Afwaah

 अफ़वाहों का क्या है ?

 ये तो उड़ती रहती हैं। 

विचारों की तरह........ 

बिन पंख सफर करती हैं। 

 आई थी ,एक अफ़वाह !

हमने दिया नहीं ध्यान !

मुँह बना चली ,बिन ज्ञान !


जो मान दे उसे ,टिकती वहीं !

कोई भी अफ़वाह !

यूँ ही , बनी नहीं। 

रेखाचित्र कहीं तो खिंचा होगा। 

''चित्र ''तो कहीं बना होगा। 

जन्म उसका......... 

 यूँ ही नहीं हुआ होगा। 

कुछ -कुछ सच्ची सी ,

व्यर्थ हो गयी ,अफ़वाह !

अर्थ का अनर्थ...... 

 करते बची अफवाह !

कुछ जाँच करने आये हैं ?

तुम्हारे पति ने भिजवाएं हैं। 

देख पड़ोसन ने.......  ,

 फैला दी अफ़वाह !

सौ नंबर पर दे दी सूचना!

श्रीमान !शीघ्र हमारी गली आइये !

आकर मेरी पड़ोसन को बचाइए !

हुआ कांड ,जो बंगाल में ,

वह न होने दीजिये !

उन बलात्कारियों से बचाइये !

तुरंत ही गार्दा आई और.....  

पड़ोसन के घर  पैठ जमाई !

बलात्कारी तो नहीं थे ,

सज्जन व्यक्ति पड़ोसन को,

 तमंचे की नोक पर  ठग रहे  थे। 

वो थी,बहुत  घबराई !

पुलिस को देख उसे साँस आई !

पुलिस ने पड़ोसन को दी बधाई !

तुमने अच्छी 'अफ़वाह 'फैलाई। 

अपनी पड़ोसन की जान बचाई। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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