''दो सखियाँ !
करतीं , हमेशा !
संग रहने का वादा !
दूर रहकर भी ,
रखतीं, मिलने का इरादा !
बचपन में किये ,वादे !
आँखों में ,सपने सजाये !
जीवन की गहराई ,
न जाने कैसे जानेगीं ?
जीवन है ,हरजाई !
समय के बहाव संग !
बिछड़ी, दो सखियाँ !
स्मरण ,वो वादा !
सताता अक्सर,वो इरादा !
बिछड़ीं ,कभी न मिलने के लिए !
प्रभु ने ,जब एक के प्राण हर लिए ,
कैसे पूर्ण हो ?वो वादा !
जिन आँखों में ,जहाँ था सारा !
धरा का धरा रह गया।
मिलने का इरादा ,वो वादा !
थीं ,''दो सखियाँ !
