Aakheeri sandesh

 नितिन,अपनी नौकरी के साक्षात्कार की तैयारी में जुटा था। लिखित परीक्षा में वह पास हो गया था। साक्षात्कार के पश्चात एक परीक्षा और होनी है और उसके पश्चात ,उस नौकरी के लिए ,'कॉल' आ जायेगा। परिवार वाले भी, उसके  परिश्रम को देखते हुए , हमेशा उसके साथ रहते और उसको किसी भी प्रकार की असुविधा न हो , इसका विशेष रूप से ख्याल रखते, ऐसे मौके बार-बार नहीं मिलते ,यह बेटे के भविष्य का सवाल है। ऐसे समय में ,रिश्तेदारों से भी मेलमिलाप कम कर दिया।  बस एक बार बेटा  इम्तिहान पास कर ले, तो जीवन की बहुत बड़ी समस्या हल हो जाये। उसका भविष्य संवर जाये। सालों  से तैयारी में जुटा है अबकी बार आने की पूरी -पूरी उम्मीद है। 


दस दिनों के पश्चात ,नितिन का साक्षात्कार हुआ और वो चुन लिया गया। घर में प्रसन्नता की लहर दौड़ गयी। बस एक बार और जाना है ,उसके पश्चात उसकी नौकरी पक्की ,भगवान ने इतने दिनों पश्चात ,उनकी सुन  ली। नितिन की माँ को लगता ,भगवान ने उसकी पूजा -पाठ के कारण ही ,बेटे को परीक्षा में पास कराया है। अब तो उनकी श्रद्धा और बढ़ गयी और ज्यादा समय पूजा में व्यतीत करने लगीं। 

एक दिन पहले ही नितिन को फोन आया कि आपको नियत समय पर पहुंच जाना है। नितिन तो पहले  से ही तैयार था।अगले दिन जब वह जाने के लिए तैयार हो रहा था। तब उसने अपने पापा का चेहरा देखा ,उनका चेहरा थोड़ा उतरा हुआ था। नितिन ने अपने पापा से पूछा ,-क्या हुआ ?पापा !

कुछ नहीं ,कहते हुए उन्होंने अपने दर्द को भुलाने का प्रयास किया क्योंकि वो अपने बेटे को बताना नहीं चाह रहे थे कि आज प्रातःकाल से ही, उनके सीने में हल्का -हल्का दर्द है। नितिन मुस्कुराया ,और जैसे ही वह बाहर ,जाने ही वाला था उसके पिता का दर्द बढ़ गया ,उन्होंने अपने को बहुत रोकने का प्रयास किया किन्तु उनकी हालत बिगड़ती गयी। जब उन्हें होश आया ,वो अस्पताल में बिस्तर पर थे। उनके सामने उनकी पत्नी और बेटा खड़े थे। बेटे को देखते ही ,उन्हें स्मरण हुआ आज तो इसे एक और परीक्षा के लिए बुलाया गया था। 

क्या तुम यहीं हो ?गए नहीं ,उन्होंने पूछा। 

नहीं ,पापा !मुस्कुराते हुए ,नितिन बोला -आपकी तबियत ही इतनी बिगड़ गयी थी ,कैसे जाता ?

यह सुनकर ,उन्हें दुःख हुआ कि मेरे कारण ,उनका बेटा अपनी परीक्षा में नहीं जा सका। 

नितिन ने जब अपने पापा का चेहरा देखा ,तो बोला -ज्यादा परेशान होने की आवश्यकता नहीं है ,अब आप आराम करिये। 

वो तो ठीक है ,किन्तु तुम्हारी नौकरी का क्या ?कहते हुए उनकी आँखों में आंसू आ गए। 

कोई बात नहीं ,आज नहीं तो कल मिल ही जाएगी ,किन्तु पापा की समय पर चिकित्सा नहीं होती तो पापा नहीं मिलते ,कहकर उनका हाथ पकड़कर वहीँ बैठ गया। तभी उसके फोन पर एक संदेश आया ,आपको अंतिम बार सूचित किया जाता है ,किन्हीं कारणों के कारण आज की परीक्षा रद्द कर दी गयी है। कल ठीक दस बजे तक सभी को सीधे कम्पनी में ही पहुंच जाना है।

आज नितिन को लगा ,ये मेरे माता -पिता  की दुआओं  का ही असर है ,जो इस बीमारी में भी मेरे लिए परेशान हो रहे थे ,इसीलिए ईश्वर ने मुझे एक और मौका दिया है ,सोचते हुए ,यह खुशख़बरी अपने माता -पिता को सुनाई। 

माता -पिता सोच रहे थे -ऐसी औलाद ,भगवान सबको दे ,जिसने अपने पिता के लिए ,एक सुनहरा मौका ठुकरा दिया। उस ''आखिरी संदेश ''ने उनके जीवन को खुशियों से भर दिया। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post