Digital pyaar

भ्रमित करता विषय है,

'डिजिटल से प्यार 'है ,

या डिजिटल के माध्यम से प्यार है। 

जितने भी, वैले[ खाली]बैठे हैं। 

डिजिटल पर ढूंढते प्यार हैं। 



आजकल डिजिटल से सबको प्यार है। 

ढूंढते ऐसे ,जैसे डिजिटल पर सबका उधार है। 

वक्त कट जाता है, उम्मीदें बढ़ जाती हैं। 

ऐसा ही कुछ ''डिजिटल का प्यार'' है। 

दूर बैठे लोग ,करीब नज़र आते हैं। 

करीब बैठे लोग ,दूर चले जाते हैं। 

वास्तविकता में प्यार नहीं ,यहाँ !

डिजिटल से कैसे मिलेगा प्यार है ?

 बनाता है,इसमें उसे मिटाता भी है।  

 ढूंढता कहां? इधर-उधर,

डिजिटल उम्मीदों का व्यापार है।

जगह भरती है ,ख़ाली भी करनी पड़ती है।

अति हर वस्तु की बुरी है।   

नई उमंगों की खोज है, जज्बातों का व्यापार है। 

यही तो.... 'डिजिटल का प्यार'' है। 

अथवा ''डिजिटल से प्यार ''का आधार है। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post