अब सोचने के सिवा रह ही क्या गया है ? सामने हो तो ,लड़ भी ले, किंतु अब क्या कर सकते हैं ? विवाह तो हमारा भी हुआ था ,तो क्या हमने रिश्ते नहीं निभाये ?हमने मायके वालों को छोड़ दिया या ससुराल की जिम्मेदारीयों से भाग गए। ससुराल के रिश्ते भी निभाये और मायके वालों पर भी ध्यान दिया ,किंतु न जाने इसका विवाह कैसा हुआ है ?इसकी स्वार्थी सोच ,वह रिश्ते तोड़ती है या फिर इसकी पत्नी ने रिश्ते तोड़ने के लिए इससे कहा है। रिश्ते तोड़ने का कारण भी यही है ,उसके मायके वालों से तो रिश्ता नहीं तोड़ा ,रिश्ते तोड़ने का कारण यही है, बहन को देना पड़ जाता है। लेन -देन की रीत निभानी होती है ,ससुराल से मिलता है ,तो वहाँ प्रसन्नता से जाता है। वे तो अब उसके मम्मी -पापा हो गए।
यदि इसके ससुराल वाले भी ना दें , तो तब क्या करेगा ? उनसे संबंध बनाकर रखते हैं ,हमने अपने सास ससुर की और यवन के तो ननद भी नहीं थी तब भी, इनकी चचेरी ,ममेरी ननदों का ख्याल रखा ,उनका मान -सम्मान बनाकर रहे। हम भी भाभी बने हैं ,बहू भी बने हैं और बहन का रिश्ता भी निभाया फिर कहां कमी रह गई ?मन में इतने विचारों से उथल-पुथल हो रही थी ऐसा लग रहा था, कि बिना पूछे बात नहीं बनेगी किंतु मैंने तो सोच लिया है ,अब उस घर कभी नहीं जाऊंगी।
किशोर और करुणा अपने घर वापस जा रहे थे ,किशोर ,करुणा को समझाते हुए बोले -इतना लेना-देना करने की आवश्यकता ही क्या थी ?तुम्हारे चाचा के बेटे हैं ,उन्होंने हमारा इतना मान रखा ,वही बहुत है तुम्हारे भाइयों से तो इतना भी नहीं होता, कि एक फोन करके भी पूछ लें कि बहन कैसी हो या जीजा जी कैसे हो ?हम कब-कब उनके काम नहीं आए ?अगर मैं कहूंगा, तुम्हें तो बुरा लग जाएगा। उन्हें तो शर्म नाम की चीज ही नहीं है ,क्या नहीं किया ?उन लोगों के लिए ,तुम कितना सोचती थी ?तुम मुझसे उनके लिए लड़ जाती थीं अब देख लो ,परिणाम मतलब निकलते ही ,उन्हें कोई मतलब ही नहीं रहा। आज ही देख लो !दूर क्यों जाना ?आज उन्होंने तुमसे क्या व्यवहार किया ?हालाँकि करुणा ने किशोर को कुछ नहीं बताया किन्तु उसे रोते देखकर सब समझ गया था। अवश्य ही, इन लोगों ने कुछ ऐसा व्यवहार किया है जो इसके दिल को लगी है और अब यहाँ अकेले में आंसू बहा रही है।
करुणा अभी तक विवाह के कार्यक्रमों और रस्मों में अपने भाई के उस व्यवहार को भूल गयी थी किन्तु जब किशोर ने बात छेड़ी तो....... सब स्मरण हो आया।पहले जब कभी किशोर उसके भाइयों या परिवार वालों के व्यवहार को लेकर कुछ कहता था ,तब करुणा उससे झगड़ पड़ती थी,और कहती -मेरे घरवाले ऐसे नहीं हैं। तुम्हारी सोच गलत है ,अभी उन्हें थोड़ा सम्भलने दो !तब देखना किन्तु आज किशोर जो भी कह रहा है ,उसे बुरा नहीं लग रहा बल्कि अपनी गलतियों का एहसास उसे हो रहा है।
