Shaitani man

 बालपन से ही करता, नित नई शरारतें !

 देख !दादी -बाबा होते प्रसन्न मन की शरारतें !

शैतान मन की शैतानी देख ,हँसते -मुस्कुराते ,

अंदाजा न लगा ,सके कहते -यही तो बचपन है। 



सह पा ,मन कुछ अधिक शैतान हुआ। 

बड़े भी कहते ,नियंत्रण से बाहर हुआ। 

अब इसको नियंत्रित करना आवश्यक हुआ। 

कसो लग़ाम !अब  , नियंत्रण से बाहर हुआ। 


वरना न जाने ये क्या -क्या कर जायेगा ?

शैतानी के नए - नए घोड़े दौड़ाएगा। 

नई -नई दिमाग़ की खुरपातें समझायेगा। 

सर्वत्र ,अब ये चिंता का विषय बन जायेगा। 


प्रभु भक्ति की ओर ध्यान अग्रसित करो !

वरना ये शैतान बन जायेगा। 

ज्ञान से इसका ,तोड़ो !अहं ! 

जीवन का सार समझ आ जायेगा। 

खाली दिमाग़ और मन शैतान का घर ,

काम करने से नादानियों से बाज आएगा। 

अन्य इन्द्रियों से ये बहुत चंचल और चपल है,

व्यस्त रखो इसको, नियंत्रण से बाहर हो जायेगा। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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