Sazish-e-ishq

 की उसने ,कुछ इस तरह इश्क़ की साजिशें !

 सब जानकर भी , कुछ समझ ना आया। 

पहले उसने मुझे अपने प्रेम जाल में फंसाया। 

मोहमाया, शब्दों का जाल इस क़दर बिछाया।

उस मकड़े के जाल में फंसने पर समझ आया। 



''शब्दों का जाल ''इस क़दर बिछाया , 

 मुझे अपने'' दिल की रानी 'बतलाया। 

 जिंदगी की ,ख़्यालों की मल्लिका बना। 

 ख्यालों में ही ''ख़्याली  ताज ''पहनाया। 

ख्याली पुलाव की महक ने दिल हर्षाया । 

मेहरबानी उसकी,घर की मालकिन बन ,

अपने उदार , नादान दिल को बहलाया। 

साजिश-ए -इश्क़ की ज़रा और सुनिए !

 इतने पर भी उसे सब्र ना आया ! 

जब खुले ज्ञानचक्षु ,टूटा भृमजाल , माया जाल!

 दिल की रानी'ने अपने को उसके बच्चों की माँ...

 उसके घर की ''नौकरानी ''के रूप में पाया। 

साज़िशें बहुत कठिन थीं , जाल में फड़फड़ाती मैं !

पूछा ?तुमने' दिल की रानी 'को नौकरानी बनाया।

अभी भी तुम'' रानी'' हो ,मेरे जीवन की नौका  को ,

तुम्हीं ने तो पार लगाया,फेंक वही पाश मुझे बहलाया।  

उसके' मोहिनी जाल' से फिर कोई निकल ना पाया। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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