पुष्पा !क्या तू किसी अच्छे से लड़के को जानती है, जो अच्छा खाता -कमाता हो ,अच्छे घर -परिवार से हो।
क्या ?हुआ दीदी ! क्या बात है ?जो आज अचानक ऐसे पूछ रही हो ?
इसमें बात क्या होती ? घर में स्यानी लड़की बैठी है तो उसका विवाह तो करना ही है, इसीलिए लड़का पूछ रही हूँ ,प्रभा की मां ने अपनी बहन से कहा।
क्या ,इतनी जल्दी छोटी का विवाह कर देगीं ? अभी तो बड़ी का किया है। अभी तो उसके विवाह को भी 6 महीने नहीं हुए। इतनी जल्दी छोटी के लिए लड़का ढूंढने लगीं । उसके विवाह में तो इसी तरह देरी हो गई थी ,उसे लड़का ही नहीं मिल रहा था किंतु अब छोटी की उम्र भी कम नहीं है। छब्बीस की हो गई है। यही तो विवाह की उम्र है ,हमारे समय में तो अट्ठारह और बीस साल की उम्र में ही विवाह हो जाया करते थे । अब तो लड़कियां पच्चीस से तीस की उम्र तक नौकरी करती घूमती रहती हैं। अब मैं सोच रही हूं ,समय से ही इसका विवाह कर देती ,यदि तेरी नजर में कोई अच्छा सा लड़का है। अच्छा खाता -कमाता है तो प्रभा के लिए कोई लड़का देख लेना। प्रभा को तो तूने देखा ही है,बस जोड़ी अच्छी लगे।
अब आपने कह दिया है ,तो मैं प्रयास करूंगी, ढूंढती हूं, कहकर पुष्पा मौसी ने फोन काट दिया। मन ही मन सोच रही थी -छोटी का विवाह इतनी जल्दी करने की सोच रही है, उनकी बात भी सही है, बड़ी के विवाह को तो ज्यादा उम्र हो गई लड़का ही नहीं मिलकर दे रहा था अब कम से कम इसका विवाह तो समय से हो जाए। सोचते हुए ,वह अपना दिमाग दौड़ाने लगी कि रिश्तेदारी में या दोस्तों में ,कहां-कहां उसे लड़का मिल सकता है ?
इसी तरह प्रभा की मम्मी ने एक -दो जगह और भी फोन किये , उनकी जल्दबाजी का कारण है ,बेटी का गर्भवती होना किसी को नहीं बता पा रही थीं ,किंतु उन्हें घबराहट हो रही थी कि अवश्य ही, इसके बढ़ते गर्भ को देखकर किसी न किसी को तो शक हो ही जाएगा। बहु ने तो ,इस ओर इशारा कर भी दिया ,वे कब तक सच्चाई को झुठलाती रहेंगी।
तीन दिन बाद उन्होंने फिर पुष्पा को फोन कर दिया, और पूछा -तूने अभी तक कोई लड़का ढूंढा या नहीं।
क्या बात कर रही हैं , दीदी ! इतनी जल्दी में ,मैं लड़का कहाँ से ढूंढ कर लाऊंगी ? लड़का ढूंढने में भी समय लगता है। अभी तीन दिन ही तो हुए हैं
किंतु मेरे पास समय नहीं है ,एकाएक भावुकता में वह बोल उठीं।
क्या मतलब? उनकी बहन उनकी बातों का आशय नहीं समझ पा रही थी कि वह क्यों ? इतनी शीघ्रता दिखला रही हैं ।
अपनी बातों को संभालते हुए बोलीं -मेरा मतलब है, अब तेरे जीजा जी की उम्र भी बढ़ती जा रही है और मेरी उम्र भी बढ़ रही है ,उनकी अक्सर तबियत खराब सी रहती है। हम कब तक, प्रतीक्षा करते रहेंगे ?आज हैं , कल नहीं ,इसलिए सोच रही थी -कि इसका शीघ्र से शीघ्र विवाह कर दिया जाए तो अच्छा ही रहेगा। इसके भाइयों को तो लड़का ढूंढने के लिए न ही समय है ,न ही रूचि !अब तूने तो देखा ही है,इसकी बड़ी बहन के बाल भी सफेद हो गए थे। इससे पहले कि इसके साथ भी ,कोई ऐसी परेशानी हो तो ,मैं सोच रही हूं। इसका विवाह भी समय रहते ही कर देते हैं।
