इस साल भी ,हमने जी कर देखा।
इस साल भी उमड़ते ,जज्बातों को देखा।
हम उम्मीदों के नए दीए जलाते रहे,
इस साल भी ,अरमानों पर पानी फिरते देखा।
हालांकि कुछ रचनाएं और बढ़ गई हैं ,
कुछ हौसलों को ,हवा में उड़ते देखा।
कुछ नए रिश्तों से, पहचान हुई।
दर्द को अब ,नए अंदाज में देखा।
दिन यूं ही बीते या सरकते गए।
उम्र के 'इस साल 'को भी हमने ढलते देखा।
प्रयास किया ,संपूर्ण विकार कम होंगे ,
कम हुए, पता नहीं !उनका दम घुटते देखा।
अनुभव हर दिन बढ़ते रहे हम चलते रहे ,
अपने अंदर विश्वास का नया बदलाव देखा।
यह साल भी ,स्वर्णिम यादों में शामिल हो जायेगा ,
जब जिन्दा रहेंगे ,अपने कुछ निशाँ छोड़ जायेगा।
