Sazishen [part 84]

आज प्रातः काल से ही ,सभी नौकर भागदौड़ कर रहे हैं ,एक -एक चीज बड़ी सफाई और सावधानी से साफ करके रक्खी जा रही है। आज नीलिमा  के लिए भी काम बढ़ गया ,क्योंकि आज सुबह से ही, मिसेज खन्ना ने, कई सारी पोशाकें पहनीं  और उतार कर फेंक दीं  कि यह भी नहीं जंच रही और यह भी नहीं जंच रही। वह अपनी ही पार्टी में वह सबसे ज्यादा खूबसूरत, और अच्छी दिखना चाहती थी। कुछ नया लुक,अलग ही दिखना चाहती थी ताकि सभी की दृष्टि उस पर जमी रहे।  कुछ समझ नहीं आ रहा, गाउन भी अच्छा नहीं लग रहा, कई तरह के गाउन थे किंतु समझ नहीं आ रहा कि पार्टी के लिए ,क्या सही रहेगा ? बिस्तर पर बहुत सारे, कपड़ों का ढेर लगा था, किंतु उनमें से एक भी मिसेज खन्ना को पसंद नहीं आ रहा था और परेशान हो रही थी कि क्या पहनूँ  ?जो मैं अपनी पार्टी में ही सबसे ज्यादा अच्छी लगूँ। 

तब नीलिमा ने ,मिसेज खन्ना से पूछा - आपकी पार्टी में सभी महिलाएं ,अक्सर क्या पहन कर आएंगीं ?

गाउन, मिड्ढी ,कुछ इसी इसी तरीके के पाश्चत्य वस्त्र !



क्या कोई, साड़ी पहन कर नहीं आएगी , नीलिमा ने पूछा।

छी,मुँह बनाते हुए बोली -आजकल साड़ी भी कोई पहनता है, कितना चीप लगता है ?एक दो महिलायें  होगीं , ऐसी जो साड़ी पहनेगी और हंसी का पात्र बनेगीं । 

क्यों ,साड़ी में क्या बुराई है ? आपसे किसने कह दिया ?चीप लगता है नीलिमा ने प्रश्न किया। मन ही मन सोच रही थी - ये क्या जानें ?क्या सस्ता है या महंगा ! 'बस भेड़ चाल है। ''प्रत्यक्ष बोली -साड़ी पहनने में तो कोई बुराई नहीं है।

 किंतु आजकल के समय में हम लोग साड़ियां नहीं पहनतीं  हैं ,''ओल्ड फैशन ''हो जाता है , इतराते हुए वह बोली। 

साड़ी कभी भी ओल्ड फैशन नहीं होती ,थोड़ा सा उसका पहनने का तरीका बदल दो ,नयापन आ जाता है। अच्छा ये बताइये !आपको सबसे ज्यादा अच्छी ,कौन सी साड़ी लगती है ?नीलिमा ने उसी से पूछा। क्या मैं आपका 'कलेक्शन 'देख सकती हूं ?

हां ,हां देख लो ! मुंह बनाते हुए वह कुर्सी पर बैठ गई, और परेशानी में नीलिमा को ही, यह कार्य सौंप दिया तब नीलिमा ने एक साड़ी निकाली और बोली -आप यह साड़ी पहनिये !

इसमें क्या खास है ?मुंह बनाते हुए वह बोली। 

इसका पहनने का तरीका आपको विशेष  बना देगा , कहते हुए नीलिमा बोली -इसे आपको मैं पहनाउंगी। 

नीलिमा की बात सुनकर उसे गुस्सा आया, और मन ही मन सोच रही थी -मैंने कहीं इसको ज्यादा ही सिर पर तो नहीं ,चढ़ा लिया है ,इसे खुद रहने की तहजीब नहीं है, और मुझे तैयार करेगी। तब नीलिमा बोली आप ऐसा करिए तैयार हो जाइए और इसे पहनाने का जिम्मा  मेरा ........ जब वह ब्लाउज ,पेटीकोट पहनकर  बाहर आई तब नीलिमा ने उसको, साड़ी पहनना आरंभ किया। साड़ी पहनाकरऔर अब उससे आईने में देखने के लिए कहा। यह एक अलग ही लुक था। साड़ी के पल्लू को इस तरह बांधा उसके ब्लाउज ही ,अलग लगने लगा। मिसेज खन्ना को यह अच्छा तो लगा किंतु सोचा -हो सकता है, मेरी सहेलियाँ ,इससे बेस्ट हों। अभी वह असमंजस में थी। अब तैयार होकर सहेलियों की प्रतीक्षा करने लगी। 

