चतुर वास्तव में ही ,कितना चतुर और चालाक निकला ? अपने दोस्तों को बहका कर, इसीलिए लेकर आया था , वहां पर उन्हें लड़कियां मिलेंगी, और वह लड़कियों से दोस्ती करेंगे। उनकी दोस्ती हुई या नहीं हुई, किंतु उसने कस्तूरी से भी ,उन्हें कभी नहीं मिलवाया। दोस्तों के,कई बार कहने पर भी, उन्हें टालता रहा। कस्तूरी को सबसे छुपाकर रखना चाहता था किंतु जब उसके दोस्त ने, उससे कहा -कि कहीं वह किसी और के चक्कर में ही ना पड़ जाए , तब वह थोड़ा चिंतित होता है और वह दोस्तों को कॉलेज भेजकर, स्वयं चुपचाप कस्तूरी के घर पहुंच जाता है। कस्तूरी उसे देखते ही ,उससे लिपटकर रोने लगती है और उसके मुख पर अपने चुंबनों की झड़ी लगा दी। जैसे -कोई नदिया बरसों से अपने सागर की तलाश में थी ,मिलते ही उसमें समा जाने को आतुर हो उठी।
उसको इस तरह ,ऐसी हालत में देखकर चतुर आश्चर्यचकित रह जाता है। मन ही मन प्रसन्नता भी हुई किन्तु तुरंत ही ,उसने अपने आपको संभाला और कस्तूरी को अपने से अलग किया और उससे पूछा -क्या हुआ ? तुम इस तरह क्यों रो रही हो ?क्या तुम जानती थीं ?कि मैं आ रहा हूँ।
हाँ ,मैंने तुम्हें ऊपर आते हुए देख लिया था। अब तुम ही बतलाओ ! रोऊँ नहीं तो क्या करूं ? तुम इतने दिनों के पश्चात आये ,हो एक बार भी मिलने नहीं आये। मैंने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी।
चतुर उसके चेहरे को देखे जा रहा था, कितना कोमल स्निग्धता लिए हुए था ?उसके कपोल रक्ताभ हो उठे थे। उसका दिल किया ,इसे अभी बांहों में भर ,जीवनभर के लिए अपना बना लूँ। काश !ऐसा हो सकता। मैंने तो इससे एक बार ही , अपने प्रेम का प्रदर्शन किया था और ये तो दिल से ही लगा बैठी। उसके चेहरे पर अपनी नज़रें गड़ाते हुए उसने पूछा -मैं तो तुम्हारे साथ इतना रहा भी नहीं, और एक बार ही मैं, तुमसे अपने दिल की बात का पाया। तुम्हें कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि कहीं, मैं तुम्हें धोखा देकर तो नहीं चला गया।
जैसे-जैसे दिन बढ़ते जा रहे थे, तब मुझे लगने लगा था, शायद तुमने मुझसे छल किया है ,मन कहता -'कि मैं तुम पर विश्वास करूं दूसरे ही पल लगता -नहीं ,यह एक सपना था, छल था। आज लगता है ,वह स्वप्न नहीं सच्चाई थी ,तुमने मुझे धोखा नहीं दिया इसीलिए तो मैं अपने आप को रोक ना सकी। तुम्हारी हिम्मत है, जो तुमने अब तक अपने आप को रोका हुआ है।
यह साथ कोई पल दो पल का साथ नहीं है, यह जीवन भर निभाना है। ऐसा नहीं है कि आज मैं तुम्हारे साथ खड़ा दिखाई दे रहा हूं, उसके पश्चात मैं ,नहीं आऊंगा। तुम्हें जीवनभर के लिए अपनी बनाना चाहता हूँ। तभी मोहित कुलबुलाने लगा ,उसने करवट ली। चतुर ने पूछा - यह कब से सोया हुआ है ?
इसे सोए हुए तो काफी देर हो गई , तभी कस्तूरी बोली -मोहित ,देख ! कौन आया है ?
सोने दो !उसे क्यों उठाती हो ?
