Asambhav

 ''संभव ''शब्द संग , ''असंभव ''भी आया। 

 सब ''संभव ''तो ''असंभव 'कहां से आया ?

 

 माना  कि मेहनत से सब संभव हो जाता। 

असंभव का महत्व,तब कहीं नहीं रह जाता। 



शुद्ध हवाएं खो रहीं, ढूंढ पाना असंभव सा लगता। 

प्रदूषित बढ़ती हवाओं को रोकना ,असंभव लगता।


प्राकृतिक आपदाओं को रोक पाना असंभव लगता।

मरते जीव के प्राण ,प्राण वायु बचाना असंभव लगता। 


प्रकृति उजाड़ हो रही इसको रोकना असंभव लगता।

विचारों की शृंखला को रोक पाना असम्भव लगता...  

 

प्रभु ! को पुकारा दिन-रात्रि....... 

अज्ञानी चक्षुओं से, देख पाना असंभव लगता। 

हर प्राणी की क्षमता अपनी....... 

किस्मत में न हो तो, पाना असंभव लगता। 



laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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