 धीरे-धीरे वे सभी आने लगीं और जो भी उसे देखती , वही कहती - वाव !!!हाऊ नाइस ! यह साड़ी कब खरीदी ? इसमें तुम बड़ी ही 'प्रिटी 'लग रही हो। जब एक दो सहेली ने उसकी प्रशंसा की तब उसने सराहनीय नजरों से नीलिमा की तरफ देखा,  नीलिमा भी इसी प्रतीक्षा में थी, कि  उसके इस बदले अंदाज को क्या जवाब मिलता है ?

सकारात्मक उत्तर जानकार , नीलिमा रसोई घर में, चली गई। मिसेज खन्ना की ,धीरे-धीरे सभी सहेलियाँ  आने लगीं , आज चांदनी कुछ और ही सोचकर आई थी। वह नीलिमा का सामना करना चाह रही थी , वह नीलिमा को, मिसेज खन्ना के नौकर के रूप में देखकर प्रसन्न होना चाहती थी किंतु अन्य सभी नौकर दिखलाई दे रहे थे किन्तु नीलिमा  ही नहीं दिख रही थी। आज तो तुम बड़ी जंच रही हो ,मिसेज खन्ना से चांदनी बोली -ये साड़ी कब खरीदी ?

आज के कार्यक्रम के लिए नई साड़ी ,मेरे पास तो पहले से ही कपड़ों का बहुत बड़ा कलक्शन है। ऐसे छोटे -मोटे कार्यक्रमों के लिए ,मैं बाजार नहीं भागती। धन्यवाद !उसके कहने से मिसेज खन्ना को ईर्ष्या की बू आ रही थी। मन ही मन वो खुश भी हो रही थी और नीलिमा को धन्यवाद दे रही थी। 

सभी सहेलियाँ , नाश्ता कर रही थीं , बहुत देर प्रतीक्षा करने के पश्चात भी ,जब चांदनी को नीलिमा दिखलाई नहीं दी, तब उसने मिसेज खन्ना से पूछ लिया -अरे ,क्या तुम्हारी वह नई नौकरानी नहीं आई ? जिसे अभी कुछ दिनों पहले मैंने भेजा था ,उसने इस तरह कहा ,जैसे उस पर एहसान किया हो ,कह कर मुस्कुरा दी। क्या आज छुट्टी पर है ? 

यार !तुमने जो नौकरानी भेजी थी ,बहुत ही गुणी और समझदार है , आज तुमने जो मेरी प्रशंसा की यह उसी का कमाल है। 

जरा उसे बुलाओ तो...... हम भी उसका हुनर देख लें ,मुस्कुराते हुए बोली। 

अभी लो !कहते हुए ,मिसेज खन्ना बोलीं - चंपा ओ  चंपा ! जरा इधर तो आना।

 चंपा का नाम सुनते ही, चांदनी चौक गई और एकदम चुप हो गई , घबराई सी संभलते हुए बोली -यह तुम क्या कह रही हो ? उसका नाम तो कुछ और है। 

नहीं ,उसने तो मुझे अपना यही नाम बतलाया। तुम क्यों परेशान हो रही हो ?

नहीं कुछ भी नहीं, मन ही मन चांदनी घबरा गई थी, कहीं नीलिमा ने, मेरे विषय में मैसेज खन्ना को तो कुछ नहीं बता दिया। 

अब आगे क्या होगा ? चांदनी तो नीलिमा को , बेइज्जत करने के उद्देश्य से, यहां आई थी किंतु अब उसे लग रहा था जैसे उसी की पोल खुल जाएगी। अब आगे क्या होगा ? जानने के लिए पढ़ते रहिए -साज़िशें 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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