Aao bachpan jeete hai

 उम्र के बंधनो को तोड़ ,

जीवन की मुश्किलों को छोड़ !

आज  कुछ नया करते हैं। 

आओ ! बचपन जीते हैं। 

 घरों की चाहरदीवारी से........ 

 बाहर निकल ,

भूली -बिसरी यादों........ 

 और अरमानों को जीते हैं। 

आओ !बचपन जीते हैं।


तुम स्टापू खेलो !या खेलो गिट्ठु !

शर्मा जी अपनी पत्नी को ले आओ !

उनके संग खेलो !पिट्ठू ! 

पांडे जी ,तुम गेंद ले आओ !

धर्मपत्नी जी को थमा दो ,बल्ला !

देखो !आज मोहल्ले में होता कैसा हल्ला !

अग्रवाल जी ,की आँखों पर बांधो पट्टी !

सुनैना जी तुम ले आओ ! रस्सी ! 

करुणा जी तुम ,रन बना लो !

आज तो एक शतक बना दो !

ऐसा कुछ अद्भुत करते हैं।

आओ ! बचपन जीते हैं।  

इस मोहल्ले में ,चहल -पहल संग ,

युवा बन जीते हैं ,हल्ला -गुल्ला कर  ,

शोर मचा ,आज बच्चे बन जाते हैं। 

आओ !मिलकर बचपन जीते हैं।

इस खिली -खिली धूप का......... 

आनंद उठाते हैं ,आओ !बच्चे बन जाते हैं।  

 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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