Tum kuchh ,kahte kyon nahin ?

तुम कुछ कहते क्यों नहीं ?

क्यों छुपा लेते हो ,वो दर्द !

जो बरसों से......... 

 तुम्हारे सीने में दफन है। 

क्यों, यह भार बढा रखा है ?

क्यों ,छिपाना चाहते हो ?

क्या कोई,खजाना बड़ा है। 



साथ कुछ नहीं जाना है ,

यहीं सब रह जाना है। 

क्यों ?क्या इसे साथ ले जाना है ?

खुलकर कुछ दिन जीते क्यों नहीं ?

तुम कुछ कहते क्यों नहीं ?

अरमानों के तले दबी......... 

 सिसकी लेते क्यों नहीं ?

तुम्हारी चुप्पी कुछ कहती है ?

तुम क्यों ?कुछ कहते नहीं ? 

 चिंगारी दबी राख में, 

उसे बुझाते क्यों नहीं ?

तुम कुछ कहते क्यों नहीं ?

तुम ही तुम नहीं हो,

संग तुम्हारे हम ,हो जाओ !

मित्रों से मिलो, कुछ गुनगुनाओ ! 

आओ ! रिश्तो में घुलमिल, 

उन्मुक्त हो जाओ !

जानती हूँ ,बहुत कुछ कहना है ,

क्यों ?चुप रहना है ,मुक्त होते क्यों नहीं ?

तुम कुछ कहते क्यों नहीं ?

चुप्पी में तुम्हारी ,तुम्हें ढूंढती हूँ। 

अपने आप से ही ,मिलते क्यों नहीं ?

तुम कुछ कहते क्यों नहीं ?

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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