Is saal

 इस साल भी ,हमने जी कर देखा। 

इस साल भी उमड़ते ,जज्बातों को देखा। 


हम उम्मीदों  के नए दीए जलाते रहे,

इस साल भी ,अरमानों पर पानी फिरते देखा। 



हालांकि कुछ रचनाएं और बढ़ गई हैं ,

कुछ हौसलों को ,हवा में उड़ते देखा। 


कुछ नए रिश्तों से, पहचान हुई। 

दर्द को अब ,नए अंदाज में देखा। 


दिन यूं ही बीते या सरकते गए। 

उम्र के 'इस साल 'को भी हमने ढलते देखा। 


प्रयास किया ,संपूर्ण विकार कम होंगे ,

कम हुए, पता नहीं !उनका दम घुटते देखा। 


अनुभव हर दिन बढ़ते रहे हम चलते रहे ,

अपने अंदर विश्वास का नया बदलाव देखा।


यह साल भी ,स्वर्णिम यादों में शामिल हो जायेगा ,

जब जिन्दा रहेंगे ,अपने कुछ निशाँ छोड़ जायेगा।  



laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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