प्रभा की माँ ,चाहती है ,कि इससे पहले कि किसी को प्रभा के गर्भवती होने की भनक लगे ,उसका विवाह कर देना ही बेहतर रहेगा। इसी योजना के तहत ,वे अपनी बहन पुष्पा से बात करती हैं। तब पुष्पा ने अपनी ससुराल में ही किसी रिश्तेदारी में एक लड़का बताया किन्तु वह लड़का शराब पीता है ,पुष्पा ने उसकी कमी भी बता दी। इस समय गीता जी को अपनी बेटी का भविष्य और समाज में बदनामी का ड़र सता रहा था और वे स्वयं भी ,शराबियों को पसंद नहीं करती हैं , किन्तु बहन के यह सब बताने पर भी,गीता जी इस रिश्ते के लिए मान जाती हैं।
उनकी यही बातें पीछे खड़ी उनकी अपनी बेटी प्रभा सुन लेती है और अपनी माँ से कहती है -यह सब इतना आसान नहीं है, आप क्या समझती हैं ,यह झूठ कितने दिन तक रहेगा ? क्या वह लड़का मूर्ख होगा ?समझेगा नहीं........
तब की तब देखेंगे, फिलहाल तो यहां से, मन ही मन सोच रही थी -बला टले...... किंतु प्रत्यक्ष बोलीं -इस समस्या का निदान तो हो।
एक माँ जो अपने बच्चों की लापरवाही के कारण अपने को विवश पाती है ,बहुओं की लापरवाही से परेशान है। आज बेटी की एक गलती के कारण उसे इतनी बड़ी सजा देने जा रही थी।ताकि उनकी समाज में इज्जत बनी रहे।
ये तुम्हारी मम्मी ही क्या ?हर माँ कोई न कोई उपाय ही सोचती किन्तु तुम्हें 'गर्भपात ' करवा लेना चाहिए था । ऐसी संतान को दुनिया में लाना ही क्यों ?जिसे अपने अस्तित्व की तलाश में भटकना पड़े ,या अपमानित होना पड़े ,तुम्हारी मम्मी को ,लड़का ढूंढने से पहले यही कार्य करना चाहिए था। ये तुम कैसे कह सकती हो ?कि उन्होंने तुम्हें सजा दी है ,उन्होंने तो अच्छे के लिए ही सोचा होगा करुणा ने पूछा।
हाँ मैं मानती हूँ ,किन्तु उनका मंतव्य सही नहीं था ,जो महिला स्वयं शराबियों को पसंद नहीं करती वो मेरा विवाह एक शराबी से करने का सोच रहीं थीं। क्या ये एक अच्छी सोच का निर्णय हो सकता है ?
देखो !तुम मेरी दोस्त हो ,बुरा मत मानना ,वो तो जो बिगड़ चुका उसको अपनी तरीक़े से संजोने का प्रयास कर रहीं थीं किन्तु भविष्य तो वो भी नहीं जानती थीं। तुमने ''गर्भपात ''क्यों नहीं करवाया ?ऐसे धोखेबाज की औलाद रखने से क्या लाभ ?
ऐसा मैंने सोचा ही नहीं ,ये बात दिमाग़ में आई भी नहीं ,घरवालों के ड़र से भी छुपाती रही ,बस नौकरी पाने के लिए समय गंवा दिया। जहाँ तक मुझे लगता है ,मम्मी को भी पहले ,ये विचार नहीं आया होगा वरना सबसे पहले डॉक्टर के पास ही ले जातीं।
हाँ ,ये भी है ,उस समय ऐसे कार्य न के बराबर ही होते थे इसीलिए ऐसा कुछ करने का विचार आता ही नहीं था।
तुम्हारे साथ ,जो भी हुआ ,तुमने बहन का वर्तमान देखकर ,तुममें भी हीनभावना घर कर गयी ,उसी के चलते तुम उस लड़के की ओर आकर्षित हुईं , उसे प्यार भी नहीं कह सकते ,सिर्फ पैसे और जवानी का जोश था जिसके माध्यम से तुम उस लड़के को अपना बनाना चाहती थीं। जहाँ तक मुझे लगता है ,वो लड़का भी जरूरत के लिए तुमसे जुड़ा था।
शायद, तुम सही कह रही हो, उसकी आवाज बुझ सी गयी थी ,शायद ,अब प्रभा को अपनी गलती महसूस हो रही थी।अच्छा !अब आगे तो बताओ !क्या हुआ था ?
