभी ब्याहकर आए हुए 4 दिन नहीं हुए ,डॉक्टर के घूमती रहती हैं, या डॉक्टर के बहाने से पति को लेकर घूमने निकल जाती है।ये पीहर की बीमारियां हमें दुःख दे रहीं हैं।  उस दिन तो प्रवीण ने भी ध्यान नहीं दिया और बोला -तुम तैयार हो जाओ ! आज लेकर चलूंगा। 

चंदा देवी ने देखा तो बोली -खाना कौन बनाएगा ? जाएगी तो खाना बना कर जाना। 

प्रवीण ने कहा -मम्मी बहुत देरी हो जाएगी, डॉक्टर नहीं मिलेगी। 

तब ऐश्वर्या बोली -मैंने आटा गूथ दिया है, सब्जी बनाकर रख दी है ,डॉक्टर के यहां से आऊंगी तो खाना बना दूंगी। इस शर्त पर वह डॉक्टर के पास गई। 

डॉक्टर ने बताया -शरीर में बहुत कमजोरी है ,कैल्शियम,आयरन और खून की भी कमी है। जिसमें कि इनकी बच्ची, इनका दूध पीती है। इन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ,डॉक्टर ने प्रवीण से कहा। 

डॉक्टर के कहने पर प्रवीण को थोड़ा एहसास हुआ, पहले तो प्रतीक्षा में ही उन्हें आधा घंटा लग गया था क्योंकि अन्य मरीज भी डॉक्टर देख रही  थी , उसके पश्चात, प्रवीण को न जाने क्या हुआ? क्या एहसास उसके अंदर जागा वह बोला -चलो ! तुम्हारी मम्मी से मिलवकर लाता हूं। क्योंकि ऐश्वर्या का मायका नजदीक ही था। ऐश्वर्या बेटी को लेकर अपने मायके चली गई। उसका मन किया कि माँ से गले मिलकर रो दे  किंतु प्रवीण ने पहले ही उसे ,अपनी कसम दिलवा दी थी कि मेरे घर की कोई बात ,तुम्हारे घर वालों को ना पता चले। 

मेहमानों की तरह ,कुछ देर अपने घर बैठी, तो उसे चिंता होने लगी देर हो रही है कहीं, चंदा देवी नाराज ना हो जाए ,यही सोचकर उसने प्रवीण से कहा -चलो !अब घर चलते हैं। 

खाने का समय ही था 1:00 बज रहा था, मन ही मन ऐश्वर्या यह सोचकर गई थी ,जब मम्मी को भूख लगेगी और खाने की सारी तैयारी देखेंगीं  तो दो रोटी बनाकर खा लेंगीं, किंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। उसने अंदर आकर देखा तो चंदा देवी बैठी हुई ,गाजर खा रही थी और, ऐश्वर्या के घर में प्रवेश करते ही ,उसे घूरने लगी और बोली -क्या डॉक्टर ने तुझे अपने वहीं बैठा लिया था ?इतना समय लगता है, मुझे जब से भूख लगी है , मुझे समय पर तुरंत भोजन चाहिए। 

जी मम्मी जी ,मैं अभी कपड़े बदलकर आपके लिए भोजन बनाती हूं। 

बात ,यहीं तक सीमित नहीं रह जाती है, एक बार छाया का भाई, दूध के लिए बहुत रो रहा था। छाया भी अभी छोटी थी ,दो बच्चे और घर का कार्य यह सब ऐश्वर्या कैसे संभाल रही थी ? यह वही जानती है। चंदा देवी को तो अपने सहेली के साथ सत्संग में जाना था इसीलिए तैयार हो रही थी , उस पर इस बात का भी असर नहीं हुआ कि बहू तो किसी और की बेटी है ,किंतु यह पोते -पोती तो, तेरे अपने हैं। ऐश्वर्या, बेटे को बिस्तर पर बिठाकर, उसके लिए बोतल में दूध लाने के लिए जाना चाहती थी किंतु वह उसे छोड़ ही नहीं रहा था। ऐश्वर्या को कहीं भी, कोई सहारा नजर नहीं आ रहा था कि वह बच्चों को किसी को पकड़ा दे। उसे अपने साथ ले जाकर रसोई घर में, स्लैब पर बैठा दिया ताकि वह उसे देखकर, ही  इस बात से खुश हो कि उसके लिए दूध हो रहा है। स्लैब थोड़ी ऊंची थी, हालांकि ऐश्वर्या का ध्यान बेटे की तरफ ही था कि कहीं यह गिर ना जाए , किंतु जब दूध गर्म हुआ और उसे बोतल में करने लगी तो उसके दोनों हाथ व्यस्त हो गए। पल भर की देरी में ही, उसका बेटा जमीन पर आ गिरा , और फड़फड़ाने लगा, क्योंकि उसके जो नन्हे छोटे-छोटे दो दांत निकले थे। वह उसके होंठ में गढ़ गए थे, और उनसे खून बह रहा था। 

ऐश्वर्या बुरी तरह घबरा गई, किंतु उसने सुना था, मुंह में चीनी डालने से , रक्त का बहाव रुक जाता है, उसने तुरंत ही उसके मुंह में चार दाने चीनी के डालें क्योंकि अभी छोटा बच्चा है, अन्य परेशानी भी बढ़ सकती है। उसके फड़फड़ाने  की आवाज उसकी दादी ने भी सुनी, किंतु एक बार भी उसे देखने नहीं आई, कि आखिर बच्चा इतनी तेजी से अचानक क्यों रोया ?

न जाने , कितने छोटे-छोटे हादसे ऐसे हैं , जो ऐश्वर्या को आज भी, कचोटते रहते हैं। रिश्तों  के दिए वे  दर्द ! आज भी उसके जख्मों को खरोंचते रहते हैं। वह जानती है ,कि वह दिन जो बीत गए वापस नहीं आएंगे किंतु वह यह भी जानती है। जो उम्र, जो समय, उसने यूं ही व्यर्थ में गंवा दिया।  जिनका आज कोई महत्व नहीं , वह उम्र भी दोबारा नहीं आने वाली है। जो बीत गया वह भी दोबारा नहीं आने वाला है। इन छोटी-छोटी घटनाओं को बतलाने का उद्देश्य यही है। कि  जीवन हंसी -खुशी से और प्रसन्नता से बिताना चाहिए, परेशानियां तो आती रहती हैं , किंतु परेशानी कम कर सको तो सही, किंतु किसी की परेशानी का कारण तो ना बनो ! क्योंकि जो जख्म तुम परेशानी में ,किसी को देकर जाओगे ! वह जख्म कभी नहीं भरेंगे और भरने का प्रयास भी किया तो वह समय दोबारा नहीं आएगा। मान -सम्मान बड़ों का प्यार ,आदर भाव सब करना चाहिए , किंतु क्या बड़े समझते हैं  ?छोटों को भी ,उनके प्यार की अपनेपन की और आशीर्वाद की आवश्यकता है ? देखा जाए तो, यह सास -बहू के किस्से हैं। किंतु एक सीमा तक ही , गलत या कठोर व्यवहार उचित है। उसके पश्चात तो वह सजा बन जाते  है। ऐश्वर्या को जिंदगी में ऐसा कभी नहीं लगा ,कि कब उसने , खुशी के पल देखे हों और उन खुशी के पलों को पाने के लिए, आज भी, उसमें ''तड़प'' बनी हुई है। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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