वह भी , तुमसे मिल लेगा।
मोहित ने अपनी आंखें खोली और इधर-उधर देखा, फिर आंखों को मला और उठा किंतु अभी भी वह नींद में था नींद की खुमारी अभी उतरी नहीं थी। शायद उसे इतना विश्वास भी नहीं था उसे नींद से उठते ही चतुर दिखलाई देगा। अरे मास्टर भैया, आप! कहते हुए उसने एक लंबी सी जम्हाई ली।
हां ,मैं देखने आया था तुम लोग कैसे पढ़ रहे हो ? किंतु यहां तो तुम सो रहे हो ,मुस्कुराते हुए चतुर बोला। यहां आकर सच में चतुर एक गंभीर, व्यक्ति की तरह व्यवहार करता है। अच्छा मैं अभी आता हूं, कहते हुए वह कमरे से बाहर जाने लगा। तभी चतुर बोला -मेरे लिए एक गिलास पानी भी लेते आना।
वह क्या लायेगा ?मैं पानी लेकर आती हूं कहते हुए, कस्तूरी आगे बढ़ी, तभी पीछे से उसका हाथ चतुर ने पकड़ लिया और अपनी ओर खींचते हुए बोला -तुम कहाँ जा रही हो ?मुझे तो इसी मौक़े की तलाश थी कहते हुए - कस्तूरी को अपनी भुजाओं में जोरों से जकड़ लिया ,कस्तूरी कसमसाकर उसके सीने में समा ती चली गयी। आग तो दोनों तरफ बराबर की है ,कहते हुए उसके अधरों पर ,अपने तप्त अधर रख दिए। दोनों के बदन अंगार से जल उठे किन्तु तुरंत ही चतुर ने अपने को संभाला और बोला -कहीं तुम्हारा भाई पानी लेकर न आ जाये। अब वही, इन भड़कते शोलों को अपने जल द्वारा शांत करेगा ,कहकर हंसने लगा।
तभी मोहित ,पानी के गिलास के साथ आ खड़ा हुआ ,लो !साले साहब !आ गए ! कस्तूरी अपने बिखरे बालों को संवारने लगी। जैसे चोरी करने के पश्चात ,चोर यही प्रयास करता है कि कोई प्रमाण न रह जाये। यदि रह भी जाता है तो उसे मिटाने का प्रयास करता है। वह भी ,ऐसा ही कुछ कर रही थी ,मोहित, चतुर के हाथों में पानी का गिलास थमाते हुए ,कस्तूरी से बोला -दीदी !आपको क्या हुआ ?
कस्तूरी घबरा गयी और बोली -क्यों ,क्या हुआ ?
वही तो मैं पूछ रहा हूँ ,आपका चेहरा इतना लाल क्यों हो गया है ?
अच्छा !अनजान सी बन कहते हुए ,खिड़की के शीशे में ,अपने आपको देखने का प्रयास करती है।
मैं समझ सकता हूँ ,आपको लग रहा है ,हमारे मास्टर जी आये हैं ,कहीं कुछ पूछ न लें किन्तु अब घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। अब यह हमारे मास्टर नहीं रहे , कहते हुए हंसने लगा।
मास्टर नहीं हूं, किंतु पूछ तो तब भी सकता हूं, कि आजकल पढ़ाई हो रही है या सो ही रहे हो। कस्तूरी को जानबूझकर सुनाने के लिए बोला -आज कल मैं यहीं के कॉलेज में प्रतिदिन पढ़ने आता हूं। मेरे संग मेरे अन्य दोस्त भी हैं ,इसलिए यहां आने में देर हो गई। आज भी वह लोग कॉलेज गए हैं, तब मैं यहां आया हूं।
अपने दोस्तों को साथ क्यों नहीं लाये ? मोहित ने पूछा।
नहीं ,वह बहुत शरारती हैं, बहुत सारे हैं, उन्हें देखकर तुम भी घबरा जाओगे कहकर चतुर ने बहाना बना दिया।
अरे !इतनी देर हो गई ,ऊपर क्या कर रहे हो ? अब सभी नीचे आ जाओ ! कस्तूरी की मम्मी ने नीचे से ही चिल्लाते हुए कहा।
चलो ! बच्चों अब नीचे ही चलते हैं , वरना आंटी जी न जाने क्या सोचेंगीं ? न जाने ,बच्चे ऊपर क्या कर रहे हैं ? चतुर ने कहते हुए शरारत भरी नजरों से कस्तूरी की तरफ देखा। कस्तूरी भी उसकी बातों का आशय समझ कर मुस्कुरा दी।
