Kal aaj kal

जो 'आज' है ,वही' कल 'बन जायेगा। 

जो 'कल' था , वो कभी नहीं आएगा। 


'कल 'आज 'में ही जुड़ा है ,नज़र नहीं आएगा।

'आजकल 'जो हो रहा, वहीं वर्तमान कहलाएगा। 



 

कल बचपन था ,आज युवावस्था का जोश है ,

आज बदलता जायेगा ,परिवर्तन ही लाएगा। 


भाँति -भांति के कल 'प्यार के रंग 'खिले थे ,

आज उन 'यादों 'का सहारा ही, रह जायेगा। 


'आज 'जो बोया था बीज़ ,वही पेड़ बन जायेगा।

जैसा बीज़ था बोया ,वही फल 'आज 'खायेगा। 


' समय चक्र' आज यहाँ है ,आगे बढ़ता जायेगा।

 कभी आता नहीं, ऐसा' कल 'कभी नहीं आएगा। 


तूने कर्म किये जो ,उनका फ़ल तुझे आज ही दिखलायेगा।

लौटाया नहीं जा सकता ''कल, वही' इतिहास 'बन जाएगा।  


 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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