करुणा !करुणा !अरे क्या कर रही हो ?तभी करुणा की सास की आवाज उसे सुनाई दी, तब करुणा प्रभा से बोली -तुम एक मिनट रुको !मुझे मेरी सास बुला रहीं है ,अभी आती हूँ।
जी मम्मी जी ! आपने मुझे बुलाया।
हां, आज किससे इतनी देर से, फोन पर बातें कर रही हो, क्या आज चाय का समय नहीं हुआ ? चाय की इच्छा हो रही है।
मेरी सहेली का फोन है , बहुत दिनों बाद बातें हो रही हैं, इसलिए थोड़ा समय लग गया। अच्छा ,अभी बना कर लाती हूं। कहते हुए ,करुणा चाय बनाने के लिए रसोईघर में चली गयी। साथ में ,अपने लिए भी चाय बना ली।
प्रभा को भी करुणा से बातें करके सुकून सा मिल रहा था, जिंदगी में जाने -अनजाने उससे जो भी गलतियां हुई हैं। वह कुर्सी के पीछे अपना सर टिकाकर और आंखें मूंद कर सब बातें सोच रही है। आज थोड़ा उसे एहसास हो रहा है कि जिंदगी में न जाने हम क्या-क्या गलतियां कर जाते हैं ? और उसका दोष दूसरों पर मंढ देते हैं किंतु कई बार उन गलतियों के हम ही जिम्मेदार होते हैं किंतु हम समझना ही नहीं चाहते। ऐसे समय में कोई ऐसा व्यक्ति मिल जाये जो बात को संभालने की बजाय बिगाड़ तब क्या ?
दोस्त तो वही होता है ,जो अपने दोस्त को सही राह दिखलाये ,उसे उसकी गलतियों का एहसास कराये।प्रभा की कहानी सुनकर करुणा ने भी वही किया ,जो ग्रंथि प्रभा अपनी माँ के लिए ,लिए बैठी थी ,उसकी वह गलतफ़हमी करुणा ने दूर कर दी किन्तु जब वो उसे ये सब बातें बताती ,तो शायद कहानी कुछ और ही हो जाती। कुछ कह नहीं सकते ,समय के साथ ही तो समझदारी आती है।
हैलो ! उधर से आवाज आई ,क्या तुम थीं हो ?
हाँ, मैं कहाँ जाउंगी ?यहीं बैठी हूँ ,प्रभा बोली।
बताओ !आगे क्या हुआ ?
मम्मी एक बार मुझे डॉक्टरनी के पास लेकर भी गयीं थीं किन्तु उन्होंने बताया -अब बहुत देर हो चुकी है।
मुझे भी कोई उपाय नहीं सुझाई दे रहा था, मेरे पास किशोर का विश्वास भी नहीं रह गया था, न ही कोई उम्मीद रह गई थी। प्रभा अपनी मां के निर्णय के सामने अपनी नज़रें झुका लेती है। शीघ्र ही मौसी ने एक लड़के की तस्वीर और उसका बायोडाटा पोस्ट से भेज दिया। लड़का देखने में आकर्षक लग था ,25 हजार रुपए महीना कमा लेता था। दो भाई थे ,घर का मकान था। मौसी का देखा भाला अच्छा परिवार था। शराब पीता है, यह शब्द प्रभा की मां को के कान में गूंज रहे थे किंतु उन्होंने नजरअंदाज कर दिया। इस समय उन्हें अपनी बेटी के ,उस कुकर्म को भी तो छुपाना था। उन्होंने तुरंत ही ,लड़के के लिए हामी भर दी।