उम्र के बंधनो को तोड़ ,
जीवन की मुश्किलों को छोड़ !
आज कुछ नया करते हैं।
आओ ! बचपन जीते हैं।
घरों की चाहरदीवारी से........
बाहर निकल ,
भूली -बिसरी यादों........
और अरमानों को जीते हैं।
आओ !बचपन जीते हैं।
तुम स्टापू खेलो !या खेलो गिट्ठु !
शर्मा जी अपनी पत्नी को ले आओ !
उनके संग खेलो !पिट्ठू !
पांडे जी ,तुम गेंद ले आओ !
धर्मपत्नी जी को थमा दो ,बल्ला !
देखो !आज मोहल्ले में होता कैसा हल्ला !
अग्रवाल जी ,की आँखों पर बांधो पट्टी !
सुनैना जी तुम ले आओ ! रस्सी !
करुणा जी तुम ,रन बना लो !
आज तो एक शतक बना दो !
ऐसा कुछ अद्भुत करते हैं।
आओ ! बचपन जीते हैं।
इस मोहल्ले में ,चहल -पहल संग ,
युवा बन जीते हैं ,हल्ला -गुल्ला कर ,
शोर मचा ,आज बच्चे बन जाते हैं।
आओ !मिलकर बचपन जीते हैं।
इस खिली -खिली धूप का.........
आनंद उठाते हैं ,आओ !बच्चे बन जाते हैं।