कहने को तो, आपकी बात सही है,अच्छा, मेरी रिश्तेदारी में ,मेरी ससुराल में ही, एक लड़का तो है, कुछ सोचते हुए पुष्पा मौसी बोलीं -कमा भी अच्छा लेता है ,साथ ही खर्चीला भी बहुत है। आप कहो तो, मैं उससे प्रभा की बात चलाऊँ ।
हां ,हां ''नेकी और पूछ -पूछ ''तुरंत ही उससे बात चला ,वे उतावलेपन से बोलीं।
दीदी !यदि वे लोग तैयार हो जाते हैं ,तो मैं उनसे क्या कहूं ?उनका मतलब दहेज़ से था।
तू उसे तैयार तो कर -बाकी बाद में देखेंगे।
किंतु दीदी एक अड़चन है, वह शराब पीता है।
कभी-कभार ही तो पीता होगा , प्रभा की मम्मी ने उसकी बात पर ध्यान न देते हुए कहा।
उसकी मम्मी अभी तो यही कह रही थी ,कभी-कभार ही पीता है किन्तु, इससे पहले उनके विचार पीने वालों के लिए अलग ही थे। पहले कहती थीं -'खाने -पीने वालों का कुछ कह नहीं सकते ,उनका कोई ईमान-धर्म नहीं होता।'
मुझे उसकी फोटो और उसकी जन्मपत्री सब मुझे पोस्ट कर दे। मैं घर पर तेरे जीजा जी को भी दिखा लूंगी। कहते हुए , उन्होंने फोन रख दिया।
प्रभा उनकी बातें सुनकर बोली -आप मौसी जी से क्या बातें कर रही थी ?
यही कि वह तेरे लिए एक अच्छा सा लड़का ढूंढ दे।
नहीं ,मुझे अभी विवाह नहीं करना है आप मेरी हालत तो जानती ही हैं ,क्या लड़के वालों को पता नहीं चलेगा कि मेरी हालत क्या है ?
तो तू क्या चाहती है ?मैं तुझे ऐसे ही जाने दूंगी ,समाज में बदनामी हो जाएगी।
आज ही मेरी नौकरी का लेटर आ गया है। मैं नौकरी करने बाहर चली जाऊंगी तो किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा।
क्यों पता नहीं चलेगा ?वहां के लोग भी सब जानते होंगे , वह क्या मूर्ख हैं ? कि एक कुंवारी लड़की, पेट में बच्चा लिए घूम रही है और उन्हें पता ही नहीं चलेगा। तेरी नौकरी पर भीआँच आ जाएगी। अब समय से ही विवाह हो जाएगा, जल्दबाजी में तब नौकरी पर चली जाना, फिर वहां चाहे बच्चा जनना या कुछ भी करना। बदनामी भी नहीं होगी और काम भी हो जाएगा। मां ने प्रभा को समझाते हुए कहा- क्या तुझे अभी भी उम्मीद है ,कि वह धोखेबाज तुझसे विवाह करने आएगा। मां ने उसको घूरते हुए पूछा । इस बात पर प्रभा ने अपनी नज़रें कर लीं क्योंकि उसे अब किशोर से कोई उम्मीद नहीं रह गई थी। तब माँ ने उसे प्यार से समझाया -देख मेरी बात मान, यदि कोई अच्छा सा लड़का मिल जाता है। उससे विवाह करके, तू अपनी नौकरी पर चली जाना और बाद में बताना कि तू उसके ही बच्चे की मां बनने वाली है। और तब तक इधर मत आना जब तक वह बच्चा न हो जाए। किसी को कुछ भी नहीं पता चलेगा।