ये तो जग -जाहिर है,लड़कियों को अपने परिवार से अधिक लगाव होता है। जब तक ससुराल वालों को नहीं समझती और ससुराल को नहीं अपनाती अपने परिवार से ही जुड़ी रहती हैं। ऐसे में यदि लड़की के परिवारवाले आर्थिक दृष्टि से कमजोर हो तो ...... पहली बात तो,उन बेटियों के विवाह ही देर से होते हैं क्योंकि कोई भी अच्छा लड़का बिना दहेज़ के नहीं मिलता और यदि लड़की की सुंदरता के कारण उस लड़की का विवाह किसी अच्छे परिवार में हो भी जाता है। तब लड़की को ,वहां के ऐशो -आराम में रहने से ज्यादा अपने परिवार की चिंता रहती है।
तभी करुणा को,अपनी मम्मी का सुनाया ,उनके गांव की रामकली ताई का किस्सा स्मरण हो आया। रामकली ताई का जब विवाह हुआ था ,उस समय उनकी उम्र ज्यादा नहीं थी। अपने घर में गरीबी देखी थी,जब रामकली ताई ससुराल में आई तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। उनकी ससुराल में ऐशो -आराम की कोई कमी नहीं थी।
तब रामकली ताई का विवाह ,कैसे हुआ ? करुणा ने पूछा।
उनकी सुंदरता के कारण ,ताऊ का परिवार बहुत पैसे वाला था ,उस जमाने के खानदानी रईसों में से एक थे। ताऊजी के लिए,एक से एक ख़ानदान के अच्छे रिश्ते आ रहे थे। उस समय ताऊ बीस बरस के थे। रईसी तो उनके चेहरे से टपकती थी। चेहरे पर चौधरियों वाला रुआब ,सर पर पगड़ी,उनकी कई एकड़ जमीन थी। ऐसे ही काम के सिलसिले में ,अपनी गाड़ी से एक गांव से निकलकर जा रहे थे। तब कुएँ पर पानी भरती एक लड़की पर उनकी दृष्टि अटक गयी। तब ताऊजी ने ,अपने लठैत को भेजकर उस लड़की का पता लगाने के लिए कहा। किसकी बेटी है ,कैसे ख़ानदान से है ? लठैत उस कुएं वाली लड़की का पता लगाने के लिए ,वहीं खड़ा हो गया।
क्या भइया !यहाँ क्यों खड़े हो ?एक महिला ने उसे कुएं के पास इस तरह खड़े देखा तो...... उससे पूछा।
कुछ नहीं ,प्यास लगी थी ,तो पानी पीने चला आया ,सोच रहा था -आप लोगों से पानी मांगू या नहीं ,कहीं आप मुझे गलत न समझ लें।
प्यासे को पानी पिलाना तो पुण्य का काम है ,हम इतने भी मूर्ख नहीं कि इंसान की पहचान न कर सकें ,कहते हुए ,अपनी पानी भरी बाल्टी को लेकर आगे आई। लो पानी पियो !कहते हुए नजदीक आई और बोली -और इतने भी मूर्ख नहीं ,कि उसकी नजर न पहचान सकें। किसके वास्ते इधर आये हो ?अपनी भोंहों को हिलाते हुए पूछा।
लठैत ने पानी पीते हुए ,उसकी आँखों में झाँका ,और सीधे खड़े होते हुए धीमे से बोला -वो पीले कपड़ों में जो लड़की है।
क्या वह अनजान महिला उस लठैत को उन पीले वस्त्रों वाली लड़की के विषय में बतलायेगी या फिर उसे ''मुँह की खानी पड़ेगी।'' आखिर वो ही क्यों आगे आई ?उसका उस लड़की से कोई रिश्ता है भी या नहीं। जानने के लिए पढ़ते रहिये -काँच का रिश्ता !