Main tumhari hun

तनिक नजरें  झुका कर तो देखो !

जहां दिल है तुम्हारा, वहां मुझे ही पाओगे।

मेरे सिवा, मेरे जैसा दुनिया में नहीं पाओगे।  

टटोलो तो जरा !अपने अंदर, झांको तनिक ,

शायद कहीं ,तुम्हारे ह्रदय में अक्स  है ,मेरा। 



तुम्हारी महक,तुम्हारे सपने भी तुम्हारे नही,

 उन पर , हमेशा से ही ,हक है मेरा !

आंखें मूंद जरा देखो.....   तो सही ,

कहीं मैं ही तो , उन तन्हाइयों में नहीं। 

बाहें......  भी फड़फड़ती होगीं तुम्हारी ,

मुझे आगोश में लेने के लिए ,लेते क्यों नहीं ?

सांसों में घुल गई हूं ,तुम्हारी यादों की तरह ,

इतने सब में से यकीन नहीं तुमको क्या ?

 जतलाना पड़ेगा ,अभी भी '' मैं तुम्हारी हूं।'' 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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