अपने बेटे के कहने पर, रामकली की सास , उसे समझाने का प्रयास करती है और रामकली की हरकतों पर नजर रखती है। एक बात तुमसे हम कहते हैं , माना कि तुम उस घर की बेटी हो और तुम्हें अपने परिवार के विषय में सोचना भी चाहिए किंतु अब यह घर तुम्हारा भी है, तुम्हें अपने इस घर के विषय में भी सोचना चाहिए जिसमें तुम अपनी सम्पूर्ण जिंदगी व्यतीत करोगी। रामकली ने उस समय उनकी बातें चुपचाप सुन लीं ,किंतु कभी भाई आता या कोई और मायके से आ जाता तो चुपचाप चोरी से ,उनकी सहायता करने का प्रयास करती और कहती -मेरी सास ने देख लिया तो मुझे डांट पड़ेगी ,या घर में किसी को पता न चल पाए।
जब उसके परिवार वालों को लगता है ,कि अब उन पर नजर रखी जा रही है और रामकली पर उसकी ससुराल वाले प्रतिबंध लगा रहे हैं। तब उसके परिवारवालों ने उसे भड़काना आरम्भ किया। इस परिवार में में तू अकेली नहीं है , अन्य लोग भी रहते हैं। धीरे-धीरे रामकली के परिवार वालों ने उसे भड़काना आरंभ किया, तुझ पर ही यह बंदिशें क्यों लगाते हैं ? तुझे गरीब घर की समझकर ,तुझे चोरी करने पर मजबूर करते हैं। अब तुम्हारी जो आगे देवरानी और जेठानी होगीं , जो संपत्ति अब तुम्हारे पास है , उसमें से अपना हिस्सा लेंगीं,जब रामकली पर उनकी बातों का असर बढ़ा तब उससे कहा -तुम्हारे पास जितने भी कीमती आभूषण है वह सब हमारे पास रख दो ! ताकि वे हमारे पास सुरक्षित रहें और तुम्हारी कोई भी जेठानी -देवरानी उसे बांट ना सके।
यह बात, रामकली को ठीक लगी और उसने अपने सभी गहने ,आभूषण अपने मायके वालों को दे दिए। घर में किसी को भी नहीं बताया। एक बार जब दीपावली का त्यौहार था तब बहुरानी से यानी कि घर की लक्ष्मी से सभी आभूषण पहनकर आने के लिए कहा गया। आभूषण तो उसके पास थे ही नहीं, तो क्या पहन कर आती ? उसके पास अपने प्रतिदिन पहनने के गहने ही थे। उसने अपने घर संदेशा भिजवाया कि मेरे गहने पहुंचा दें किंतु उसके परिवार वाले, इस बात से मुकर गए। हमारे पास उसके दिए कोई गहने नहीं हैं। इस बात से रामकली को बहुत धक्का लगा।
जब रामकली से उसकी सास ने पूछा -तुम्हारे कीमती गहने ,आभूषण कहां है ?तो वह कुछ भी जवाब न दे सकी, वह समझ गईं कि इसने अपने आभूषण अपने मायकेवाले को दे दिए हैं। उन्हें लग रहा था शायद, उनके मन का लालच ज्यादा बढ़ गया है इसीलिए उन्होंने बड़े प्रेम से उन आभूषणों के मंगवाने के लिए रामकली से कहा।
यह बात सुनकर रामकली जोर-जोर से रोने लगी, और बोली-मांजी !मुझे माफ कर दीजिए , मैंने अपने परिवार वालों के कहने पर अपने सभी कीमती आभूषण, उनके यहां भिजवा दिए और अब मेरे भाई और परिवार वाले इस बात से मुकर रहे हैं।
उन्होंने कहा -हमने तुम्हें पहले ही समझाया था जितना वह घर तुम्हारा है ,उससे कहीं अधिक, यह घर तुम्हारा है जब हमने तुम्हें अपनी बहू मान लिया, अपना लाल तुम्हें सौंप दिया ,अपनी संपत्ति तुम्हें सौंप दी और तुम्हें हम पर आज तक विश्वास नहीं हुआ। तुम्हारे परिवार वालों ने तुम्हारे साथ ऐसा क्या किया था ?जो हम आज तक भी दुश्मन बने हुए हैं और वह अच्छे थे। तुमने हमारी चोरी से उनपर धन लुटाया हम सब जानते हैं, किंतु हमने तुमसे कभी कुछ नहीं कहा। सोचा था -''सागर से एक दो बूँद पानी निकल लेने से सागर सूखता नहीं है, इसीलिए सोचा ,जब तुम समझदार हो जाओगी अपने आप समझने लगोगी।
तब रामकली ने बताया कि कहीं बाँट न लें इसीलिए मायके में पहुंचा दिए।
उसकी बात सुनकर वो हंसीं और बोलीं -चोर को ही खजाने की देखभाल के लिए दिया। तुम्हारे गहने कौन बांटेगा ? ये सभी अच्छे परिवारों से से हैं। इनके मैके वालों ने इन्हें बहुत धन -सम्पदा देकर विदा किया है। तुम्हारे गहने कोई नहीं लेगा। इससे पहले की घर के पुरुषों को, इस बात का पता चल जाये अब तुम अपने मायके जाओ और अपने आभूषण लेकर आओ !
रामकली अपने मायके गई और भाइयों और पिता से अपने आभूषण मांगे, किंतु उन्होंने देने से इनकार कर दिया , उन्होंने कह दिया -कि हमारे पास, तुम्हारा कोई गहना नहीं है। अब रामकली किस मुंह से अपने घर वापस जाएं ? उस इस बात का बहुत दुःख हुआ। आज उसे आभास हो रहा था - कि उसने अपने हाथों से ही अपने घर में आग लगा ली। अपना घर लूटकर इन लोगों की सहायता की सोच रही थी ,सोचा था ,ये लोग भी थोड़े पैसे वाले हो जाए या अच्छा खाने -पीने लगें ,ये भी तो मेरा ही परिवार है किंतु इन्होंने ,उन लोगों को अपना नहीं समझा और मुझे पैसा ऐंठने का माध्यम बना लिया। वही यह नहीं जानती थी ,कि इन लोगों का लालच बढ़ता जा रहा है और इन्होंने अपनी बेटी को ही लूट लिया। गलती उसकी ही थी ,उसी ने इनके मुँह खून लगाया ,जब तक उसे अकल आई ,तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
वह निराशा से भर चुकी थी ससुराल वालों ने उसे इतना मान - सम्मान सभी सुख -सुविधा दीं और जिस परिवार से वह निकलकर ,उस सुख सुविधा और आराम में रह रही थी उसी परिवार को न अपना सकी और जिन्हें अपना समझे बैठी थी ,उन अपनों से ही धोखा खा बैठी। क्या मुँह लेकर अब अपनी ससुराल वापस जा रही हूँ ? मन ही मन सोच रही थी -अपनी सास और घर वालों की तीखी नजरों का सामना कैसे करेगी ?
वह यही सब वह सोच रही थी, तभी सामने उसे वही कुआं दिखाई दिया जिस कुएं पर पहली बार उसके पति ने उसे देखा था। इसके अलावा उन्हें कोई रास्ता नजर नहीं आया और उस कुएं में कूदकर उन्होंने अपनी जान दे दी।